रायपुर। क्लीनिक संचालक से अवैध वसूली मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। एसआई के बाद तहसीलदार को भी निलंबित कर दिया गया है। अब बीएमओ पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। बता दें कि रायगढ़ जिले के सारंगढ़ में एक निजी क्लीनिक चला रहे डॉक्टर को डरा-धमकाकर तीन लाख वसूली करने का आरोप था। इस मामले में सारंगढ़ तहसीलदार को भी निलंबित कर दिया गया है। इस मामले में रायगढ़ एसपी सब इंस्पेक्टर को पहले ही सस्पेंड कर चुके हैं।
इस मामले में बीएमओ पर ही कार्रवाई अधूरी है। सारंगढ़ तहसीलदार को बिलासपुर संभाग कमिश्नर ने निलंबित किया है। निलंबन अवधि में मुख्यालय रायगढ़ निर्धारित किया गया है। बता दें कि 7 मई को सारंगढ़ ब्लॉक अंतर्गत ग्राम हिर्री में संचालित वारे क्लीनिक में जांच करने के लिए सारंगढ़ तहसीलदार सुनील अग्रवाल, बीएमओ डॉ. आरएल सिदार और प्रभारी थानेदार रहे केके पटेल पहुंचे थे।
इस दौरान तीनों अधिकारियों ने डॉक्टर को अवैध क्लीनिक चलाने के कारण जेल भेजने की धमकी दी। और डराने धमकाने के बाद कुछ ले-देकर मामला रफा-दफा करने का दबाव बनाया और पांच लाख रुपए मांगे। डॉक्टर से तीन लाख रुपए में मामला सेट किया और आधे घंटे में रुपए ले भी लिए, लेकिन पूरी हरकत सीसीटीवी में कैद हो गई।
हालांकि तहसीलदार सुनील अग्रवाल ने सीसीटीवी फुटेज डिलीट करवा दिए, जबकि एक और सीसीटीवी को वे देख नहीं पाए। इस कैमरे की मदद से डॉ. वारे ने शिकायत की जिसके बाद पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया। रायगढ़ एसपी संतोष सिंह ने तो तुरंत एसआई केके पटेल को लाइन अटैच कर दिया था। साथ ही इस मामले की जांच के लिए डीएसपी गरिमा द्विवेदी को निर्देशित किया था। जांच अधिकारी द्वारा जांच रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक के समक्ष प्रस्तुत किया गया। इसके बाद एसपी ने एसआई को निलंबित कर दिया था।
वहीं रायगढ़ कलेक्टर भीम सिंह ने भी इस पूरे मामले की जांच सारंगढ़ एसडीएम से कराई थी। जांच रिपोर्ट के बाद कार्रवाई के लिए बिलासपुर संभाग कमिश्नर से अनुशंसा की गई थी। जिस पर गुरूवार को कमिश्नर ने तहसीलदार सुनील अग्रवाल को निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया।