नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए डीएपी पर प्रति बोरी सबसिडी 700 रुपये बढ़ा दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘गहरे समुद्र मिशन’ को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी। इससे समुद्री संसाधनों की खोज और समुद्री प्रौद्योगिकी के विकास में मदद मिलेगी। सरकार ने आगामी खरीफ सीजन को देखते हुए डीएपी पर सबसिडी भी 700 रुपये प्रति बोरी बढ़ा दी है।
अभी तक किसानों को 500 रुपये प्रति बैग की सब्सिडी मिलती थी। यानी अब किसानों को 1200 रुपये प्रति बैग के हिसाब से सब्सिडी मिलेगी। इससे किसानों को डीएपी खाद पहले की तरह ही 1200 रुपये में मिलेगी और कंपनियों की तरफ से बढ़ाई गई कीमत का उन पर कोई असर नहीं होगा।
केंद्रीय रसायन व उर्वरक मंत्री मनसुख लाल मंडाविया ने बताया कि केंद्र सरकार ने डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी) उर्वरक पर प्रति बैग 700 रुपये सबसिडी बढ़ा दी है। इससे सरकारी खजाने पर 14,775 करोड़ रुपये का बोझ आएगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं को बताया कि गहरे समुद्र के तले एक अलग ही दुनिया है। पृथ्वी का 70 प्रतिशत हिस्सा समुद्र है। उसके बारे में अभी बहुत अध्ययन नहीं हुआ है।
उन्होंने बताया कि सीसीईए ने 'गहरे समुद्र संबंधी मिशन' को मंजूरी प्रदान कर दी है। इससे एक तरफ ब्लू इकोनॉमी को मजबूती मिलेगी साथ ही समुद्री संसाधनों की खोज और समुद्री प्रौद्योगिकी के विकास में मदद मिलेगी। जावड़ेकर ने बताया कि समुद्र में 6000 मीटर नीचे कई प्रकार के खनिज हैं। इन खनिजों के बारे में अध्ययन नहीं हुआ है। इस मिशन के तहत खनिजों के बारे में अध्ययन एवं सर्वेक्षण का काम किया जाएगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उर्वरक विभाग ने प्रस्ताव किया था कि वर्ष 2021-22 (मौजूदा मौसम तक) के लिये पी-एंड-के उर्वरकों पर पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी तय कर दी जाये। भारत सरकार उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है, खासतौर से यूरिया और 22 ग्रेड वाले पी-एंड-के उर्वरकों की, जिसमें डीएपी भी शामिल है। ये उर्वरक किसानों को सब्सिडी के आधार पर उर्वरक निर्माताओं/आयातकों से मिलेंगे। पी-एंड-के उर्वरकों पर सब्सिडी एनबीएस योजना के आधार पर दी जा रही है, जो एक अप्रैल, 2010 से प्रभावी है। किसान-समर्थक भावना के साथ सरकार इस बात के लिये प्रतिबद्ध है कि पी-एंड-के उर्वरक की उपलब्धता किसानों को सस्ती दरों पर सुनिश्चित की जाये। यह सब्सिडी एनबीएस दरों पर उर्वरक कंपनियों को जारी की जायेगी, ताकि किसानों को सस्ती कीमत पर उर्वरक मिल सके।
पिछले कुछ महीनों में डीएपी और अन्य पी-एंड-के उर्वरकों के कच्चे माल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तैयार डीएपी आदि की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। कीमतें तेजी से बढ़ने के बावजूद भारत में डीएपी की कीमतें शुरूआत में कंपनियों ने नहीं बढ़ाई थीं, हालांकि कुछ कंपनियों ने इस वित्त वर्ष की शुरूआत में डीएपी की कीमत में इजाफा किया था। किसानों की चिंताओं से सरकार पूरी तरह अवगत है और उन चिंताओं के प्रति संवेदनशील है।
सरकार हालात से निपटने के लिये कदम उठा रही है, ताकि किसान समुदाय को पी-एंड-के उर्वरकों (डीएपी सहित) की बढ़ती कीमतों के दुष्प्रभाव से बचाया जा सके। इस सिलसिले में पहले कदम के तहत सरकार ने सभी उर्वरक कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे किसानों के लिये बाजार में इन उर्वरकों की समुचित उपलब्धता सुनिश्चित करें। सरकार देश में उर्वरकों की उपलब्धता की निगरानी कर रही है। डीएपी की कीमतों के हवाले से, सरकार पहले ही उर्वरक कंपनियों को आदेश दे चुकी है कि वे डीएपी आदि के अपने पुराने स्टॉक को पुरानी कीमतों पर ही बेचें। इसके अलावा सरकार ने यह भी गौर किया था कि देश और उसके नागरिक (किसानों सहित) ऐसे अप्रत्याशित दौर से गुजर रहे हैं, जब अचानक देश में कोविड महामारी की दूसरी लहर का कहर बरस रहा हो।
भारत सरकार कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों को होने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुये कई विशेष पैकेजों की घोषणा कर चुकी है। इसी तरह, भारत में डीएपी की कीमतों का संकट भी असाधारण है और किसान दबाव में आ गया है। भारत सरकार ने किसानों के लिये विशेष पैकेज के रूप में एनबीएस योजना के तहत सब्सिडी की दरें बढ़ा दी हैं। ये दरें इस तरह बढ़ाई गई हैं कि डीएपी (अन्य पी-एंड-के उर्वरकों सहित) की खुदरा कीमतों को मौजूदा खरीफ मौसम तक पिछले वर्ष के स्तर पर ही रखा जाये। कोविड-19 पैकेज की तरह यह भी एकबारगी उपाय है, ताकि किसानों की कठिनाइयों को कम किया जा सके। चंद महीनों में अंतर्राष्ट्रीय कीमतों के नीचे आने की संभावना को देखते हुये भारत सरकार हालात का जायजा लेगी और उसके अनुसार स्थिति को देखते हुये सब्सिडी दरों के सम्बंध में फैसला करेगी। अतिरिक्त सब्सिडी की इस व्यवस्था से लगभग 14,775 करोड़ रुपये के बोझ का अनुमान है।