बस्तर जिले मे शव दफनाने का आया मामला, हाईकोर्ट ने की तत्काल सुनवाई मिला मसीही ईसाई मानने वाले पुत्र को संवैधानिक अधिकारो का हक, देश, गांव,कानून बाबा भीमराव अम्बेडकर के भारतीय संवीधान से चलता है, कोई मौखिक या गैर संवैधानिक फरमान से नहीं - नरेन्द्र भवानी
बस्तर जिले के ग्राम पंचायत छिंदबाहर के बुजुर्ग का हुवा था मृत्यु, लाश गाढ़ने मे अपने मिट्टी पर लगा था रोक, लिए शरण हाई कोर्ट का,मिला न्याय, पुत्र अपनी पुश्तैनी जमीन मे दफनायेगा पिता का शव, भारतीय संविधान अनुच्छेद 21 मे मिले अधिकार को पीड़ितों ने छीनकर किया हासिल, संविधान के रखवाले देखते रह गए मुँह हुवा न्याय का जीत - नरेन्द्र भवानी
जगदलपुर : मामले मे छत्तीसगढ़ युवा मंच के संस्थापक व कांग्रेस पार्टी के नेता नरेन्द्र भवानी ने बयान जारी कर कहा है की, बीते कुछ वर्षो से बस्तर मे षड़यंत्र कारियों द्वारा धार्मिक जहर घोलकर धर्म के नाम पर राजनीति लाभ लेने के मकसद से, लगातार आदिवासी वरसेस आदिवासी को धर्म के नाम पर लड़ाया जा रहा है, और लाभ लेने के सपने देख रहा है, और कई हद तक अपना काम मे वह षड़यंत्र कारी सफल भी हो रहें थे, पर अब नहीं बस्तर के आदिवासी जाग रहें है, और अपने भारतीय संविधान मे मिले अधिकारो को भी समझ रहें है, क्यूंकि देश,गांव,कानून भारतीय संविधान से चलता है, किसी फरमान या धार्मिक विरोध या समाजिक बहिष्कार करने जैसे कृत्यो से नहीं !
भवानी ने आगे बताया है की बस्तर मे लगभग सभी ब्लॉक गांव मे आजकल विशेष धर्म को मानने वाले लोगो को तिरिस्कृत किया जा रहा है, उनके मौलिक अधिकारो का हनन किया जा रहा है, लगातार उनके घरों को, फसलों को, जमीनों को, फल देने वाले पेड़ो को धर्म के नाम पर झगड़ा लड़ाई मारपीट करके लूटने का काम किया जा रहा है, पर किसी प्रकार का कोई कार्यवाही नहीं, ना ही कोई शिकायत पर सुनवाई, और इसी लिए बस्तर इलाके मे संवीधान का होता रहा था हत्या !
वही भवानी ने आगे बताया है की अप्रेल माह के 25 तारीख को बस्तर जिले के ग्राम पंचायत छिंदबाहर के मसीही ईसाई मानने वाले मृत जिनका ईश्वर कोर्राम था उनकी डिमरापाल अस्पताल मे मृत्यु हो गया जिसके बाद परिजनों ने अंतिम संस्कार हेतु अपने गांव अपने माटी की ओर गांव की ओर निकले, किन्तु पोलिस द्वारा शव वाहन को बिच मे ही रोक दिया गया, क्यूंकि उसी शव दफ़न के कारण उस गांव मे विरोध का माहौल इनके ही कुटुंब के लोग बनाए हुवे थे, जिसके पोलिस शव को गांव ले जाने नहीं दिए,जिसके बाद शव को दुबारा अस्पताल के फ्रिज मे रख दिया गया पुरे तीसरे दिन तक शव अस्पताल मे ही था, परिजनों को भी 26 अप्रेल से ही गांव से बहार जाकर छुपना पड़ा था, क्यूंकि उन्ही के कुटुंब के लोग पीड़ित परिवार को मारने पीटने व विशेष कागज़ पर हस्ताक्षर करने का दबाव बना रहें थे !
वही भवानी बताया है की और एक समूह मृत बुजुर्ग के पुत्र सार्तिक कोर्राम न्याय की आश मे, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाई कोर्ट मे अपनी याचीका दाखिल किये जिसके बाद जस्टिस राकेश पांडेय जी के बेंच मे महत्वपूर्ण फैसला लेते हुवे अवकाश के दिन निर्णय लिए और कहा की याचीकाकर्ता सार्तिक कोर्राम मृतक ईश्वर कोर्राम का बेटा है जिसकी अचानक सांस लेने मे तकलीफ के कारण गत 25 अप्रेल को डिमरापाल अस्पताल परपा जिला बस्तर मे मृत्यु हो गई, याचीकाकर्ता और उसका परिवार ईसाई मसीही को मानते है और उसका प्रचार भी करते है! पिता की मृत्यु के बाद जब वें शव ग्राम छिंदबहार ले जाने की व्यवथा एम्बुलेंस मे कर रहें थे, तब थाना प्रभारी परपा ने रोका और उसे ग्राम छिंदबहार मे शव को न दफन करके कही और ले जाने को कहा, क्यूंकि उक्त गांव एक हिन्दू बहुल गांव है, और वहां कोई अलग जगह नहीं है!याचीकाकर्ता ने एस.एच.ओ. और पी.एस. से अनुरोध भी किये, उनसे शव को ग्राम छिंदबाहर ले जाने की अनुमति भी मांगे लेकिन उन्हें ऐसी कोई अनुमति नहीं दी गई! 26 अप्रेल को कलेक्टर, जिला बस्तर और एस. पी. जिला बस्तर को भी अभ्यावेदन दिया गया लेकिन सम्बंधित अधिकारियों ने कोई कार्यवाही नहीं की! शव मेडिकल कॉलेज, जगदलपुर के शव गृह मे पड़ा रहा, इसके बाद पीड़ितों हाई कोर्ट का शरण लेते हुवे अर्जेन्ट हियरिंग का अनुरोध किया गया, जिसके बाद जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की बेंच मे शनिवार शाम 6:30 बजे सुनवाई हुई, जस्टिस पांडेय ने याचीकाकर्ता को अपने पिता के शव को ग्राम छिंदबाहर मे 28 अप्रेल को अपनी जमीन पर दफनाने की अनुमति दी गई !
भवानी ने आगे कहा है की अगर बस्तर जिले समेत पुरे छत्तीसगढ़ मे सरकार जिला प्रशासन संविधान का परीपालन कराने मेहनत करेंगे तो निश्चित रूप से हो रहें लोगो के मौलिक अधिकारो का हनन की घटनाओ पर कमी आयेही ऐसे अपने अधिकारो को लेने कोर्ट जाना नहीं पड़ेगा आशा करते है बस्तर जिले मे अब इस आदेश के बाद पूरा सम्मान से अंतिम संस्कार करने का अधिकार अब मसीही ईसाई मानने वालों को मिलेगा नहीं फिर जाना पड़ेगा कोर्ट !