जैव विविधता को बचाने के लिए जबलपुर में जुटे देशभर के पर्यावरण योद्धा :

लखनपुर//सितेश सिरदार ✍️

 

भारत के हृदय स्थली में बसे मध्यप्रदेश राज्य के छतरपुर जिला अंतर्गत बक्सवाहा जंगल है। साढ़े सात करोड़ की आबादी वाला राज्य में 75 लाख लोगों को प्राणदायी ऑक्सीजन देने वाला बकस्वाहा जंगल का अस्तित्व खतरे में है। जैसा कि सभी जानते हैं कि एक स्वस्थ वृक्ष 230 लीटर ऑक्सीजन देता है। और यहां पर सवा दो लाख पेड़ काटा जाना है वह भी रख तुच्छ हीरे के लिए जिसका उपयोग विश्व की आबादी का 0.01% भी लोग नही करते और उसका कोई रीसेल भैल्यु नही है।

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एक अनुमान के अनुसार बक्सवाहा के जंगल में 34.2 करोड़ कैरेट के हीरे मिले हैं। हालांकि इन हीरों को पाने के लिए इस जंगल के बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों- हर्बल पौधों और अन्य पेड़ों को काटना होगा। खनन परियोजना 382.131 हेक्टेयर की है जिससे जंगल का विनाश तय है।

 

स्थानीय नागरिकों के जीविका :

 

जंगल के प्राकृतिक संसाधन करीब 8,000 आदिवासियों की आजीविका प्रदान करते हैं। पर्यावरणीय क्षति और पीढ़ियों से यहां रहने वाले आदिवासी लोगों की बेदखली का हवाला देते हुए वर्ष 2014 में इस परियोजना का जोरदार विरोध किया गया था। लेकिन पुनः वर्ष 2019 में मध्य प्रदेश सरकार ने खनन परियोजना के लिए जंगल की नीलामी का टेंडर जारी किया और आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सबसे ज्यादा बोली लगाकर निविदा अपने नाम कर ली। मध्य प्रदेश सरकार ने 62.64 हेक्टेयर क़ीमती वन भूमि बिड़ला समूह को अगले पचास वर्षों के लिए पट्टे पर दी है। प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सिंह की गलतियों को सुधारने के स्थान पर अब तक कोई सकारात्मक पहल नही किया है, जिसकारण देश मे खासा रौस व्याप्त है।

 

वन विभाग की जनगणना के अनुसार बक्सवाहा के जंगल में 2,15,875 पेड़ हैं। इस उत्खनन को करने के लिए सागौन, केन, बेहड़ा, बरगद, जम्मू, तेंदु, अर्जुन, और अन्य औषधीय पेड़ों सहित जंगल के प्राकृतिक संसाधनों का खजाना, जो कुल मिलाकर 2,15,875 तक है, को काटना होगा। इसके साथ ही वन्य जीव, पशु - पक्षी के साथ 22000 वर्ष पुरानी शैलचित्र का अस्तित्व भी खतरे में आ गया है।

 

संरक्षण हेतु आगे आए अनेक पर्यावरण संस्था :

 

विगत दो माह पूर्व इसकी कटने की पुनः सूचना मिलते ही देश के पर्यावरण योद्धाओ ने इसके संरक्षण हेतु अभियान चलाना प्रारंभ किया और *जंगल बचाओ अभियान (विभिन्न संगठनों के राष्ट्रीय समन्वय समिति)* का गठन कर सैकड़ो संस्थान एक आवाज में बकस्वाहा जंगल को बचाने की दिशा में एकजुट हुए और आज देश - विदेश के करीब लाखो लोग प्रतिदिन शोशल साइट्स, इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट मीडिया सहित धरातल पर कार्यरत हैं।

          इसी अभियान के तहत पर्यावरण संरक्षकों की एक समूह ने बकस्वाहा जंगल के निरीक्षण कर धरातल की सच्चाई को जाना और तीन दिवसीय यात्रा की घोषणा की गई जिसमें देश के करीब 20 राज्यों से पर्यावरण योद्धाओ का महाजुटान नर्मदा बचाओ अभियान से समर्थ गुरु भैया जी सरकार के संरक्षण में जबलपुर में दिनाँक 01, 02 एवं 03 अगस्त 2021 को हुआ है। इस कार्यक्रम के तहत सभी पर्यावरण योद्धा 01 अगस्त को जबलपुर में पहुंचे और कृषि महाविद्यालय के आडोटोरिय में विचार विमर्श किया। और 02 अगस्त को सुबह नर्मदा नदी में पुजा अर्चना कर कैलाश धाम में पुजा, अर्चना और वृक्षारोपण किया एवं दोपहर को ही पुनः आडोटोरियत में आकर संगोष्ठी मे बकस्वाहा जंगल के संरक्षण पर अपनी अपनी बिचार रखें।आडोटोरियम में ही अपने अपने क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण पर कार्य करने के क्या क्या परेशानियों का सामना करना पड़ता है पुरी जानकारी प्रदान की। दिनांक 3अगस्त को सभी पर्यावरण संरक्षण रक्षा हेतु बस्वाहा जंगल जो जिला छतरपुर में है भ्रमण के लिए जाएंगे और वही पर बैठक करेंगे, और वृक्षों में रक्षा के लिए रक्षा सूत्र बांधेगे।फिर 03 अगस्त को वापस जबलपुर में आकर ही विशाल पर्यावरण संरक्षण हेतु कार्यशाला की जाएगी जिसमें देश के कई बड़े पर्यावरण योद्धा सहित बकस्वाहा जंगल के संरक्षण सहित देश के सभी हिस्सों में प्रकृति संरक्षण हेतु उद्घोष करेंगे। इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट दिल्ली, हाई कोर्ट मध्यप्रदेश और NGT में दायर मुक़दमे की वकालत कर रहे अधिवक्ताओं का एक समूह भी उपस्थित रहा। जो इसकी बारीकियों पर विस्तृत प्रकाश डाला ।इस कार्यक्रम में झारखंड से कमलेश कुमार सिंह, गुलाबचंद अग्रवाल, मध्यप्रदेश से भूपेंद्र सिंह, करुणा रघुवंशी, बिहार से संजय कुमार बबलू, छतीसगढ़ से छत्तीसगढ़ शबरी सेवा संस्थान लखनपुर जिला सरगुजा के प्रदेश सचिव सुरेंद्र साहू, छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष तनु साहू, शकुंतला साहू, खट्टी धमतरीसे सन्ध्या साहू, कुमकुम साहू जमगला जागृति युवा संगठन समिति सरगुजा के रामनारायण सिंह,भीरू सिंह पैकरा उत्तर प्रदेश से टी के सिन्हा, महाराष्ट्र से महेंद्र घाघरे, सहित सैकड़ों की संख्या में धरातल पर कार्य कर रहे पर्यावरण योद्धाओ का समागम है।कार्यक्रम के अंत मे सभी पर्यावरण पर कार्य करने वाले योद्धाओ को सम्मानित भी किया जाएगा।



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