नई संसद, पुरानी योजना, महिला सशक्तिकरण के लिए महिला आरक्षण का फैसला महत्वपूर्ण, नारी शक्ति वंदन बिल, विपक्ष श्रेय लेने की कोशिश कर रहा था, लेकिन पीएम मोदी ने इसे संभव कर दिखाया।

NBL, 20/09/2023, Lokeshwer Prasad Verma Raipur CG: New Parliament, old scheme, women's reservation decision important for women empowerment, Nari Shakti Vandan Bill, opposition was trying to take credit, but PM Modi made it possible. पढ़े विस्तार से.... हम यू कहे जिसकी लाठी उसकी भैस आज पीएम नरेंद्र मोदी सरकार चमत्कार ही कर दिया एक काम दो कारज पहला काम नई संसद का श्री गणेश करना और दुसरी काम नारी शक्ति वंदन बिल लोकसभा व राज्यसभा में पेश करना जो बिल पास हो जाने के बाद नारी सशक्तिकरण का भविष्य में देश की महिलाओ की  विस्तार होगा वह भी 33℅ और आने वाले समय में लोकसभा विधानसभा चुनाव में महिलाओ का योगदान बढ़ जायेगा और लोकसभा, विधानसभा और राज्यसभा तीनों जगहों पर देश की महिलाएं अपनी हक की बात करने के लिए सदनों पर प्रस्तुत रहेगी जो आज गुलाम बनी हुई है वह गुलामी उनकी समाप्त हो जायेगी और जो महिला राजनीति में खुलकर सामने आनी चाहती है वह आ सकती है और अपनी नारी शक्ति का प्रदर्शन कर पायेगी क्योंकि भारत में नारी को शक्ति का रूप मानते हैं और पुरुष वर्ग से ज्यादा ईमानदार महिलाएं होती हैं।संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कहा था: जिस देश में महिलाओं की भागीदारी बिना किसी भेदभाव के देशहित में बढ़ती है, उसी देश में विकास संभव है। और पीएम नरेंद्र मोदी सरकार ने इस विषय पर गहराई से अध्ययन किया और महिला आरक्षण के लिए नारी शक्ति वंदन बिल लोकसभा और राज्यसभा में पेश किया, वो भी देश के नए संसद भवन के सदन में, जिसका श्री गणेश भी किया गया, जो एक ऐतिहासिक फैसला है. भविष्य में इस आरक्षण का लाभ देश के सभी धर्मों और सभी जातियों की महिलाओं को मिलेगा, जिसका बंटवारा विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा किया जा रहा है, जो निंदनीय है।जबकि इस बिल को कांग्रेस बहुत पहले ही लाने वाले थे लेकिन भेद भाव के साथ जो पूर्ण बहुमत प्राप्त नही हो पाने के कारण ये बिल राज्यसभा के चौख़ट से आगे लोकसभा को पार नही कर पाए और वही उनके बिल भंग हो गया, जबकि नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन पूर्व पीएम राजीव गाँधी के कार्य काल की नीति बताई जिसका विरोध खुलकर गृह मंत्री अमित शाह ने किया और कहा अधीर रंजन जी आपके पास कोई सबूत है कि यह पूर्व पीएम राजीव गांधी जी के समय काल के समय का नारी ससक्तिकरण बिल है तो सदन में पेश करे तो अधीर रंजन जवाब देने में असमर्थ हो गए इस तरह से गुमराह करते है देश के लोकतन्त्र को विपक्षी। 

जबकि यह बिल कांग्रेस के समय काल की ही है जो 2010 में पेश किया गया था लेकिन बिल पास नही हो पाए तो कैसे श्रेय ले सकता है विपक्षी दलों के कांग्रेस पार्टी नेता आज जबकि यह बिल का पावर समाप्त हो गया था राज्यसभा में ही जबकि लोकसभा में भी बिल पास होना अनिवार्य होता है, तब इसे राष्ट्रपति, देश राज्य व देश के कानून इसे संसोधन कर पास करते हैं तब कही यह जमीन पर यह बिल का कानून दिखता है आधे अधूरी जानकारी देकर विपक्षी दलों के नेताओं को गुमराह नही करना चाहिए देश के लोकतन्त्र को जबकि यह बिल को पूर्ण रूप से सफल होने के लिए टाईम लगेगा तब कही जाकर देश के महिलाओ को इस नारी शक्ति वंदन बिल का फ़ायदा आरक्षण के रूप में मिलेगा।

और अभी से इसका विरोध किया जा रहा है विपक्षी दलों के नेताओं के द्वारा दलित समाज, मुस्लिम समाज और ओबीसी समाज को कितने प्रतिशत तक का लाभ मिलेगा या कितना लाभ दिया जायेगा अभी से देश के संपूर्ण महिलाओ को जाति धर्म करने में लगा हुआ है जबकि इस नारी शक्ति वंदन बिल में देश के महिलाओ को जाति धर्म बाँट कर भेद भाव पैैदा नहीं किया गया है तो इन विपक्षी दलों के नेताओं के द्वारा भेद भाव क्यों पैदा की जा रही है देश की महिलाओ जागो और जगाओ और विपक्षी दलों के नेेताओं को जवाब दो हम देश के महिलााएं सब एक है।  क्योकि यह कुछ विपक्षी दल नेता पहले भी नहीं चाहते थे और आज भी नही चाह रहे है, वही कांग्रेस के गठबंधन दलो के नेताओं के द्वारा जो पहले इसी बिल को पास होने का समर्थन कांग्रेस के लिए नही किया था जो बहुत पहले फ़ायदा देश के महिलाओ को मिल गया होता और यही कांग्रेस का दुश्मन दल आज कांग्रेस का मित्र बन गया है जो पहले कांग्रेस की राज सत्ता को डुबोने के लिए हर हमेशा तत्पर रहते थे। बीजेपी से ज्यादा इन कांग्रेस के साथ गठबंंधन दल आज है वही कांग्रेस को देश में ज्यादा कमजोर किया है, जिस कांग्रेस की महिला आरक्षण बिल को आज बीजेपी सफल बनाने के लिए पेश किया है और कांग्रेस को इसका विरोध नही बल्कि समर्थन करनी चाहिए भले ही बीजेपी के कार्यकाल में हो रहा है, लेकिन प्रयास तो कांग्रेस ने भी किया था अब इसका क्रेडिट बीजेपी को मिल रहा है तो कांग्रेस को सहन करनी चाहिए हमने किया था हमने किया था करके अपना क्रेज कांग्रेस क्यों गिरा रहे है आपने किया था हो नहीं पाया था सफल जो पुरा देश की जनता जानता है।नारी शक्ति वंदन बिल पेश होने के बाद से ही इंटरनेट पर लोग अधिनियम, बिल और अध्यादेश जैसे शब्दों का मतलब तलाश रहे हैं. यहां आपको तीनों शब्दों का मतलब और इनके बीच के अंतर के बारे में बताया गया है। 

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केंद्र सरकार ने लोकसभा में नारी शक्ति वंदन बिल पेश किया है. लेकिन इसके कानून बनने में अभी थोड़ी देर है. दरअसल, कोई कॉन्स्टिट्यूशनल बिल तब कानून बनता है जब यह दोनों सदनों में पास हो जाए और इस पर आधे से ज्यादा राज्यों की सहमति की मुहर के साथ-साथ राष्ट्रपति का हस्ताक्षर और राष्ट्रपति द्वारा इसके लिए एक नॉटिफिकेशन जारी कर दिया जाए. ऐसा होने के बाद ही पूरे देश में ये समान रूप से लागू हो जाता है। 

हालांकि, जब भी लोकसभा में कोई बिल आता है तो अधिनियम, बिल, कानून और अध्यादेश जैसे शब्दों का जिक्र होता है. तो चलिए आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आखिर अधिनियम, अध्यादेश और बिल में क्या अंतर होता है। 

* क्या होता है बिल?... 

जब तक कि कोई कानून लोकसभा और राज्य सभा से पास ना हो जाए तब तक उसे बिल कहते हैं. जैसे अभी केंद्र सरकार ने नारी शक्ति वंदन बिल को लोकसभा में पेश किया है. जब ये पास हो जाएगा तो यह अधिनियम बन जाएगा. हालांकि, अगर आप ये समझ रहे हैं कि जब दोनों सदनों से कोई बिल पास हो जाए तो वो ऑटोमैटिक कानून बन जाता है तो आप ग़लत हैं. दरअसल, कोई भी कॉन्स्टिट्यूशनल बिल कानून बनने से पहले अधिनियम बनता है और इसकी अंतिम प्रक्रिया इसे कानून बनाती है। 

* अब अधिनियम और कानून में अंतर समझिए... 

दरअसल, किसी भी बिल को अधिनियम बनने के लिए सबसे पहले लोकसभा और राज्यसभा में पास होना होता है और इसके साथ ही आधे से ज्यादा राज्यों की इस पर सहमति की मुहर के साथ-साथ राष्ट्रपति का हस्ताक्षर और राष्ट्रपति द्वारा इसके लिए एक नॉटिफिकेशन जारी किया जाना भी आनिवार्य होता है. इस पूरी प्रक्रिया के बाद ही कोई बिल अधिनियम बनता है. हालांकि, ये कानून तब तक नहीं माना जाता, जब तक कि इसे ज़मीन पर लागू ना कर दिया जाए. साफ शब्दों में कहूं तो किसी भी बिल को कानून बनने में तीन चरणों को पार करना होता है. यानी पहले बिल, फिर अधिनियम और अंतिम में वो कानून बनता है। 

* अध्यादेश क्या होता है?... 

आसान भाषा में समझें तो अध्यादेश कम समय के लिए बनाया गया एक कानून होता है. इसके लिए सरकार को त्वरित रूप से संसद के इजाजत की जरूरत नहीं होती. हालांकि, बाद में फिर इस कानून के लिए संसद की इजाजत सरकार को लेनी पड़ती है. आपको बता दें, केंद्रीय कैबिनेट की सलाह पर राष्ट्रपति जब चाहे अनुच्छेद 123 के तहत अध्यादेश जारी कर सकता है. वहीं राज्यों में ये अध्यादेश राज्यपाल जारी करते हैं।

 


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