NBL, 03/06/2023, Lokeshwer Prasad Verma Raipur CG: Indian Muslim League was never secular before and will never be because it is a separatist organization created by Jinnah, which divided India's unity and integrity, Rahul Gandhi's statement is vote bank politics.
देश का नेता कुछ भी बोले और हम आम नागरिक उनके बातों को मान ले ये सरासर बेईमानी है अपने आप के लिए भी और समाज के लिए भी इसलिए कुछ जानकारी खुद को रखना बहुत जरूरी है, ताकि हम स्वयम समाज के जानकार लोगों के बीच हँसी का पात्र ना बने और हमारे अनुभव हिंन बातों का मजाक ना उड़ा कर रख देवे देश समाज के अंदर इसलिए आप अपने बातों को सोच विचार कर बोलिए ताकि आपके बातों में वजन रहे, देश दुनिया के लोगों के दिलों मे प्रभाव डाले आपके शब्द और लोगों को नया अनुभव मिले हवा हवाई में कभी बात नही करना चाहिए जो समाज के लोग आपके इन बिना तथ्य वाली बातों को ट्रोल करे या मजाक उड़ाए, यही आज कांग्रेस नेता राहुल गाँधी जी विदेशी भूमि पर जा कर मुस्लिम लीग को सेक्युलर बता दिया, जबकि इस इंडियन मुस्लिम लीग में एक भी हिंदू सदस्य या हिंदू विधायक या हिंदू सांसद नही है यह पूरी तरह से अलगाव वादी संगठन है तो सेक्युलर कैसे हुआ सवाल तो बनता है।
पहले सेक्युलर का परिभाषा तो जानिए सेक्युलर किसे कहते हैं तब कुछ अंजान लोगों को समझ में आयेगा नही तो अंध भक्त लोग अपने नेताओं की बातों को ही सही मानते हुए अपोजिशन नेताओं या देश के भोले भाले लोगों के साथ उलझते रहेंगे...
सेक्युलर या सेकुलरिज्म एक बहुत बढ़िया विचारधारा है, जो शासन के लिए एक नैतिक दायित्व की तरह है, बहुत बार हम सेकुलरिज्म और नास्तिकता को एक ही समझ बैठते है, जबकि ऐसा नहीं है। पहले हम देखते है सेक्युलर होने के चार प्रमुख शर्त क्या है और दूसरा सेक्युलर शब्द भारत में दक्षिणपंथी पार्टियों के निशाने पर क्यों रहता है, और क्या भारत के तथाकथित लोग सेक्युलर है भी या नही..
सभी धर्मो से तठस्थ रहना, अर्थात किसी धार्मिक विश्वास की न तारीफ करना न उसकी निंदा करना, यदि आप एक सेक्युलर ईसाई है तो आप चर्च न जाते हो, पर इसका अर्थ ये नही है की आप चर्च जाने वाले को बुरा भला कहे, या ईसाइयत को भी कुछ बुरा भला कहे या आप एक हिंदू है तो आप भले ही मंदिर न जाते हो पर इसका मतलब ये नही की आप दूसरो पर भी इस बात को थोपे की वो भी मंदिर न जाए, या उनकी निंदा करे, अर्थात आप क्या मानते है इसे अपने तक रखे..
इहलोक में विश्वास करना, इसी लोक में विश्वास करना इसलिए एक धर्म निरपेक्ष या सेक्यूलर व्यक्ति न ईश्वर के होने में और ना होने में ही विश्वास करता है, उनका ज्ञान अनुभव पर आधारित होता है...
* विज्ञानवाद में विश्वास करना...
धर्मनिरपेक्ष नैतिकता, अर्थात मनुष्य की नैतिकता धार्मिक पुस्तकों से नही, मानवीय समझ से होनी चाहिए, इसके एक उदाहरण, जैसे की मुस्लिम की नैतिकता उनके धार्मिक ग्रंथ से आती है, अर्थात उनकी सही गलत की समझ इस्लाम से आती है, जिसे ये हलाल हराम का कॉन्सेप्ट कहते है, कुछ ये प्रश्न करते देखे जाते है की कोन बताएगा की क्या सही है और क्या गलत, तो उनके अनुसार जो उस किताब में लिखा है वही सही है इसीलिए बहुत बार जब किसी मुस्लिम को ऐसी बात बताई जाती है जो नैतिकता की दृष्टि से गलत है तब उनका रवैया ऐसा होता हैं की, नही ये सही है, क्योंकि ये हमारे किताब में लिखा है, पर इसका अर्थ ये बिलकुल नहीं है की हम किसी धर्म से मिलने वाली नैतिक शिक्षा को न माने, जैसे भगवान बुद्ध ने कुछ नैतिक बात कही या ईसा मसीह ने कहा की अपने शत्रु से प्रेम करो, ठीक है, एक अच्छी बात है, हम स्वीकार सकते है...
* जो व्यक्ति इन चार शर्तो का पालन करता है वह सेक्युलर है...
1.अब आते है की क्या भारत के तथाकथित सेक्युलर लोग सेक्युलर है भी या नही...
2. तो मेरा मानना है की वो लोग सेक्युलर नहीं है, क्योंकि वो बिना कारण ही Hinduism को गलियां देने के सिवा कुछ नहीं करते, दूसरा वो पहली शर्त को दूसरे धर्मो का पक्ष खींचकर ही तोड़ देते है, जैसे की यदि कोई सेक्युलर है तो वो न किसी धर्म की तारीफ करेगा और न किसी धर्म की बुराई पर ये लोग एक खास धर्म का पक्ष खींचते है और एक खास धर्म की बुराई करते है।
3. दूसरा left कभी भी सेक्युलर नहीं हो सकता, क्योंकि लेफ्ट धर्म विरोधी होता है, और धर्म विरोधी भी सेक्युलर नहीं कहला सकता है।
4. अब आते है की भारत में सेकुलरिज्म इतना बदनाम क्यों है, इसका प्रमुख कारण है भारत के फेक सेक्युलर लोग, भारत में लोगो को पता नही सेक्युलर होना क्या होता है, इसलिए जब उन्होंने धर्म विरोधी लोगो के ये दावा करते देखा की वो सेक्युलर है तो लोगो में धारणा बन गई की सेक्युलर लोग इन फेक सेक्युलर लोगो की तरह होते है, जैसे की भारत के बहुत से लोग जो भाजपा के समर्थको को अंध भक्त कहते है उन्हे पता ही नही की भक्त होना Hinduism में कितनी बड़ी और पवित्र बात है, वैसे ही इन लोगो का विरोध करने वाले को भी पता ही नही होता की सेक्युलर होना एक बहुत नैतिक बात है, इसलिए जब भी आप किसी फेक सेक्युलर जैसे भास्कर जैसे लोगो का विरोध करे तो उन्हे सेक्युलर नही फेक सेक्युलर कहकर या नास्तिकता वादी और भारतीय लेफ्ट के लिए तो इससे भी अच्छा हाइपोक्रेट शब्द का प्रयोग करे.
सेक्युलर शब्द का उदाहरण...जैसे मुस्लिम दरगाह ख्वाजा गरीब नवाज चिश्ती जो राजस्थान राज्य के अजमेर जिला में है, आपको वहाँ सेक्युलर देखने को मिलेगा जितना मुस्लिम धर्म के मुसलमान वहाँ नहीं जाते है उससे कही ज्यादा आपको हिंदू धर्म के हिंदुओ को जाते हुए आपको दिख जाता है, क्योकि हिंदू धर्म के लोग उस दरगाह में भी अपना भगवान देखते है और हिंदू धर्म के हिंदुओ को ये भी बोलते आपको मिल जायेगा भगवान का कई रूप है मुसलमान खुदा बोलते है और हम हिंदू उसे भगवान बोलते है..
लेकिन मुस्लिम धर्म के बहुत से मुसलमानो का सोच ऐसा नहीं है अगर किसी एक्का दुक्का मुसलमान भाई बहन हिंदू धर्म के देवी देवताओं का पूजा या उनको सजदा करता है, तो मुस्लिम धर्म के बहुत से मुसलमान उनको रोकता है टोकता है यहाँ तक मुस्लिम धर्म के मौलवी मौलाना फतवा जारी कर देते हैं, यही फर्क है हिंदू धर्म और मुस्लिम धर्म में इसलिए तो मोहम्मद जिन्ना मुस्लिम लीग का स्थापना किया भारत में और मुस्लिम धर्म संरक्षण व मुस्लिम एकता के नाम पर 1947 के आधी रात को भारत से अलग पाकिस्तान देश के रूप में अलग हो गया और जितने भी जिन्ना मुस्लिम लीग का समर्थन करते थे वह सभी पाकिस्तान के तरफ रुख किया और जो उनके समर्थक नही थे वह सभी मुसलमान भारत में ही रुक गए।
लेकिन मोहम्मद जिन्ना का तोड़ फोड़ निम्न विचार धारा इन भारतीय मुसलमानो के जहन में कुछ हद तक अभी भी जगह बना लिया है और इंडियन मुस्लिम लीग का स्थापना 1906 में बांग्ला देश के नवाब के द्वारा किया गया था मुस्लिम धर्म के गरीब पीड़ित शोषित मुसलमान भाई बहनो के उत्थान के लिए और बाद में मोहम्मद जिन्ना इसका दुरूपयोग किया और भारत से अलग होकर मुस्लिम देश पाकिस्तान बना दिया तो और पाकिस्तान मुस्लिम लीग बना कर अलगाव वादी संगठन का निर्माण किया अपने आप केवल मुस्लिम धर्म के ही संरक्षक मानते है, दूसरे धर्म के लोगों से प्यार या उनके धर्म के महानता को कैसे अपना सकता है, तो यह सेक्युलर कहा से हुए, यही इंडियन मुस्लिम लीग का हाल है जो मोहम्मद जिन्ना को फालो करते हैं, और देश में राजनीति करते हैं, बल्कि मुस्लिम लीग का स्थापना मुस्लिम धर्म के गरीब पीड़ित शोषित लोगों को न्याय दिलाना और उच्च से उच्च शिक्षा की और अग्रसर करना कोई राजनीति या अलगाव वादि बात करने के लिए मुस्लिम लीग का स्थापना नहीं हुआ था।
जबकि इंडियन मुस्लिम लीग के राजनीति के खिलाफ देश के प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी भी थे, लेकिन इंडियन मुस्लिम लीग अपना जिद नहीं छोड़ा और भारतीय राजनीति में अपना अस्तितव स्थापित किया और देश के बहुत से राज्यों में अपना विधायक व सांसद बनाये हुए है, जो आज केरल में राष्ट्रीय कांग्रेस का समर्थक है व समर्थन दिया है, इसलिए राहुल गाँधी अमेरिका में जाकर इंडियन मुस्लिम लीग का सेक्युलर वाले कसीदे पढ़ रहे है, क्योकि वह मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति करना चाहते है, बल्कि इंडियन मुस्लिम लीग अपने ही धर्मो के लोगों की भला नही कर पा रहे है जो इनके मुख्य उद्देश्य था मुस्लिम भाई बहनो का उन्नति विकास करना और धार्मिक कट्टरता से दूर रखना और इनको आर्थिक मजबूती देना लेकिन खुद राजनीति कर इंडियन मुस्लिम लीग अपने मुख्य उद्देश्यों से भटक गए हैं और पाकिस्तान के मोहम्मद जिन्ना की अलगाव वादि राजनीति भारत में आज भी कर रहे हैं।
आज भी भारत में बहुत से मुस्लिम धर्म के मुसलमान भाई बहन इंडियन मुस्लिम लीग के वर्तमान विचार धारा से सहमत नहीं है कुछ को तो ज्ञान ही नहीं है, मुस्लिम लीग का स्थापना किन उद्देश्यों के लिए हुआ है, कई मुसलमान भाई बहन ये सोचते है ये हमारे मुस्लिम धर्म संगठन का एक हिस्सा है जिसे हम अपना मानते हैं, केवल " मुस्लिम " शब्द जुड़ने के कारण मुस्लिम भाई बहन मुस्लिम लीग को अपना मानते हैं इनके मुख्य उद्देश्यों से कोई लेना देना नही है बहुत से देश के मुस्लिम परिवार इस इंडियन मुस्लिम लीग से परे हैं।