जैसे चुनाव आयोग ने हैदराबाद में 5 लाख 41 हजार फर्जी मतदाताओं के नाम हटाए, वैसे ही देश में भी फर्जी विदेशी रह रहे हैं, NRC/ NPR के जरिए देश में उनकी जांच और पहचान जरूरी है।

NBL, 20/04/2024, Lokeshwar Prasad Verma Raipur CG: Just like the Election Commission removed the names of 5 lakh 41 thousand fake voters in Hyderabad, similarly fake foreigners are also living in the country, it is necessary to investigate and identify them in the country through NRC / NPR. पढ़े विस्तार से..... चुनाव आयोग के बयान के मुताबिक, जनवरी 2023 से हैदराबाद जिले के 15 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 47,141 मृत मतदाता, 4,39,801‌ पते बदलने वाले वोटर्स और 54,259 ऐसे लोगों का नाम वोटर लिस्ट से हटाया गया है जो दो बार रजिस्टर्ड थे. चुनाव आयोग के निर्देशों का पालन करते हुए कुल 5,41,201 मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी बार-बार भारत में एनआरसी कानून की बात क्यों कहते हैं, क्योंकि देश में कई अवैध गतिविधियां हो रही हैं और देश के कई राजनीतिक दल उनका फायदा उठा रहे हैं और उनकी सही पहचान न होने के कारण देश में सही लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है और भारत में मृत लोगों की जगह फर्जी पहचान पत्रों के जरिए सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है और देश में फर्जी मतदाताओं के जरिए वोटिंग भी की जा रही है, जिसे रोकना बहुत जरूरी है और विदेशी घुसपैठियों को मृत लोगों के जरिए हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है और वे कानूनी कार्रवाई से बच जाते हैं, क्योंकि वे मृत लोगों की आड़ में अनैतिक काम कर रहे हैं और उन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। अपनी वोट बैंक की राजनीति के लिए ये फर्जी पहचान पत्र जारी किए जाते हैं और ये विदेशी घुसपैठिए मृत लोगों की जगह वोटिंग कर रहे हैं, जो सही नहीं है।

2024 के लोकसभा चुनाव में हैदराबाद क्षेत्र से फर्जी मतदाताओं की पहचान कर उन्हें मतदाता सूची के आंकड़ों से हटाकर चुनाव आयोग ने एक सराहनीय काम किया हैऔर आज चुनाव आयोग ने एक बड़ा फर्जीवाड़ा करने वालों के जरिए चुनाव जीतने वाले नेता पर तमाचा मारा है और ऐसे फर्जी मतदाताओं के भरोसे चुनाव जीतने वाले राजनीतिक दलों के नेताओं का मनोबल तोड़ दिया है और वे इस बात से बौखलाए हुए हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में हमारा भविष्य खतरे में न पड़ जाए और हमें हार का सामना करना पड़ सकता है, यह चिंता देश में नकली मतदाता से चुनाव जीतने वाले नेताओं को सता रही है।

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इसके मूल में, एनआरसी उन लोगों का एक आधिकारिक रिकॉर्ड है जो वैध भारतीय नागरिक हैं। इसमें उन सभी व्यक्तियों के बारे में जनसांख्यिकीय जानकारी शामिल है जो नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार भारत के नागरिक के रूप में अर्हता प्राप्त करते हैं। यह रजिस्टर पहली बार भारत की 1951 की जनगणना के बाद तैयार किया गया था और तब से इसे हाल तक अद्यतन नहीं किया गया है।

खासकर विदेशी सीमाओं से लगे भारतीय क्षेत्रों में एनआरसी कानून को अनिवार्य रूप से लागू किया जाना चाहिए और फिर इस एनआरसी कानून के तहत पूरे देश में विदेशी नागरिकों की पहचान की जानी चाहिए। जहां पहले से ही विदेशी शरणार्थियों को भारत में बसाया गया है, ऐसे ही क्षेत्रों में विदेशी घुसपैठिए भी अवैध रूप से रह सकते हैं, इसलिए वहां भी जांच कर उनकी पहचान की जानी चाहिए ताकि उनकी गलत गतिविधियों को रोका जा सके और उन्हें संरक्षण देने वाले राजनीतिक दलों पर भी नकेल कसी जा सके। और एनआरसी कानून के नियमों के अनुसार इन विदेशी घुसपैठियों की जांच कर उन्हें वैध पहचान पत्र दिए जाने चाहिए और उन्हें भारतीय कानून के दायरे में रखा जाना चाहिए ताकि वे किसी राजनीतिक दल का अवैध वोट बैंक न बन सकें।

जिस प्रकार कई उपद्रवी चेहरे पर नकाब पहनकर गलत गतिविधियों को अंजाम देते हैं, और जांच अधिकारियों के लिए उन्हें पहचानना बहुत मुश्किल हो जाता है, उसी प्रकार नकाबपोश लोगों की तरह आज भारत में विदेशी नागरिक रह रहे हैं, जिनकी गलत गतिविधियों को पकड़ना बहुत मुश्किल है और आज उन्हें देश में अवैध मतदाता के रूप में देखा जाता है, जो चुनाव आयोग के माध्यम से देश के लोकतंत्र में देखा जा रहा है, जिसे देश की सत्तारूढ़ राजनीतिक पार्टियां रोकना चाहती हैं और इसे रोकने के लिए भाजपा पीएम नरेंद्र मोदी सरकार एनआरसी कानून के तहत इसे रोकना चाहती है, लेकिन देश के विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है, यहां तक ​​​​कि वर्तमान लोकसभा चुनावों में भी अपने चुनावी घोषणा पत्र के माध्यम से इस एनआरसी कानून को रोकने का वादा किया जा रहा है। विपक्षी दल उन लोगों को संरक्षण देने पर जोर दे रहे हैं जो नकाब पहनकर अवैध रूप से रह रहे हैं, लेकिन अवैध रूप से रहने वालों को एनआरसी कानून को रोकने से कोई फायदा नहीं होगा, बल्कि इससे राजनीतिक दलों को फायदा होगा क्योंकि आप उनके अवैध मतदाता बल हैं।

पाकिस्तान और बांग्लादेश द्वारा सताए गए हिंदू, सिख, बौद्ध और ईसाई धर्म के लोग आज भारत में अवैध रूप से रह रहे हैं। एनआरसी कानून के तहत उन्हें भारत में वैधानिक रूप से रहने का अधिकार मिलेगा। यही अधिकार वहां से आने वाले मुस्लिम घुसपैठियों को भी मिलेगा। एनआरसी कानून के नियमों के अनुसार इससे देश को ही फायदा होगा क्योंकि आज वे देश की कोई भी जानकारी इन दुश्मन देशों को दे सकते हैं और यह विश्वास नहीं किया जा सकता कि वे दे रहे होंगे। एनआरसी कानून उनके वैधानिक भारतीय प्रमाण पत्र बनाकर इस पर रोक लगा सकता है और उन्हें देश में वोट देने के साथ-साथ सभी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने का अधिकार मिलेगा, जो कि स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है। आज भारत की कुछ राजनीतिक पार्टियां फर्जी मतदाता बनाकर उनका अवैधानिक रूप से इस्तेमाल कर रही हैं और देश के मूल निवासियों के साथ धोखा कर रही हैं। इन घुसपैठियों के अवैध रूप से रहने से भारत के लोकतंत्र को भी खतरा हो सकता है। 

विपक्षी दलों के नेता हमेशा एनआरसी को लेकर भ्रम फैलाते हैं और देश के सभी धर्मों के मूल निवासियों को डराते हैं। एनआरसी के आने से देश के बहुत से लोग प्रभावित होंगे और अपनी पहचान न दे पाने के कारण वे भारतीय मूल निवासियों की श्रेणी से बाहर हो जाएंगे और उनकी गिनती भी इन विदेशी घुसपैठियों के साथ होगी और उन्हें भी वही परेशानी होगी जो सरकार इन विदेशी घुसपैठियों के साथ लागू करेगी, वही हमारे साथ भी किया जाएगा। यह देश के बहुत सारे मुस्लिम भाई बहनों का डर है जबकि एनआरसी कानून से ऐसा कुछ भी गलत नहीं होगा बल्कि आपको यहां रहने का एक वैध प्रमाण पत्र दिया जाएगा और भारत सरकार और राज्य सरकार के पास देश में जनसंख्या जनगणना का सही डाटा होगा कि हमारे देश में कितने प्रतिशत मतदाता हैं और कितने लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं और कितने लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं और इन लोगों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी जो आज इन विदेशी घुसपैठियों को वो सारी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। 

जो आज देश के कुछ राजनीतिक दलों के संरक्षण के कारण केवल वोट बैंक बन कर रह गए हैं एनआरसी कानून के जरिए इन विदेशी घुसपैठियों का खात्मा कर दिया जाएगा इनको मूल अधिकार प्रमाण पत्र देने से और उन्हें मूल निवासियों की तरह जीने के समान अधिकार मिलेंगे और आज वोट बैंक की राजनीति करने वाली पार्टियां नहीं चाहती कि देश में एनआरसी कानून आए और बीजेपी मजबूत न हो और बीजेपी को इन विदेशी घुसपैठियों की सहानुभूति न मिले क्योंकि उन्हें भी बीजेपी सरकार ने समान अधिकारों के साथ देश में रहने का मौका देगा।

देश में रह रहे अवैध घुसपैठियों की कुछ गलत हरकतों की वजह से देश के कई धर्मों के लोग बदनाम हो रहे हैं और सबसे ज्यादा बदनामी का खामियाजा मुस्लिम धर्म के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। देश में ताजा घटना पश्चिम बंगाल में हुई। हिंदुओं के रामनवमी उत्सव के जुलूस पर इन अवैध घुसपैठिए मुस्लिम युवकों द्वारा दंगा और पथराव की घटनाएं सामने आई हैं और वहां की पुलिस ने इन दंगाइयों को गिरफ्तार करने की बजाय उन्हें छोड़ दिया। यह कैसा दोहरा मापदंड है?

इसका मतलब यह है कि देश के सरकारी प्रशासन में तैनात कई लोग भी घुसपैठिए हो सकते हैं जो भारत में अवैध रूप से सरकारी काम कर रहे हैं और देश के लोगों की रक्षा करने की बजाय अपने अवैध घुसपैठिए लोगों की रक्षा कर रहे हैं, ताकि वे देश में अपना वर्चस्व स्थापित कर सकें और देश पर राज कर सकें और भारत के मूल निवासियों को डराते रहें, क्योंकि उनके गॉडफादर कुछ भारतीय राजनीतिक दलों के नेता हैं, जिनकी ताकत नकली मतदाता हैं और उन्हें बनाकर उनकी गंदी राजनीति देश में हमेशा पनपती रहती है और उनकी राजनीतिक ताकत से देश के मूल निवासी इन घुसपैठियों के अत्याचारों से पीड़ित और भयभीत रहते हैं।

भारत की कई राजनीतिक पार्टियां अवैध रूप से भारत में घुसे विदेशियों को संरक्षण देती हैं। वे नेता इतने बड़े देशद्रोही हैं जिनकी वजह से देश में अराजकता, गुंडागर्दी, जेबकतरी फैली हुई है। वे इन घुसपैठियों से हत्याएं और दंगे भी करवाते हैं और वे बच निकलते हैं क्योंकि उनके पास कोई कानूनी पहचान नहीं होती या फिर उन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होने की वजह से सत्ताधारी पार्टी के नेता पुलिस पर दबाव बनाकर इन अवैध घुसपैठियों को छुड़वा लेते हैं और इससे उनका मनोबल बढ़ता है और आम जनता उनकी गतिविधियों से परेशान रहती है। इसलिए ऐसे लोगों के लिए एनआरसी कानून के माध्यम से उनकी जांच करके और उन्हें स्थाई पहचान पत्र देकर उनकी गलत गतिविधियों को रोका जा सकता है और देश में फर्जी मतदाताओं पर भी रोक लगाई जा सकती है।

1. एनआरसी का क्या मतलब है.... 

नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन बिल (NRC Bill Meaning) एक रजिस्टर है जिसमें भारत में रह रहे सभी वैध नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाएगा। बता दें कि एनआरसी की शुरुआत 2013 में सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में असम में हुई थी। फिलहाल यह असम के अलावा किसी अन्य राज्य में लागू नहीं है।

2. एनआरसी में शामिल होने के लिए क्या जरूरी है... 

एनआरसी के तहत भारत का नागरिक साबित करने के लिए किसी व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि उसके पूर्वज 24 मार्च 1971 से पहले भारत आ गए थे। बता दें कि अवैध बांग्लादेशियों को निकालने के लिए इसे पहले असम में लागू किया गया है। अगले संसद सत्र में इसे पूरे देश में लागू करने का बिल लाया जा सकता है। पूरे भारत में लागू करने के लिए इसके लिए अलग जरूरतें और मसौदा होगा।

3. एनआरसी के लिए किन दस्तावेजों की जरूरत है...

भारत का वैध नागरिक साबित होने के लिए एक व्यक्ति के पास रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन, आधार कार्ड, जन्म का सर्टिफिकेट, एलआईसी पॉलिसी, सिटिजनशिप सर्टिफिकेट, पासपोर्ट, सरकार के द्वारा जारी किया लाइसेंस या सर्टिफिकेट में से कोई एक होना चाहिए।

4.NRC में शामिल न होने वाले लोगों का क्या होगा?.. 

अगर कोई व्यक्ति एनआरसी में शामिल नहीं होता है तो उसे डिटेंशन सेंटर में ले जाया जाएगा जैसा कि असम में किया गया है। इसके बाद सरकार उन देशों से संपर्क करेगी जहां के वो नागरिक हैं। अगर सरकार द्वारा उपलब्ध कराए साक्ष्यों को दूसरे देशों की सरकार मान लेती है तो ऐसे अवैध प्रवासियों को वापस उनके देश भेज दिया जाएगा।

 



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