Anne Frank: 77 साल पुरानी मिस्ट्री, जिस लड़की की कहानी सुनकर आज भी रोती है दुनिया, Google ने किया Anne Frank को याद..जानें कौन थीं Anne Frank…

Anne Frank Google Doodle on Anne Frank’s Diary

जब द्वितीय विश्व युद्ध हो रहा था, तो नीदरलैंड पर नाजियों के कब्जे के कारण छोटी बच्ची एनी फ्रैंक और उनके परिवार को छिपकर रहना पड़ता था. एनी के पिता ओटो फ्रैंक ने उनके 13वें जन्मदिन पर अपनी बेटी को एक डायरी गिफ्ट की थी,  जिसमें एनी अपना रुटीन लिखने के साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजियों द्वारा यहूदियों पर किए अत्याचारों का आंखों-देखा हाल भी लिखती थीं. द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद एनी की ये डायरी ही इतिहास बन गई.((Anne Frank))

एनी फ्रैंक (Anne Frank) और उसके परिवार को किसने धोखा दिया था, इस बात का पता चल गया है. दुनिया का बच्चा-बच्चा एनी फ्रैंक के बारे में जानता है, वही एनी जिसके बारे में स्कूल की किताबों में एक चैप्टर जरूर होता है. इतिहासकारों के लगातार किए जा रहे प्रयासों के कारण 77 साल बाद पता चल गया है कि किसकी वजह से एनी और उसका परिवार गिरफ्तार हुआ था (Anne Frank Betrayal). जिसके बाद उन सबकी मौत हो गई. एनी ने एक डायरी लिखी थी, जो ‘द डायरी ऑफ यंग गर्ल’ के नाम से दुनियाभर में मशहूर है. वो एक यहूदी (Jewish) लड़की थी, जो बड़ी होकर पत्रकार बनना चाहती थी.((Anne Frank))

ये कहानी दूसरे विश्व युद्ध के समय की है, जब नाजियों से अपनी जान बचाने के लिए यहूदी धर्म के लोग यूरोप के अलग-अलग हिस्सों में छिपे हुए थे. इनमें जो भी पकड़ा जाता, उसे नाजी सैनिक यातना शिविरों में भेजकर मौत के घाट उतार देते. एनी फ्रैंक का परिवार भी बाकी यहूदियों की तरह नीदरलैंड के एम्सटर्डम में स्थित एक घर में छिपा हुआ था. जिसे सीक्रेट एनेक्स के नाम से जाना जाता है (Anne Frank Father and Mother Name). यहां एनी फ्रैंक, उसकी मां एडिथ फ्रैंक, पिता ऑटो फ्रैंक, बड़ी बहन मार्गो फ्रैंक के अलावा एक दूसरा परिवार भी था. जिन्हें एनी वान डान्स कहती थी. इनमें हर्मन वान पेल्स (मिस्टर वान डान), उनकी पत्नी ऑगस्टे वान पेल्स और बेटा पीटर वान पेल्स था. साथ ही एक आठवां शख्स फ्रिट्स फेफर भी इनके साथ छिपा हुआ था. जो दंत चिकित्सक था.((Anne Frank)) 

1944 तक सीक्रेट एनेक्स में छिपे रहे

 

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Anne Frank

इस बुक केस के पीछे था सीक्रेट एनेक्स (तस्वीर ट्विटर)

ये सभी लोग 1942 से लेकर 1944 तक यहां छिपे रहे. लेकिन किसी ने नाजियों को इनके यहां छिपे होने के बारे में बता दिया, जिसके बाद सभी को यातना शिविरों में भेज दिया गया. अब उस शख्स का पता चल गया है, जिसने इन्हें इतना बड़ा धोखा दिया था. अमेरिकी खुफिया एजेंसी (फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) यानी एफबीआई के पूर्व एजेंट के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक ग्रुप ने इस रहस्य को आखिरकार सुलझा लिया है. इन्होंने पता लगाया है कि धोखा देने वाला शख्स ‘अर्नोल्ड वान डेन बर्घ’ (Arnold van den Bergh) नाम का यहूदी नोटरी था.((Anne Frank))

जांच टीम को सीधे तौर पर इससे जुडे़ सबूत तो नहीं मिले हैं, लेकिन उनका मानना है कि वान डेन बर्घ को यहूदी काउंसिल में काम करते हुए उन पतों (एड्रेस) की सूची के बारे में पता चल गया होगा, जहां यहूदी लोग छिपे हुए थे. और हो सकता है कि उसने अपने परिवार को बचाने के लिए इस जानकारी का खुलासा किया हो. शोधकर्ताओं को एनी के पिता ऑटो फ्रैंक को भेजे गए एक गुमनाम नोट की टाइप की हुई कॉपी भी मिली है. जिसपर फ्रैंक परिवार को धोखा देने वाले वान डेन बर्घ का नाम लिखा है. फ्रैंक परिवार जहां छिपा हुआ था, उस बिल्डिंग में एक बुक केस था. जिसे हटाने पर अंदर जाने का गुप्त रास्ता था. 4 अगस्त, 1944 को पुलिस ने छापेमारी में सबको गिरफ्तार कर लिया था.((Anne Frank))

बर्गन-बेल्सन कैंप में हुई मौत

सभी लोगों को यातना शिविरों में भेजा गया था (तस्वीर ट्विटर)

एनी को पहले ऑश्वित्ज भेजा गया और फिर बाद में बर्गन-बेल्सन कैंप, जहां एनी और उसकी बड़ी बहन मार्गो की 1945 में मौत हो गई. यानी दूसरा विश्व युद्ध खत्म होने से कुछ महीने पहले. परिवार में अकेले ऑटो फ्रैंक ही जीवित बचे थे. जिन्हें सेवियत सेना ने ऑश्वित्ज से रिहा कराया था (Anne Frank Explanation). एनी ने सीक्रेट एनेक्स में छिपे होने के दौरान एक डायरी लिखी थी, जिसे वो युद्ध खत्म होने के बाद पब्लिश कराना चाहती थी. उसका सपना एक लेखिका बनने का था. जब ऑटो फ्रैंक यातना शिविर से बाहर आए, तो उन्हें अपनी बेटी की डायरी मिली, जिसे उन्होंने पब्लिश कराया. ये डायरी 70 से अधिक भाषाओं में ट्रांसलेट हुई है. अमेरिका और यूरोप के लाखों लोगों की तरह ही भारत में स्कूली बच्चों ने भी एनी के बारे में पढ़ा है.((Anne Frank)) 

अब बात करते हैं, उनकी जिन्होंने इस रहस्य से परदा उठाया है. विन्सेंट पैनकोक (Vincent Pankoke) एफबीआई में इन्वेस्टिगेटर के तौर पर काम कर चुके हैं. जिन्होंने कोलंबियाई ड्रग कार्टेल का भंडाफोड़ करने और 9/11 अपहर्ताओं की गतिविधियों का पता लगाने जैसे बडे़ काम किए हैं. वह सेवानिवृत होने के बाद फिलहाल अमेरिका के फ्लोरिडा में रह रहे हैं. उनकी वजह से ही फ्रैंक परिवार से जुड़ा ये केस सुलझ पाया है. दुनियाभर के बच्चों की तरह पैनकोक ने भी एनी की कहानी स्कूल में पढ़ी थी. वह साल 2016 से ही नीदरलैंड में इस केस से जुडे़ सबूतों की तलाश कर रहे थे. इसके लिए उन्होंने लाखों दस्तावेजों की सटीकता से जानकारी लेने के लिए आधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया. उन्होंने पुलिस रिपोर्ट, नाजी जासूसों की सूची, खुफिया फाइलें, उनसे जुड़े कनेक्शन और नई लीड खोजने के लिए दिन रात एक कर दिए.

पैनकोक ने अहम जानकारी दी

अमेरिका के सीबीएस चैनल को दिए इंटरव्यू में पैनकोक ने कहा कि वह एनी और यहूदी नरसंहार के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने की कोशिश में थे. उन्होंने कहा, ‘मेरी टीम ने बैठकर उन तरीकों की एक सूची तैयार की जिनसे पता चल सके कि आखिर फ्रैंक परिवार को किसने धोखा दिया था. वान डेन बर्घ को सबसे संभावित अपराधी माना जा रहा है. हमने पहले 20 अलग-अलग सिनेरियो में 30 से अधिक संदिग्धों की पहचान की.’ पैनकोक ने कहा कि यह परिस्थिति से जुड़ा मामला है लेकिन उन्हें लगता है कि जांच में जो पता चला है, वही सच है.

उन्होंने ये भी कहा कि इस बात की संभावना कम है कि वान डेन बर्घ एनी के परिवार को व्यक्तिगत रूप से जानता था लेकिन उसने उनकी जानकारी नाजियों तक पहुंचाई थी. लेकिन बर्घ को ये नहीं पता था कि सीक्रेट एनेक्स में कौन सा परिवार छिपा हुआ है. उसे केवल एक यहूदी परिवार के छिपे होने की ही जानकारी थी (Anne Frank Family Members Name). पैनकोक ने वान डेन बर्घ को ‘चेस प्लेयर’ बताते हुए कहा कि उसने ऐसा अपने परिवार की रक्षा के लिए किया होगा. बर्घ की 1950 में मौत हो गई थी.

ऑटो फ्रैंक को सब पता चल गया था

एनी के पिता सब पता होते हुए भी चुप रहे (तस्वीर ट्विटर)

एनी के पिता ऑटो फ्रैंक की 1980 में मौत हुई. उन्होंने भी मरने से पहले लगातार उस शख्स के बारे में पता लगाने की कोशिश की थी. जिसने उनके परिवार को धोखा दिया. ऐसी संभावना है कि उन्हें इस बारे में पता चल गया था, लेकिन उन्होंने सार्वजनिक तौर पर सामने आकर इसका खुलासा नहीं किया और चुप रहे. उनमें यहूदी विरोधी विचारों को लेकर डर उत्पन्न हो गया था. क्योंकि धोखा देने वाला भी खुद यहूदी ही था. इसलिए उन्होंने चुप रहना बेहतर समझा.

जांच में सामने आई जानकारी को कनाडाई लेखक रोजमैरी सुलिवान की किताब में प्रकाशित किया गया है. सुलिवान ने भी वान डेन बर्घ को युद्ध का पीड़ित बताया और कहा कि वह खुद एक मुश्किल स्थिति में था. इसलिए इतिहास को उसे कठोरता के साथ जज नहीं करना चाहिए. हालांकि कुछ इतिहासकार इस खुलासे से खुश नहीं हैं. उनका कहना है कि पर्याप्त सबूतों के अभाव में ये मान लेना कि वान डेन बर्घ ही दोषी है, ये सही नहीं है.



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