बेंगलुरु में किए गए आत्महत्या की केस नें कानून ब्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैँ जिस न्यायालय मे लोग न्याय की गुहार लगाने पहुंचते हैँ उसी न्यायालय में अब घूसखोरी का ताना बाना बुनने का आरोप हैँ जहाँ लोगो को न्याय की आस होती हैँ वही लोगो को घूसखोरी सिखाया जा रहा हैँ क्या ऐसे कृत्य से लोगो का विस्वास अदालत से नहीं उठेगा जैसा आरोप अतुल नें मरने से पहले लगाया हैँ वो भी एक जज पर तो क्या ये पुरे सिस्टम के लिए चिंता का विषय नहीं हैँ दरअसल अतुल नें आत्महत्या से पहले बनाए गए अपने वीडियो में जज रीता कौशिक पर केस निपटाने के लिए उनसे 5 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया। अतुल ने यह भी कहा कि जज रीता कौशिक की कोर्ट में पेश होने के लिए चपरासी को रिश्वत देनी पड़ती है, जो 50 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक होती है। इसके अलावा अतुल सुभाष ने यह भी आरोप लगाया है कि, इससे पहले साल 2022 में जज रीता कौशिक ने अपने चपरासी के जरिए उनसे तीन लाख रुपये मांगे थे और केस को निपटाने का प्रस्ताव दिलवाया था।अतुल सुभाष ने अपने वीडियो में कहा कि, जब रिश्वत नहीं दी गई तो कोर्ट ने उनके खिलाफ गुजारा भत्ता और भरण-पोषण का आदेश जारी कर दिया। इसके चलते उन्हें हर महीने पत्नी को 80 हजार रुपये देने का फैसला सुनाया गया। अतुल ने अपने वीडियो में कहा कि जज रीता कौशिक ने उनकी दलीलें तक नहीं सुनीं।मानवाधिका
अगर हम जज रीता कौशिक की बात करें तो वह वर्तमान में जौनपुर में प्रिंसिपल फैमिली कोर्ट जज हैं। उनका जन्म 1 जुलाई 1968 को मुजफ्फरनगर में हुआ था। 20 मार्च 1996 को वे मुंसिफ बनीं। इसके बाद 1999 में सहारनपुर में न्यायिक मजिस्ट्रेट रहीं। 2000-2002 तक जज रीता कौशिक मथुरा में एडिशनल सिविल जज के पद पर कार्यरत रहीं। इसके बाद वे मथुरा में ही सिविल जज बन गईं। 2003 में उनका तबादला अमरोहा हो गया, जहां वे जूनियर सिविल जज के पद पर तैनात रहीं। इसके अलावा 2003 से 2004 तक वे लखनऊ में स्पेशल सीजेएम रहीं।
2022 में उनका तबादला जौनपुर हो गया। 2004 में उनका प्रमोशन हुआ। वे एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट बनीं। वे अयोध्या में जिला एवं सत्र न्यायाधीश भी रहीं और 2018 में अयोध्या में ही फैमिली कोर्ट की प्रिंसिपल जज बनीं। वह 2022 तक अयोध्या में तैनात रहीं। इसके बाद उनका तबादला जौनपुर हो गया। तब से वह यहां फैमिली कोर्ट में प्रिंसिपल जज के पद पर कार्यरत हैं।