बिलासपुर। हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अनुकंपा नियु्क्ति को लेकर फैसला बिलासपुर हाईकोर्ट ने दिवंगत प्रधान पाठक के पुत्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। परिवार में शासकीय सेवा में रहने के बावजूद अनुकंपा नियुक्ति दिया जा सकता है। हाईकोर्ट ने इस मामले कहा है कि परिवार में शासकीय सेवक हैं। तो भी अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने आदेशित किया कि आवेदन पत्र पर निर्णय करने से पहले यह जांच करना जरूरी है कि अगर परिवार का कोई सदस्य शासकीय सेवा में है तो वह अलग रह रहा है या साथ में रहता है। वह आर्थिक मदद करता है या नहीं। इसी तरह आवेदन करने वाला मृतक पर आश्रित था या नहीं। इन बिन्दुओं की जांच किए बिना आवेदन पत्र निरस्त करना अवैधानिक है। जस्टिस पी सैम कोशी ने जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश को निरस्त कर दिया है।
साथ ही उनके आवेदन पत्र को दोबारा जिला शिक्षा अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करने और जिला शिक्षा अधिकारी को प्रकरण की जांच कर इसका विधिवत निराकरण करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने आदेश में कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति के नियम के अनुसार यदि परिवार का कोई सदस्य शासकीय सेवा में है तो उसे अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता नहीं होगी। लेकिन सिर्फ परिवार के सदस्य शासकीय सेवक हैं इसे आधार मानकर आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता।
रायगढ़ जिले के तमनार विकासखंड के ग्राम झरियापाली निवासी नरेंद्र साहू ने अपने वकील अनादि शर्मा के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उनके पिता जगदीश साहू प्रधान पाठक के पद पर शासकीय माध्यमिक शाला रेंगालबहरी में पदस्थ थे। कार्य के दौरान 20 दिसंबर 2020 को उनका निधन हो गया। इस पर उनके बेटे नरेंद्र साहू ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए विभाग में आवेदन प्रस्तुत किया।
उनके आवेदन को जिला शिक्षा अधिकारी ने यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि उनके भाई शासकीय सेवा में है। जिला शिक्षा अधिकारी के इस निर्णय को उन्होंने अधिवक्ता अनादि शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी। इसमें बताया गया कि याचिकाकर्ता दो भाई व एक बहन हैं, सभी विवाहित हैं। उसका भाई आरईओ के पद पर पदस्थ है, जो अपने परिवार के साथ उनसे अलग रहता है। जबकि याचिकाकर्ता अपनी मां, दादा, पत्नी और बच्चे के साथ अलग रहता है।
शासकीय सेवक भाई द्वारा यााचिकाकर्ता के परिवार को कोई आर्थिक सहायता नहीं दी जाती है। पिता के निधन के समय व पूर्व से याचिकाकर्ता पूरी तरह अपने पिता पर ही आश्रित थे, लेकिन तमनार ब्लॉक शिक्षाधिकारी और रायगढ़ जिला शिक्षाधिकारी ने आवेदक के आवेदन को बिना जांच पड़ताल के सिर्फ भाई के शासकीय सेवा में होने को आधार मानकर आवेदनपत्र निरस्त कर दिया। इस मामले की सुनवाई जस्टिस पी सैम कोशी की सिंगल बेंच में हुई।