NBL, 16/11/2024, Lokeshwar verma Raipur CG: Non-Sanatani people are hiding behind Hindu names and Hindu costumes. Leaders of all opposition parties of India have mobilized and are cornering the BJP today and saying that the brotherhood of the country is in danger? पढ़े विस्तार से....
सनातनी हिन्दू धर्म में कोई गुटबाजी नहीं है अर्थात धार्मिक कट्टरता नहीं है, लेकिन अन्य धर्मों में गुटबाजी होती है, जो लोग अपने धर्म के प्रति कट्टर होते हैं, वे अपने धर्म के नियम कानूनों का कट्टरता से पालन करते हैं, उसी प्रकार की गुटबाजी भारत के राजनीतिक नेता करते हैं, जैसे भारत के कई राजनीतिक नेता गाजा में फिलिस्तीन पर हो रहे अत्याचार को देखकर ट्वीट करके दुख व्यक्त करते हैं कि यहूदी देश इजराइल गाजा के फिलिस्तीनियों के साथ अन्याय कर रहा है, क्योंकि भारत के कई राजनीतिक दलों के नेता भारत के मुसलमानों को खुश रखना चाहते हैं और उन्हें अपनी तरफ लाकर उनसे वोट प्राप्त करना चाहते हैं, यही गुटबाजी है। यही गुटबाजी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी द्वारा पीडीए शब्द जोड़कर पिछड़े वर्ग, दलित वर्ग और अल्पसंख्यक मुसलमानों को अपनी तरफ लाने के लिए की जा रही है।
यही गुटबाजी भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस के साथ मिलकर भारतीय सनातनी हिन्दू धर्म के लोगों के साथ की जा रही है। अर्थात भारत के सभी राजनीतिक दल अपने राजनीतिक उज्ज्वल भविष्य के लिए गुटबाजी में लगे हुए हैं। लेकिन सनातनी हिंदू धर्म के हितैषी होने का ढोंग करने वाले खासकर विपक्षी दलों के नेताओं ने बांग्लादेश में सनातनी हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर एक भी विपक्षी दलों के नेता ने ट्वीट नहीं किया क्योंकि उनके भारतीय हितैषी मुसलमान नाराज हो जाते और उन्हें आने वाले चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ता। यही असली लामबंदी है जिसे भारत के सनातनी हिंदुओं को समझना बहुत जरूरी है। जबकि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हिंदुओं के पक्ष में बोल सकते हैं लेकिन भारत के विपक्षी दलों के नेता हिंदुओं के पक्ष में बोलना उचित नहीं समझते।
क्योंकि भारत के हिंदू उनके पक्ष में आकर उन्हें अपना कीमती वोट आसानी से दे देते हैं, फिर उन्हें भारतीय हिंदुओं के लिए लामबंद होने की क्या जरूरत है। अगर भाजपा भारत के सनातनी हिंदुओं के पक्ष में लामबंद हो रही है, इसका मतलब है कि भारत के सनातनी हिंदुओं को राजनीतिक समर्थन मिल रहा है, तो भारत के सनातनी हिंदुओं को खुलकर समर्थन करना चाहिए क्योंकि भारत राजनीति से चलता है और भारत में आज सनातनी हिंदुओं का एकतरफा समर्थक भाजपा राजनीतिक दल है।
भाजपा की लामबंदी के कारण विपक्षी दलों के नेताओं के मुंह से यह शब्द निकल रहे हैं कि भाजपा भारत के भाईचारे को खतरे में डाल रही है, जबकि विपक्षी दलों के नेता भी लामबंदी में लगे हुए हैं पीडीए का समर्थन कर, इससे देश का भाईचारा खतरे में नहीं है? आज भाजपा द्वारा सनातनी हिंदुओं की लामबंदी के कारण विपक्षी दलों का राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ता नजर आ रहा है तो देश के भाईचारे खतरे में है ये विपक्षी दलों के नेताओं का कैसा दोहरा चरित्र है। जबकि भाजपा राजनीतिक दल भारतीय सनातनी हिंदू धर्म के लोगों का हितैषी बनकर उभरा है, इसका मतलब है कि सनातनी हिंदू धर्म के लोग आज भारत में सुरक्षित हैं।
आज असली सनातनी हिंदू धर्म के विद्वान चाहे कितनी भी कोशिश कर लें, असली सनातनी हिंदू धर्म के लोगों को पहचान पाना बहुत मुश्किल है और ये गैर सनातनी हिंदू लोग अपना नाम और रूप सनातनी हिंदू धर्म रखकर भारत के अन्य धर्मों के लोग हमारे बीच में छिपे हुए हैं। जबकि इनका सनातन धर्म संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन ये गैर-सनातनी हिंदू लोग हिंदू नामों का उपयोग करके असली सनातनी हिंदुओं को धोखा देते हैं। भारत में सदियों से चल रहे इन धर्मांतरणों का प्रभाव यह हो रहा है कि भारत के सनातनी धर्म के हिंदू गैर-सनातनी हिंदू धर्मों को अपना रहे हैं, उस धर्म के रीति-रिवाजों का पालन कर रहे हैं और उस धर्म का कट्टरता से पालन भी कर रहे हैं, लेकिन अपने पिछले सनातनी हिंदू धर्म का नाम बरकरार रखे हुए हैं, यह सबसे बड़ी समस्या है इन गैर हिंदुओं को पहचान पाना।
सनातन धर्म संस्कृति की रक्षा करना सनातनी हिंदू धर्म के लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा है। क्योंकि अन्य धर्मों के लोग हिंदुओं का नाम धारण करके सनातनी हिंदू विरोधी के रूप में छिपे हुए हैं। जिससे असली सनातनी हिंदुओं को भ्रम पैदा कर देता है कौन सनातनी हिंदू धर्म के है और कौन नही है,क्योंकि गैर सनातनी हिंदुओं के नाम रखकर असली सनातनी धर्म हिंदुओं को चकमा देते है,इससे सनातनी धर्म को नुकसान होता है। जैसे उदाहरण के लिए विनोद हिंदू नाम है, लेकिन वह सनातनी हिंदू धर्म का नही है, यह तो ईसाई धर्म को मानते हैं या अन्य ऐसे बहुत से गैर धर्म के लोग सनातनी धर्म के देवी देवता,पूजा पद्धति को नही मानते है और नाम शुद्ध सनातनी हिंदू धर्म के होते है। इन्ही सभी कारणों से भारत के असली सनातनी धर्म हिंदुओं का पहचान करना बड़ा ही मुश्किल है।
यदि आज भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए जनगणना करवाई जाए तो भारत में हिन्दुओं की जनसंख्या कम हो जाएगी और भारत हिन्दू राष्ट्र बनने के अयोग्य हो जाएगा और सनातनी हिन्दू धर्म की चारों पीठ, चारों पीठाधीश शंकराचार्य शून्य स्थान पर आ जाएंगे क्योंकि जिस धर्म की जनसंख्या अधिक होती है उसका प्रभाव अधिक होता है। बहुत गहन शोध करने के बाद यह जानकारी सामने आई है कि वास्तव में हिन्दू नाम वाले देश में बहुत से गैर सनातनी हिन्दू धर्म के लोग रहते हैं जिनके बारे में आपको भी जानना चाहिए कि हिन्दू नाम वाले ऐसे गैर सनातनी हिन्दू लोग भारत में बड़ी संख्या में रहते हैं। जो सनातन धर्म के घोर विरोधी है।
धर्म को अगर राजनीति से जोड़कर देखें तो यहां भी विपक्ष में राजनीतिक दलों की संख्या ज्यादा है और सत्ताधारी दल भाजपा के पास गठबंधन दल कम हैं, इसी तरह अगर कई धर्म एक साथ आकर सनातन धर्म संस्कृति को कमजोर करने लगे तो कल भारत में सनातन हिंदू धर्म के लोगों की जनसंख्या कम हो जाएगी और वह अल्पसंख्यक की श्रेणी में आ जाएंगे और यही लड़ाई भारत में राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच चल रही है, कोई जाति जनगणना की बात करता है, कोई पीडीए की बात करता है, कोई विभाजन और अलगाव की बात करता है, लेकिन वास्तव में सनातनी हिंदू धर्म पहले से ही बटे हुए है और कटे हुए भी है।
और अब अगर यह एकजुट हो जाता है तो बचे हुए सनातनी हिंदू अपने सनातन धर्म का विस्तार कर सकते हैं अन्यथा धर्मनिरपेक्षता के नाम पर सनातनी हिंदू धर्म का विनाश हो जाएगा और जो सनातनी हिंदू विद्वान भारत के सभी हिंदुओं को एकजुट करना चाहते हैं वह उन्हें एकजुट करते-करते थक जाएंगे और मर भी जाएंगे लेकिन उन्हें एकजुट नहीं कर पाएंगे क्योंकि हिंदू धर्म के नाम पर कई गैर सनातनी लोग हैं जो सनातन धर्म का विकास नहीं बल्कि उसका विनाश चाहते हैं अगर वे एकजुट हो गए तो समझ लीजिए कि सनातनी धर्म का विकास होगा अन्यथा विनाश निश्चित है। गुलामी सनातन धर्मी हिंदुओं के पक्ष में होगी। यह सनातनी हिंदू जल्द ही भारत में अल्पसंख्यक श्रेणी में शामिल हो जाएगा, क्योंकि गैर-सनातनी हिंदू धर्म के कई लोग हिंदू नाम अपनाकर हिंदुओं को धोखा देकर भारत में रहते हैं, जो सनातनी धर्म विरोधी है।
हिंदू बहू-बेटियां दूसरे धर्म के लोगों के चंगुल में आसानी से क्यों फंस जाती हैं? इसका मुख्य कारण यह है कि हिंदू नशे के बहुत आदी होते हैं और उनकी बहू-बेटियां उनसे परेशान रहती हैं क्योंकि वे नशे के प्रभाव में उनके साथ अन्याय करते हैं और इसका सबसे अधिक प्रभाव उनकी बहू-बेटियों के कोमल हृदय पर पड़ता है, जो उन्हें छोड़ने में तनिक भी संदेह नहीं करतीं। क्योंकि प्रेम और शांति से रहने की भाषा सभी को पसंद होती है और यह कमजोरी दूसरे धर्म के लोगों में नहीं पाई जाती। इसका फायदा गैर सनातनी हिंदू व विदेशी घुसपैठिए भारत की बहू-बेटियों के साथ उठा रहे हैं। वे नशे की लत से मुक्त हैं और कई धर्मों में नशा करना वर्जित है। भारत में हिंदुओं के पतन का यही मुख्य कारण है नशे में लत रहना। हमने अपने शोध में ऐसी बातों को भी ध्यान में रखा।
हिंदू बहू-बेटियां आसानी से अपना परिवार छोड़कर दूसरे धर्म के लोगों को क्यों अपना लेती हैं? जब हमने जांच की तो सामने आया कि हिंदू बहू-बेटियां अपने परिवार के नशे की लत के कारण अपना धर्म और अपना घर-परिवार छोड़ देती हैं। क्या यह सच है? आप भी जानते हैं कि नशा नाश की जड़ है। यह खास तौर पर सनातनी हिंदू धर्म के लोगों के लिए चेतावनी है। मैं हिंदू हूं, मैं हिंदू हूं कहने से कोई लाभ नहीं है। अपनी बुरी आदतों को छोड़ दो, तो आप असली सनातनी हिंदू हो, क्योंकि सनातनी हिंदू धर्म में ही ऐसे कई नियम हैं जो इस लोक और परलोक में मोक्ष की बात छिपे हुए हैं और इनके अपने नियम और कायदे हैं, अगर आप सिर्फ उनका पालन करते हैं तो कोई भी अन्य धर्म का व्यक्ति आपसे ज्यादा सच्चा प्यार नहीं कर सकता, हमारे सनातनी हिंदू धर्म में इतना उदार प्रेम है कि आज हिंदू नशे के प्रभाव में आकर सनातनी धर्म संस्कृति को नीचा दिखा रहे हैं और अपनी बेटियों और बहुओं की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं। हिंदुओं पर हावी हो रहा यह नशा सनातनी हिंदुओं के पतन का मुख्य कारण भी बन सकता है।