CG गिरोह का पर्दाफाश: हाईकोर्ट में नौकरी देने के नाम 20 बेरोजगारों से ठगे 75 लाख रुपए.... जाली नियुक्ति पत्र समेत सील और स्कैनर जप्त.... नौकरी का झांसा देकर ठगने वाले 2 गिरफ्तार.... ठगी का तरीका जान उड़ जाएंगे होश.....


बिलासपुर। नौकरी लगाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया गया है। उच्च न्यायालय में नौकरी के नाम से ठगी की गई थी। बिलासपुर पुलिस ने 24 घण्टे के भीतर 500km की दूरी तय कर पुलिस ने की घेराबंदी कर गिरफ्तारी की है। छत्तीसगढ हाईकोर्ट बिलासपुर में सहायक ग्रेड 2 व 3 आफिस बाबू पद पर भर्ती कराने के नाम पर धोखाधडी करने वाले शातिर ठग पुलिस की गिरफ्त में है। प्रदेश के करीब 20 से अधिक व्यक्तियो से ठगी की गई थी। 

 

 

 

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70 से 75 लाख से अधिक की रकम की ठगी की गई थी। सोशल मिडिया में पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियो से संबंध दिखाकर लोगो को प्रभावित किया था। लोगो को प्रभावित करने हेतु आरोपी यशवंत सोनवानी पुलिस की वर्दी की फोटो एवं परिचय पत्र का उपयोग करता था। अत्याधुनिक तरीके से उच्च न्यायलय के दस्तावेजो को स्कैन कर कूटरचित कर नियुक्ति आदेश पत्र तैयार करता था। प्रार्थीयो को उच्च न्यायालय में कई लोगो को नौकरी दिलाने की बात कह कर प्रभावित करते थे।

 

 


आरोपी से नगदी रकम सहित कुटरचित उच्च न्यायालय के फर्जी नियुक्ति आदेश पत्र, फर्जी पुलिस अधिकारी परिचय पत्र एवं सील मूहर बरामद किया गया है। नाम गिरफ्तार आरोपी यशवंत सोनवानी पिता संतोष सेानवानी उम्र 23 वर्ष सा. ग्राम पोंछ थाना बलौदा जिला जांजगीर-चाम्पा हाल मु. रामा लाईफ सिटी मकान नम्बर डी-57 थाना सकरी और आशुतोष मिरी उर्फ सोनू पिता संतोष मिरी उम्र 22 वर्ष सा. गणेश नगर चुचुहियापारा थाना सिरगिट्टी जिला बिलासपुर है।

 

 


प्रार्थी राजा खाण्डे एवं अन्य 12 लोगो के द्वारा थाना सकरी में रिपोर्ट दर्ज कराया था कि यशवंत सोनवानी नामक व्यक्ति जो कि अपने आप को स्पेशल ब्राच का इन्सपेक्टर बताते हुये अपने आप को माननीय उच्च न्यायालय में अच्छी जान पहचान होना बताकर छत्तीसगढ हाईकोर्ट बिलासपुर में सहायक ग्रेड 2 व 3 आफिस बाबू पद हेतु भर्ती निकली है कहकर सभी प्रार्थीगण से उनसे अंकसुची, फोटो, आधार कार्ड लेकर लगभग 60 से 65 लाख रूपये की धोखाधडी कर पैसे ले लिये है एवं आरोपी द्वारा उन्हे फर्जी उच्च न्यायालय के तरफ से जारी नियुक्ति आदेश पत्र दिया गया है प्रार्थीगण की रिपोर्ट पर आरोपी यशवंत सोनवानी एवं अन्य के विरूद्ध थाना सकरी में अपराध क्रमांक 328/21 धारा 420, 467, 468, 120 बी भा.द.वि. के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया था।

 

 


आरोपी यशवंत सोनवानी के संबंध में सायबर सेल की एक टीम को तकनीकी जानकारी प्राप्त हुई कि आरोपी राजनांदगांव में ट्रांसपोर्ट नगर ममता नगर में होना पाया जा रहा है सूचना की तस्दीकी हेतु एक टीम राजनांदगांव रवाना किया गया टीम के द्वारा अलग अलग स्थानो में अपने आप को बचाने के लिये छिप रहे मुख्य आरोपी यशवंत सोनवानी को घेराबंदी कर पकडा गया आरोपी यशवंत सोनवानी को लेकर बिलासपुर लाया गया। आरोपी यशवंत सोनवानी से पुछताछ के साथ ही अन्य आरोपी आशुतोष मिरी को उसके निवास स्थान चुचुहियापारा से लाकर गिरफ्तार किया गया।

 

 

आरोपीगणो का पृथक-पृथक मेमोरण्डम लिया गया एवं वारदात के तरीको के संबंध में पृथक पृथक जानकारी ली गई आरोपी यशवंत सोनवानी द्वारा बताया गया कि उसने हाई कोर्ट वेबसाईट में जाकर सर्च कर रहा था तब मुझे पता चला कि छत्तीसगढ हाईकोर्ट बिलासपुर में सहायक ग्रेड 2 व 3 आफिस बाबू पद हेतु भर्ती निकली थी जो उक्त भर्ती केंसिल हो गयी थी जो उक्त भर्ती की विज्ञप्ति हाईकोर्ट वेबसाईट से डाॅउनलोड कर प्रिंट कर मै उक्त भर्ती कराने के नाम पर लोगो से पैसा कमाने की योजना अपने दोस्त आशुतोष मिरी के साथ बनाया। 

 

 

सबसे पहले मै हाईकोर्ट छत्तीसगढ बिलासपुर के वेबसाईट से उक्त आदेश की काॅपी अपने लैपटाॅप प्रिंटर से प्रिंट करने के बाद रामालाईफ सिटी सकरी में गार्ड, ईलेक्ट्रीश्यन की नौकरी करने वाले राजा खाण्डे एवं अजय खाण्डे को हाईकोर्ट बिलासपुर में पुलिस सब इन्सपेक्टर के पद पर कार्यरत हुॅ बताकर अपना फर्जी आई. कार्ड दिखाकर उन्हे हाईकोर्ट में सहायक ग्रेड 2 व 3 आॅफिस बाबू में भर्ती कराने का झांसा देकर उनसे ढाई लाख रूपये नगदी व फोन-पे, अकांउट पे के माध्यम से लिया।

 

 

इसी तरह अजय लहरे से 2 लाख, भुपेन्द्र जांगडे से 2 लाख, मुकेश कश्यप से 1 लाख 20 हजार, युवराज बघेल से 4 लाख 90 हजार सलील भास्कर से 2 लाख 60 हजार, अमरदास कुर्रे से 30 हजार, सुर्या सोनवानी से 2 लाख 50 हजार, कृत कुमार खाण्डे, इन्द्र खाण्डे, विकास सोनवानी से 9 लाख, विजेन्द्र साहू से 3 लाख, लक्ष्मीनारायण साहू से 3 लाख, हिमांशु सोनवानी से 3 लाख 50 हजार, दिलेश्वर भारद्वाज से 3 लाख, दिलहरण बंजारे से 3 लाख 50 हजार, विजय कौशिक से 6 लाख 50 हजार, आशीष राजपूत से 4 लाख 50 हजार, राकेश से 1 लाख 50 हजार, जोस्वा जाॅन से 6 लाख 80 हजार, जुलियट दास व अमन सिंह से 10 लाख, विपीन से 2 लाख 70 हजार रूपये लिया। 

 

 

उक्त सभी लोगो को छत्तीसगढ हाईकोर्ट बिलासपुर में नौकरी लगाने के नाम पर झांसा देकर धोखाधडी कर मेरे द्वारा कुल रकम 70 से 75 लाख रू. लगभग लिया हुॅ। । आरोपी यशवंत ने बताया कि छत्तीसगढ हाईकोर्ट बिलासपुर के वेबसाईट में जाकर अपने लैपटाॅप व मोबाईल फोन मे छत्तीसगढ हाईकोर्ट का नियुक्ति आदेश का पी.डी.एफ. डाॅउनलोड कर पी.डी.एफ. को वर्ड फाईल में कन्वर्ट कर एडिट कर नाम बदल कर सभी को अलग अलग छत्तीसगढ हाईकोर्ट बिलासपुर का फर्जी नियुक्ति आदेश फर्जी सील तैयार कर उच्च न्यायालय के अधिकारियों के आदेश का हस्ताक्षर स्कैन कर एवं अपने हेण्डराईटिंग से नियुक्ति पत्र तैयार कर फर्जी सील लगाकर दिया था।

 

 

जब उक्त लोगो का नौकरी ज्वाईन नही हुआ तो वे सभी अपने-अपने पैसे की मांगने लगे तो मै अपना मोबाईल बंद कर बिलासपुर से  भागकर  इधर-उधर लूक-छिप रहा था। मेरे द्वारा उपरोक्त सभी लोगो को योजना बनाकर धोखाधडी कर कुछ रकम फोन पे में कुछ रकम अपने बैंक खाते में एवं बाकी रकम नगद प्राप्त किया हुॅ जो कुल लगभग 70 से 75 लाख रूपये है। 

 

 


आरोपी द्वारा उक्त कृत्य के लिये उच्च न्यायालय के कार्मिक अधिकारी का एक फर्जी मुहर एवं फर्जी सील भी तैयार किया था आरोपी द्वारा माननीय न्यायालय के नाम एवं तत्कालिक रजिस्ट्रार जनरल के नाम एवं हस्ताक्षर से तैयार नियुक्ति पत्र को स्कैन कर अपने घर पर रखना बताया आरोपी यशवंत सोनवानी से फर्जी तरिके से तैयार नियुक्ति आदेश पत्र, दस्तावेज, फर्जी परिचय पत्र, नकली सील मूहर, दस्तावेज तैयार हेतु प्रयुक्त लैपटाॅप एवं सैमसंग मोबाईल नगदी रकम लगभग 15 लाख रूपये एवं आरोपी आशुतोष मिरी से 55 हजार रूपये नगद बरामद किया गया है। 

 

 

आरोपीगण पीडित लोगो को हाईकोर्ट के बाहर ले जाकर और वहाॅ पर आशुतोष मिरी को हाईकोर्ट का बाबू है कहकर पहचान कराते थे आरोपी आशुतोष मिरी उन्हे उच्च न्यायालय के बाहर से मिलाता था एवं रूको कहकर कुछ देर में फर्जी नियुक्ति आदेश पत्र लाकर देता था आरोपी यशवंत सोनवानी द्वारा इस दौरान सोशल मिडिया का भी भरपुर उपयोग किया गया जिसमें उसने विभिन्न पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों से पहचान एवं मित्रता सहित अच्छे संबंध होना बताकर एवं उन्के फोटो दिखाकर उन्हे प्रभावित करता था आरोपी द्वारा इस दौरान कुछ फोटो वर्दी में खिंचाकर रख लिया था।

 

 

जिसका दुरूपयोग भी पीड़ित लोगो को प्रभावित करने में करता रहा है इस दौरान आरोपी द्वारा एक उप निरीक्षक रैंक की वर्दी पर एक फर्जी परिचय पत्र भी तैयार किया गया था एवं कई लोगो को उच्च न्यायालय का सुरक्षा अधिकारी का रौब भी दिखाता था, जिसका उपयोग पीड़ित लोगो को प्रभावित करने में किया जाता रहा है। आरोपी द्वारा अपने काॅन्टेक्ट लिस्ट में अपने दोस्तो का नाम कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर, मजिस्ट्रेट के नाम से दर्ज कर रखा था जो पीड़ित लोगो को दिखाकर उनको झांसे में लेता था।



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