climate change research world news
Climate Change: इतिहास बताता है कि प्रजातियां अपने बदलते परिवेश के अनुकूल होने के लिए विकसित हुई हैं. मौजूदा समय में वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर आसमान छू रहा है और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) भी तेजी हो रहा है. इसको लेकर अब कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मनुष्य गर्म दुनिया का बेहतर ढंग से सामना करने के लिए विकसित होंगे. इस बात को एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी ने कहा है. यूनिवर्सिटी में जीवाश्म विज्ञान के एक प्रोफेसर स्टीव ब्रूसेट को उम्मीद है कि जलवायु परिवर्तन की स्थिति में जीवित रहने के बेहतर अवसर के लिए मनुष्य धीरे-धीरे सिकुड़ जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर तापमान (Temperature) वास्तव में तेजी से बढ़ता है तो इंसान बौना हो सकता है.(climate change research world news)
उन्होंने घोड़ों की प्रजातियों का उदाहरण दिया है. ब्रुसेट ने होमो फ्लोरेसेंसिस का उदाहरण देते हुए कहा कि इंडोनेशियाई द्वीप फ्लोर्स में लगभग 50 हजार से एक लाख साल पहले लोगों की हाइट सिर्फ 3.5 फीट ही थी. हमारी प्रजाति अन्य जानवरों के लिए हानिकारक रही है. उन्होंने आगे कहा कि अगर आप एक कोई जानवर गैंडे, हाथी या शेर होते, तो शायद इंसानों को पसंद नहीं करते. 2021 के एक अध्ययन में सामने आया कि तापमान और शरीर के आकार के बीच संबंध होता है. हालांकि, तापमान का मस्तिष्क के साइज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. प्रोफेसर स्टीव ब्रूसेट ने बताया कि तापमान बढ़ने से संसाधनों के अनुसार मनुष्य या अन्य स्तनधारी भी छोटे होते जाएंगे.(climate change research world news)
‘गर्म क्षेत्रों में स्तनधारी ठंडे क्षेत्रों में स्तनधारियों की तुलना में छोटे होते हैं’
अपनी किताब, ‘द राइज एंड रीगन ऑफ द मैमल्स’ में ब्रुसेट बताते हैं कि गर्म क्षेत्रों में स्तनधारी ठंडे क्षेत्रों में स्तनधारियों की तुलना में छोटे होते हैं. उन्होंने कहा, ‘यह कहना सही नहीं है कि मैमल की हर प्रजाति छोटी हो जाएगी.’ ब्रुसेट ने ‘द गार्जियन को बताया कि अगर तापमान वास्तव में तेजी से बढ़ता है तो इंसान बौना हो सकता है. इस दौरान उनसे पूछा गया कि क्या इंसान छोटे हो सकते हैं. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह निश्चित रूप से संभव है.(climate change research world news)
जलवायु परिवर्तन को लेकर दूसरे एक्सपर्ट ने क्या बताया
ब्रुसेट के अलावा लंदन में प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के एक जीवाश्म विज्ञानी एड्रियन लिस्टर ने कहा कि अगर ऐसा होने जा रहा है तो आपको जलवायु परिवर्तन के कारण बड़े पैमाने पर मरने वाले लोगों को फिर से ढूंढना होगा. आज की दुनिया में ऐसा नहीं हो रहा है. उनके मुताबिक आज के समय में ज्यादा गर्मी होने पर हमारे पास पहनने के लिए कपड़े और ठंडी हवा करने के लिए एसी है.(climate change research world news)