बिलासपुर। छत्तीसगढ़ का बिलासपुर जिला आसपास प्राचीन वैभव समेटे हुए कई पुरातात्विक महत्व के धरोहर हैं तो रतनपुर में प्रसिद्ध सिद्ध शक्तिपीठ मां महामाया का मंदिर है। महामाया मंदिर से लगे करीब एक किलोमीटर आगे कोरबा रोड पर गिरिजाबंध सिद्ध पीठ हनुमान जी का मंदिर है। दक्षिणमुखी हनुमानजी की प्रतिमा में ऐसी अलौकिक है कि लोग उन्हें देखते ही खो जाते हैं।
रतनपुर महामाया मंदिर के पं0 संतोष शर्मा बताते हैं कि 13वीं शताब्दी में कल्चुरी राजवंश के राजा पृथ्वीपाल ने हनुमान मंदिर का निर्माण कराया था। याने 1100 साल प्राचीन मंदिर है गिरिजाबंध हनुमान मंदिर। सिद्ध पीठ हनुमान मंदिर के अगल-बगल गिरिजा नाम का तालाब है। तालाब के बीच बांध पर यह मंदिर स्थित है। इसलिए गिरिजाबंध हनुमान मंदिर नाम पड़ा। हालांकि, बोलचाल में लोग अब गिरिजावन बोलने लगे हैं।
गिरिजाबंध मंदिर में दक्षिणमुखी हनुमान जी की ऐसी जीवंत प्रतिमा है कि लोग सामने खड़े होकर सब कुछ भूल जाते हैं। लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर में बजरंग बली के दर्शन से सारे कष्टों का निवारण होता है।
गिरिजाबंध हनुमान मंदिर का अब जीर्णोद्धार किया जा रहा है। रतनपुर के तारकेश्वर पुरी इस मंदिर के पुजारी हैं। उन्हीं के देखरेख में इस मंदिर को भव्य रुप दिया जा रहा है। मंदिर पर नक्काशी करने के लिए उड़ीसा से कलाकार बुलाए गए हैं, जो दिन रात काम में लगे रहते हैं। जिस रुप में मंदिर बन रहा है, उससे बराबर छत्तीसगढ़ में कोई हनुमान मंदिर नहीं है। हालांकि, कुछ लोगों का दावा है कि मध्य भारत का पहला हनुमान जी का इतना भव्य मंदिर होगा। हनुमान जी के बड़े मंदिर ज्यादातर इलाहाबाद, पटना समेत दक्षिण के राज्यों में हैं।