रायपुर। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने केन्द्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि भाजपा शासित राज्यों में जान बूझकर अभी तक वैक्सीन की जमाखोरी करवाई जा रही थी, इसलिए कि 21 जून को रिकाॅर्ड वैक्सीनेशन कर ‘‘थैंक यू मोदी जी’’ लिखा जा सके। जबकि ठीक एक दिन बाद 22 जून को इसकी रफ्तार पूर्ववत हो गई। विकास उपाध्याय ने कहा कि कांग्रेस शुरू से यह बात बोलते आ रही है कि प्रधानमंत्री मोदी वैक्सीनेशन को लेकर राजनीति कर रहे हैं और इसका वे देश के लोगों में प्रयोग कर राजनैतिक फायदा उठाना चाहते हैं।
राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने एक बयान जारी कर सवाल किया कि 18 से अधिक उम्र वालों के लिए टीकाकरण अभियान की शुरूआत 01 मई से होने के बाद अचानक से 21 जून को एक ही दिन में इतना ज्यादा टीकाकरण कैसे हो गया। इसके पहले यह संभव क्यों नहीं हुआ। क्या प्रधानमंत्री मोदी पहले से ही यह तय कर ली थी कि देश के राज्यों को तब तक वैक्सीन मुहैया न कराया जाए, जब तक इसका वे कोई राजनैतिक फायदा न ढूँढ लें। विकास उपाध्याय ने आरोप लगाया कि उनके नाम रिकाॅर्ड दर्ज करने भाजपा शासित राज्यों से वैक्सीन की लगातार जमाखोरी करवाई जा रही थी। सिर्फ इसलिए कि 21 जून को रिकाॅर्ड टीकाकरण कर ‘‘थैंक यू मोदी जी’’ का वाहवाही जो लेना था। तब तक युवाओं को जान बूझकर वैक्सीनेशन से वंचित किया गया।
विकास उपाध्याय ने कहा, अगर आप 01 जून से 21 जून तक औसतन प्रतिदिन लगी वैक्सीन डोज की संख्या को यदि देखें तो लगभग 34,62,000 लोगों को हर दिन वैक्सीन लगी है। मतलब यह कि पहले भारत में 34 लाख वैक्सीन औसतन प्रतिदिन लग रही थी, जो 21 जून को 88 लाख तक पहुँच गया जो दोगुने से भी ज्यादा है। जबकि अगले ही दिन 22 जून को 54 लाख के करीब पहुँच गया। मोदी सरकार की नियत साफ होती तो टीकाकरण की रफ्तार एक ही दिन में ब्रेक नहीं लगता। इससे साफ जाहिर है कि मोदी अपने आप को रिकाॅर्ड टीकाकरण के माध्यम से महिमा मण्डित कराना चाह रहे थे। उन्होंने कहा, भाजपा शासित राज्यों में मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात एवं हरियाणा इस मुहिम में सम्मिलित थे, जो वैक्सीन का जमाखोरी कर सिर्फ एक दिन 21 जून को वैक्सीनेशन में तेजी लाए। उन्होंने कहा, यह संयोग है कि इन राज्यों में इतनी ज्यादा मात्रा में टीके की उपलब्धता भी थी, जबकि छत्तीसगढ़ को 21 जून के लिए केन्द्र ने वैक्सीन ही नहीं दी।
विकास उपाध्याय ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी संक्रमण काल में उनकी और भाजपा सरकार की पूरे विश्व में हुई बदनामी को डैमेज कंट्रोल करने अभी भी देश के लोगों को हर मौके पर उपयोग कर रहे हैं। उन्हें इस बात की चिंता नहीं कि देश में शत् प्रतिशत वैक्सीनेशन यथाशीघ्र हो, बल्कि लोगों के बीच अपने आप को प्रचारित करने वैक्सीन का राजनीतिकरण कर रहे हैं। 18 से अधिक उम्र के लोगों को टीकाकरण की जिम्मेदारी केन्द्र अपने जिम्में में लेने के बावजूद भाजपा शासित व गैर कांग्रेसी शासित राज्यों के साथ भेद-भाव करने कोई कसर नहीं छोड़ रही है। आज छ.ग. के युवा टीका लगाने आतुर हैं परन्तु उस मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध नहीं की जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा के पूर्व तक छ.ग. के शीर्ष भाजपा नेता जो यह कहते नहीं थकते थे कि वैक्सीन की कमी है, अब वो अपने घरों में चूप बैठ गए हैं। आखिर वे आज यह सवाल क्यों नहीं उठा रहे हैं कि केन्द्र वैक्सीन उपलब्ध क्यों नहीं करा रही है।