ग्रामीणों ने कालिंदी प्रा,लि,पर लगाएं कई गंभीर आरोप शिवनाथ नदी से पानी लाकर प्लांट चलाने बोलकर कम्पनी द्वारा किया जा रहा भूमिगत जल का दोहन जिससे गावों में जलस्तर गिरा गर्मी के दिनों में होती है भारी समस्या ना सुरक्षा ना स्वास्थ्य ना ही शिक्षा सभी मायने में विफल है कालिंदी प्रबंधन=रामायण साहू

वर्तमान में जो रवैया शासन प्रशासन द्वारा बिलासपुर जिले के मस्तूरी जनपद पंचायत के ग्राम कोकड़ी व आसपास के 10 पंचायतों के सरपंचों व ग्रामीणों द्वारा कालिंदी प्रा,लि, के खिलाफ चलाए जा रहे महा आन्दोलन में वो वाकई ताज्जुब करने वाली है इतने लंबे समय से गरीब किसान लोग अपना सब कुछ छोड़ कर यहां बैठे है पर एक भी अधिकारी इनका सुध लेने नही पहुंच रहें है सभी सरपंचों ने विनम्रता पूर्वक निवेदन किया है कि आम जनों को कानून पर जो भरोषा है उन पर बरकार रखने में मदद करे लोगो का कानून से विशवास ना उठने दे इसी कड़ी में ग्रामीणों ने मेसर्स प्रा. लि. कालिंदी स्पात बेलपान तहसील मस्तूरी जिला-बिलासपुर का अतिसुक्षतम इकाई तक जांच उपरांत वर्तमान में बंद कराने को लेकर महाजनान्दोलन के बारे में जानकारी दिया कि

करखाबा को वर्तमान में बंद कराने का कई विभिन्न कारण:- कारखाना के मालिक ने किसानों को बहला फुसला कर सन 2005-2006 में किसानों के खेतों को खेती(कृषि) करने के  नाम से खरीदी थी जबकि हमारा क्षेत्र चारो तरफ कृषि क्षेत्र है उनके बाद धोखाधड़ी कर कारखाना के मालिक ने कुछ लोगो को संलिप्त कर बिना जनसुनवाई करवाए और बिना किसी प्रकार की ग्राम सभा आयोजन हुए बिना NOC लिए उद्योग का संचालन प्रारंभ कर दिया जो धीरे धीरे प्रदूषण और अनेक प्रकार की उनके अत्यचार मनमानी तनाशाही से लोग त्राहि त्राहि होकर जीवन यापन करने को विवश हो चुके है ये 17 सालों में कारखाने के कई कारनामे सामने आई है 17 सालों में ये कारखाना कभी लोगो को या क्षेत्रिय कर्मचारियों को सुविधा मुहैया नई करा पाया है ना सुरक्षा उपकरण ना स्वास्थ्य व्यवस्था ना शिक्षा व्यवस्था दो साल की वैश्विक महामारी कोरोनाकाल में यह कारखाना क्षेत्रवासियों को एक मास्क जैसी छोटी चीजो को नई बांट सकी है इन दो सालों में सब का काम बंद होंने के बावजूद तानाशाही और मनमानी पूर्वक कर्मचारियों का शोषण कर अपनी कारखाना संचालित कराया गया है इन 17 सालों में करोड़ो रूपये हमारे CSR की राशि को डकार गए है प्रभावित ग्राम पंचायतों को कोई मूलभूत सुविधा मुहैय्या नही करा पाई इन 17 सालों से भूमिगत जल का दोहन कर आस पास के हेड पंप बोर बोरिंग का नाला तालाब का जल स्तर को नीचे गिरा डाला है शासन को झूठ बोल कर कारखाना डाला है की शिवनाथ नदी से पानी लाकर कम्पनी चलाएंगे आज 17 साल होने को है अभी तक से शिव नाथ नदी से पानी नई ला पाया इन 17 सालों में परदेशियों को ही पहला हक अधिकार दिया है क्षेत्रियों के साथ हमेशा दुर्व्यवहार करते आ रहा है परदेशिया लोगो का तनख्वा 25-50 हजार और सारे उच्च पद में लेकिन क्षेत्रियों का 6600- 10000 रुपये है कुली मजदूरी में रखे हैं इन 17 सालों में कारखाना का किसी असपताल से कोई सीधा संबंध नई है जो क्षेत्रिय लोगो व कर्मचारियों को स्वास्थ्य मुहैया करा सके खुद का अस्पताल रखना तो दूर की बात इन 17 साल में इनके पास खुद का स्कूल नई जो बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सके इन 17 सालों में कारखाना किसी स्कूल में अपना 1 भी शिक्षक का व्यवस्था नई करा पाया है इन 17 सालों में कारखाना में कार्य कर रहे 4 कर्मचारियों का गंभीर बीमारियों के वजह से मृत्यु काम कर रहे कर्मचारियों का आज तक कभी स्वास्थ्य जांच नई कराया गया जिनके वजह से कई कर्मचारी बीमारियों के चपेट से ग्रसित है उद्योग नीति का पूरी तरह धज्जियां उड़ा कर रखने वाली यह कारखाना हमेशा हम पिछड़े क्षेत्र वालो को पिछड़ा ही समझते आ रहा है प्रदूषण के मार से क्षेत्र में कई गंभीर बीमारियां आने लगी है कइ किसानों की फसलें इन 17 सालों में बर्बाद हुय जिनकी मुआवजा आज तक किसी को नई मिल पाया है बाहरी लोगों को कंपनी में लाकर काम दिया जा रहा है क्षेत्रियों को काम मे रखने के लिए उनके पास काम नई है कारखाना के ओवर लोडिंग वाहनों के वजह से 5 माह पूर्व बने सड़क पूरी तरह जर्जर हो चुकी है जगह जगह टूटने लगी है कारखाना का अंडर ग्राउंड वाटर यूज का NOC दिनांक 18/08/2022 को समाप्त हो चुकी है आसपास के गांवों में स्वास्थ्य शिविर लगाना चाहिए जो सिर्फ कागजों में ही लगता है प्लांट परिसर में कामगारों का स्वास्थ्य परीक्षण होते रहना चाहिए जो कभी नहीं होता सभी श्रमिकों का बीमा होना चाहिए जो कि नहीं है प्रदूषण कम से कम होना चाहिए ई एस पी चलाते ही नहीं भरपूर प्रदूषण हो रहा है स्थानीय स्तर पर जिस रोड से प्लांट की गाड़ियों का जाना आना हो उस रास्ते का समय समय पर मरम्मत कार्य करना चाहिए लेकिन मरम्मत के नाम पर सिर्फ डस्ट डालते हैं जिससे और रास्ते में चलने लायक नहीं बचता स्थानीय लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार क्योंकि प्रदूषण से नुकसान स्थानीय लोग उठा रहे हैं और प्रदूषण में नियंत्रण रोड में ओव्हर लोडिंग वाहनों पर रोक सड़क की सही ढंग से मरम्मत मिनिमम बेस अकुशल श्रमिक(386 रुपए) पर श्रमिकों को मजदूरी भी नहीं मिलती है सबका पी एफ ESIC भी नहीं कटता है जिसका कटता भी है तो सिर्फ मिनिमम बेस पर प्लांट से निकलने वाला जला कोयला जिसे चारकोल कहते हैं कागजों में उससे आसपास के गड्ढे पाटना दिखाते हैं जबकि हकीकत यह है कि चारकोल को ईंट भट्ठे वालों एवं कोल वाशरी वालों को 2000 - 2500 रुपए टन के हिसाब से बिना बिल के बेंचते हैं जिसका उत्पादन प्रतिदिन लगभग 100 टन है

23) सबसे बड़ी बात प्लांट किसी अधिकृत इंडस्ट्रियल एरिया में नहीं है जहां पर प्लांट स्थापित है उसके चारों तरफ कृषि भूमि है जिससे प्लांट से निकलने वाले दूषित पानी और डस्ट से स्थानीय ग्रामीणों की फसलों को नुकसान हो रहा है और उत्पादन भी प्रभावित होता है । इन सभी समस्याओं को लेकर प्रभावित ग्राम पंचायतों ने 20/08/2022 को ग्राम सभा आयोजन में सर्व सहमति से ग्रामीणों ने इस कारखाना के विरोध में खड़ा होकर बन्द करवाने का प्रस्ताव रखा जो पूर्ण रूप से सर्व सहमति से प्रस्ताव पारित किया गया तत्पश्चात आस पास के 10 सरपंचों व ग्रामीणों ने अपनी सहमति देते हुए माननीय राष्ट्रपति महोदया,माननीय केंद्रीय उद्योग मंत्री,माननीय मुख्य मंत्री छ. ग.शासन ,उद्योग मंत्री छ. ग.शासन,पंचायत मंत्री छ. ग.शासन,डायरेक्टर पर्यायवरण प्रवास जल वायु परिवर्तन विभाग दिल्ली,मुख्य वन रक्षक पर्यायवरण विभाग रायपुर सदस्य सचिव पर्यायवरण विभाग रायपुर कलेक्टर बिलासपुर जैसे सम्बंधित तमाम अधिकारियों को लिखित में सक्षम उपस्थित होकर समस्याओ को अवगत करवाये है उनके बावजूद लगातार 12 दिन से महाजनान्दोलन धरने में 10 गांव के  सरपंच के साथ ग्रामीणों ने शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन में बैठे है फिर भी शासन प्रशासन अभी तक से कोई कड़ी कार्यवाही नही कर पाई है सरपंच ने बताया कि यही लोग तंत्र का हनन होता है पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम सभा को महत्वपूर्ण माना गया उनकव भी पूरी तरह से तमाशा बना कर रख दिये है ग्राम सभा का भी कोई महत्व नही रिखा है आखिर आम ग्रामीण जन किनके पास जाए जब सविधान व आम जनों के रखवाले ही उनसे मुह मोड़ ले तो सरपंच ने यहां तक ये भी कहा अगर ग्रामीणों द्वारा कारखाना का किसी प्रकार से नुकासन पहुंचाती है जैसे कारखाना की गाड़ी रुकवाना कर्मचारियों को काम मे जाने से रोकना तो तुरंत ग्रामीणों व आम जनों के विरुद्ध दंडनात्मक कार्यवाही किया जाएगा सरपंच ने तमाम प्रशासनिक अधिकारियों से हाथ जोड़ कर प्रार्थना भी किये है कि आम जनों का जो कानून पर भरोषा बना है उन पर बने रहने दीजिए एक बार किसी का कानून से भरोषा उठ गया तो बहुत मुश्किल से वह भरोषा जुड़ पायेगा यहां तक सरपंच को उदासी और भावुक होकर कहना पड़ा कि अगर हम पद में रह कर ग्रामीणों का आवाज नही उठा सकते औऱ अगर उठाने से किसी व्यक्ति विशेष द्वारा दबाव बनाया जाता है तो ऐसे पद में रहने का कोई मतलब नही है समय आने पर अगर पद छोड़ना पड़ेगा तो चुने हुए ग्रामीणों से सलाह मशवरा कर इस पद का भी त्याग कर देंगे

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