नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने भारत में कोरोना के कारण प्रभावित छात्रों को मौद्रिक सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है। मिड डे मील योजना के तहत एक से आठवीं कक्षा तक के छात्रों के खाते में सीधे पैसा ट्रांसफर किया जाएगा। दोपहर भोजन योजना के तहत छात्रों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिए पैसा मुहैया कराने का फैसला किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 11 करोड़ 80 लाख छात्रों को विशेष राहत उपाय के तौर पर यह सहायता उपलब्ध कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सरकार के इस उपाय से देश में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में एक से आठवीं कक्षा तक के छात्रों को लाभ होगा। केंद्र सरकार के इस एक बार के विशेष कल्याणकारी उपाय से देश भर के 11.20 लाख सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले लगभग 11.8 करोड़ बच्चे लाभान्वित होंगे।
भारत सरकार इस उद्देश्य के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लगभग 12,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि मुहैया कराएगी। केंद्र सरकार द्वारा इस मौद्रिक सहायता से देशभर के सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा एक से आठवीं तक पढ़ने वाले लगभग 11.8 करोड़ बच्चों को लाभ होगा। केंद्र सरकार के अलावा, कई राज्य सरकारों ने भी कोविड -19 के कारण अपने माता-पिता को खोने वाले छात्रों को निधि देने की घोषणा की है। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, केंद्र सरकार इसके लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को एक हजार दो सौ करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि मुहैया कराएगी।
इस निर्णय से कोविड महामारी के दौरान बच्चों को जरूरी पोषण उपलब्ध कराने और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस बात की जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्वीट कर दी है। मध्याह्न भोजन योजना (मिड डे मील) 15 अगस्त 1995 को शुरू की गई थी। इसे ‘नेशनल प्रोग्राम ऑफ न्यूट्रिशनल सपोर्ट टू प्राइमरी एजुकेशन’ के तहत शुरू किया गया था। इस भोजन योजना का लाभ सरकारी स्कूल, सरकार से फंड प्राप्त स्कूल, स्थानीय निकाय जैसे कि नगर निगम या नगर पालिका के स्कूल, स्पेशल ट्रेनिंग सेंटर , मदरसा और मकतबों में पढ़ने वाले छात्रों को दिया जाता है।