बिलासपुर। आईपीएस जीपी सिंह को बड़ी राहत मिल गयी है। बर्खास्त आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ पूर्व कांग्रेस सरकार द्वारा दर्ज की गई तीनों एफआईआर को हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। बुधवार को हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई में तीनों एफआईआर को द्वेषपूर्ण कार्यवाही का हिस्सा मानते हुए रद्द करने का आदेश दिया है।
1994 बैच के आईपीएस जीपी सिंह वर्तमान में बर्खास्त हैं। उनके खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो में आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया था। इसके अलावा भिलाई के सुपेला थाने में एक्सटॉर्शन का मामला और रायपुर में राजद्रोह का मामला भी दर्ज किया गया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। तीनों मामलों में जीपी सिंह 120 दिन जेल में भी रहे थे। सभी मामलों को रद्द करने के लिए हाई कोर्ट में जीपी सिंह ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
बुधवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई में चंडीगढ़ के सीनियर काउंसिल वर्चुअल उपस्थित हुए। जीपी सिंह के अधिवक्ताओं ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में बताया कि जिस व्यक्ति से गोल्ड सीज हुआ है उस व्यक्ति को एसीबी ने आरोपी नहीं बनाया है, जबकि उक्त गोल्ड को जीपी सिंह का बता उन्हें आरोपी बना दिया गया। जिस स्कूटी से गोल्ड की जब्ती बनाई गई है वे भी जीपी सिंह और उनके परिजनों के नाम पर रजिस्टर्ड नहीं है। इसके अलावा सुपेला में दर्ज एक्सटॉर्शन के मामले में बताया गया कि यह सालों बाद बदले की कार्यवाही के तहत दर्ज करवाई गई है। कई सालों बाद मामला दर्ज होने से मामला समझ से परे है। राजद्रोह के मामले में अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि जिन कटे फटे कागज के जीपी सिंह के ठिकाने से मिलने के आधार पर उन्हें राजद्रोह का आरोपी बनाया गया है। उन कागजों से कोई भी षड्यंत्र परिलक्षित नहीं होता। एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा अदालत में पेश किए गए जवाब में भी स्पष्ट है कि उक्त कागज के टुकड़ों की रेडियोग्राफी में कोई भी स्पष्टता नहीं है। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने जीपी सिंह के खिलाफ दर्ज तीनों मामलों को रद्द कर दिया। याचिकाकर्ता की ओर सेचंडीगढ़ के सीनियर काउंसिल रमेश गर्ग वर्चुअल उपस्थित हुए। अधिवक्ता हिमांशु पांडेय ने फिजिकली उपस्थित होकर तर्क पेश किया।
8 जुलाई की रात को उनके खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज कराया था। आरोप था कि जीपी सिंह सरकार गिराने की साजिश रच रहे थे। 9 जुलाई 2021 को जीपी सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर CBI जांच की मांग की थी। मामले की जांच के बाद 11 जनवरी 2022 को जीपी सिंह को नोएडा से गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद उन्हें मई 2022 में जमानत मिली गई।
आईपीएस जीपी सिंह को कैट (Central Administrative Tribunal, केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ) से भी राहत मिल चुकी है। कैट ने चार हफ्तों के भीतर आईपीएस जीपी सिंह से जुड़े सभी केसों का निराकरण कर उन्हें बहाल करने का आदेश दिया था। जीपी सिंह 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और उन्हें राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जुलाई 2023 में अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी।
एक जुलाई को एसीबी की टीम ने रायपुर पुलिस लाइन स्थित सरकारी बंगले पर छापामार कार्रवाई की थी। इसके अलावा राजनांदगांव और ओडिशा में जीपी सिंह के 15 अन्य ठिकानों पर भी छत्तीसगढ़ एसीबी ने दबिश दी थी। इस कार्रवाई में जीपी सिंह के खिलाफ 10 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति मिलने का दावा एसीबी ने किया था। इसके अलावा छापे में कई दस्तावेज भी एसीबी को मिले थे। दस्तावेजों के आधार पर एसीबी ने भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज किया था।
राज्य सरकार ने 5 जुलाई 2021 को उन्हें निलंबित कर दिया था और उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया था।
मामले की जांच के बाद 11 जनवरी 2022 को जीपी सिंह को नोएडा से गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उन्हें मई 2022 में जमानत मिली। सर्विस रिव्यू कमेटी की सिफारिश पर 21 जुलाई 2023 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आईपीएस जीपी सिंह को अनिवार्य सेवानिवृति दे दी थी।
बर्खास्त आईपीएस जीपी सिंह को बहाल करने के आदेश केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने दिए थे। जिसके परिपालन में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को बहाली प्रस्ताव भेजा था। पर केंद्र सरकार ने अब तक आदेश जारी नहीं किए हैं। दिल्ली हाई कोर्ट में कैट के फैसले के खिलाफ अपील कर दी है। जिसका निराकरण होने के बाद जीपी सिंह की बहाली हो पाएगी।