PM Modi dedicated the first indigenous aircraft carrier 'INS Vikrant' to the country, with the capability to deploy 30 fighter jets,
नया भारत डेस्क : नौसेना को शुक्रवार को अपना पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत मिल गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोच्चि शिपयार्ड में करीब डेढ़ घंटे चली कमिशनिंग सेरेमनी में ये एयरक्राफ्ट कैरियर नेवी को सौंपा।साथ ही एक और बड़ा बदलाव हुआ। नेवी को नया नौसेना ध्वज सौंपा गया। इसमें से अंग्रेजों की निशानी क्रॉस का लाल निशान हटा दिया गया है। अब इसमें तिरंगा और अशोक चिह्न है, जिसे PM मोदी ने महाराज शिवाजी को समर्पित किया।
ग्लोबल फॉयर पॉवर इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत इस समय सैन्य क्षमता के मामले में दुनिया का चौथा सबसे शक्तिशाली देश है। जबकि चीन तीसरा सबसे शक्तिशाली देश है। वहीं अगर नौसेना की बात की जाय तो भारत के पास चीन की तरह ही अब 2 एयरक्रॉफ्ट कैरियर होंगे।
- पिछले साल 21 अगस्त से ही आईएनएस विक्रांत का अलग-अलग फेज में समुद्र में ट्रायल हो चुके हैं। करीब 45000 टन के इस समुद्री जहाज पर एविएशन से जुड़े ट्रायल भी होने हैं। हालांकि यह ट्रायल आईएनस विक्रांत के कमीशंड होने के बाद होंगे।
- फिलहाल भारत के पास केवल एक ही एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रमादित्य है। इसे रशियन प्लेटफॉर्म पर तैयार किया गया था। भारतीय सेनाएं तीन एयरक्राफ्ट कैरियर चाहती हैं। इनमें दो नेवी के फ्रंट हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में तैनात रहेंगे। वहीं तीसरे को स्पेयर में रखा जाएगा।
- आईएनएस विक्रांत भारत में तैयार किया गया सबसे बड़ा युद्धपोत है। आईएनएस विक्रांत का नाम इसके पूर्ववर्ती युद्धपोत पर रखा गया था, जिसने पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध में बड़ी भूमिका निभाई थी। गौरतलब है कि इसी दौरान बांग्लादेश आजाद हुआ था। नेवी के मुताबिक आईएनएस विक्रांत 1971 के युद्ध में मारे गए हमारे बहादुर सिपाहियों को श्रद्धांजलि है।
- आईएनएस विक्रांत 20 हजार करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया है। इसे नेवी के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड स्थित वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो में बनाया गया है। इस युद्धपोत के बनने के बाद भारत दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है। बता दें कि अभी तक अमेरिका, ब्रिटेन, रूस चीन और फ्रांस ही वह देश हैं, जिन्होंने खुद का एयरक्राफ्ट कैरियर बनाया है।
- इस युद्धपोत पर करीब एक दशक से काम चल रहा है। इसको लेकर भारतीय रक्षा मंत्रालय और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के बीच तीन चरणों में कांट्रैक्ट हुआ है। इसकी शुरुआत 2007 से हुई थी। शिप के निचला हिस्सा फरवरी 2009 में बनाया गया था।
- आईएनएस विक्रांत पर मिग-29 के फाइटर जेट और हेलीकॉप्टरों समेत 30 एयरक्राफ्ट रखे जा सकेंगे। इसमें एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट शामिल हैं। शुरुआती चरण में इस पर मिग फाइटर्स और कुछ हेलीकॉप्टर्स रहेंगे।
- 262 मीटर लंबी और 62 मीटर चौड़े इस युद्धपोत पर 1600 क्रू रखे जा सकेंगे। इस बर बने कुल कंपार्टमेंट्स की संख्या 2200 होगी, जिसमें महिला अफसरों और सेलर्स के लिए स्पेशल केबिन भी रहेंगे। इस पर अत्याधुनिक मेडिकल सुविधाएं, प्रयोगशालाएं, सीटी स्कैनर, एक्स-रे मशीन और आइसोलेशन वॉर्ड भी मौजूद होगा।
- गौरतलब है कि चीन समुद्र में बहुत तेजी के साथ अपनी ताकत बढ़ा रहा है। हाल ही में श्रीलंका में चीन के समुद्री जहाज की तैनाती के बाद भारत की चिंताएं भी सामने आई थीं। ऐसे में आईएनएस विक्रांत का आना भारत की समु्द्री ताकत में इजाफा करेगा।
IAC Vikrant की खासियतों
- इसमें ईंधन के लिए 250 टैंकर लगे हुए हैं।
- ओलंपिक के 2 स्वीमिंग पूल के साइज का हैंगर है।
- एयरक्रॉफ्ट में 2400 कंपार्टमेंट हैं।
- 24000 किलोवॉट बिजली उत्पादन
- IAC विक्रांत साइज में दो फुटबॉल फील्ड के बराबर है।
- इसकी ऊंचाई 18 मंजिल की इमारत के बराबर है।
- 1600 क्रू मेंबर रह सकते हैं।
- किचन में एक घंटे में 3000 रोटियां बन सकती है।
- 16 बेड वाला अस्पताल है।
स्वदेशी विमानवाहक (IAC) की नींव अप्रैल 2005 में औपचारिक स्टील कटिंग द्वारा रखी गई थी।विमान वाहक बनाने के लिए खास तरह के स्टील की जरूरत होती है जिसे वॉरशिप ग्रेड स्टील (WGS) कहते हैं। स्वदेशीकरण अभियान को आगे बढ़ाते हुए आईएसी के निर्माण के लिए आवश्यक वॉरशिप ग्रेड स्टील को रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL) और भारतीय नौसेना के सहयोग से स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के माध्यम से सफलतापूर्वक देश में बनाया गया था। इसके बाद जहाज के खोल का काम आगे बढ़ा और फरवरी 2009 में जहाज के पठाण (नौतल, कील) का निर्माण शुरू हुआ यानी युद्धपोत के निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ी। पठाण, जहाज का सबसे नीचे रहनेवाला बुनियादी अवयव है, जिसके सहारे समस्त ढांचा खड़ा किया जाता है।
जहाज निर्माण का पहला चरण अगस्त 2013 में जहाज के सफल प्रक्षेपण के साथ पूरा हुआ। 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा आईएनएस विक्रांत 18 समुद्री मील से लेकर 7500 समुद्री मील की दूरी तय कर सकता है।जहाज में लगभग 2,200 कक्ष हैं, जिन्हें चालक दल के लगभग 1,600 सदस्यों के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें महिला अधिकारियों और नाविकों को समायोजित करने के लिए विशेष केबिन शामिल हैं।