अफवाह एक ऐसा ज्वलंत शब्द और मुद्दा है, जो तेजी से फैलता है और असर ज्यादा करता है, भले ही वह कुछ दिनों के लिए ही क्यों न हो, लेकिन फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता है।

NBL, 03/02/2023, Lokeshwer Prasad Verma, Raipur CG: Rumor is such a burning word and issue, which spreads fast and makes more impact, even if it is only for a few days, but the benefit is less and the harm is more.

अफवाह फैलाने वाले लोग अपने शब्दों से बहुत से लोगों को अपने प्रभाव में ले आते हैं, और इनके अफवाह बातों से फ़ायदा कम और नुकसान ज्यादा होते हैं, और अफवाह किसी भी मुद्दे को लेकर उड़ाई जा सकती है, और आज इन अफवाह बातों का प्रोग्रेस बड़ी आसानी से हो जाती है, सोशल मिडिया के माध्यम से और कुछ न्यूज चैनल के माध्यम से और कुछ अफवाह बातों को प्रिंट मीडिया अपने अखबारों में जगह दे देता है, तो यह बेतुकी अफवाह प्रायः प्रायः पूरे देश के अंदर फैल जाता है, और कुछ को देश के लोग बाहर देश में परोस देते हैं, ऐसा करते करते पूरे विश्व में फैल जाते है यह बेतुकी अफवाहे। और यही बेतुकी अफवाह की बात देश के लिए मुख्य मुद्दा बन जाता है, और जिस विषय पर ये अफवाहे फैलाई गई है, उनको बहुत ही ज्यादा नुकसान उठाना पड़ जाता है। 

सामाजिक विज्ञानों में ऐसे कथनों को अफवाह (rumor) कहते हैं जिसकी सत्यपरकता की शीघ्र या कभी भी न जाँची जा सके। कुछ विद्वान अफवाह को अधिप्रचार (प्रोपेगेण्डा) का ही एक रूप मानते हैं।

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भगदड़ भीड़ प्रबंधन की असफलता या अभाव की स्थिति में पैदा हुई मानव निर्मित आपदा है। यह प्रायः भीड़ भरे इलाको में किसी अफवाह के कारण भी पैदा होती है। इसके अलावा प्राकृतिक आपदाएं एवं प्रशासनिक अव्यवस्था के कारण भी यह आपदा पैदा होती है। इसमें संपत्ति से अधिक जान की क्षति होने की संभावना रहती है। इसमें भीड़ अचानक किसी अफवाह, आशंका या भय के कारण तेजी से एक तरफ भागने लगती है जिसके कारण प्रायः बालक, वृद्ध एवं स्त्रियाँ भागते लोगों के पैरों के नीचे आकर कुचले जाते हैं। लोगों की भीड़ में दबने से मौत तक हो जाती है, इतना खतरनाक होते है ये अफवाहे। 

कुछ लोग तो इतना तक अफवाहे फैला देता है की एक समुदाय धर्म के लोग दूसरे समुदाय धर्म के लोगों के लिए दुश्मन बन जाता है, और इन बेतुकी अफवाहो के चक्कर में पड़कर मरने मारने के लिए उतारू हो जाते हैं यहाँ तक दंगे का रूप ले लेता है, और जानमाल का बहुत नुकसान हो जाते हैं, जब इन अफवाहो का प्रभाव कम या इन अफवाहों की गहराई से जाँच पड़ताल शासन प्रशासन के द्वारा की जाती है और इन अफवाह बातों का कोई ठोस सबूत नहीं होता तो आपस में लड़ने वाले दो समुदायों के लोगों को बड़ी अफसोस होता है की हम लोग आपस में लड़ झगड़ कर एक दूसरे का बहुत ही नुकसान कर दिया और इन अफवाह बातों से आपसी भाईचारा क़ायम नहीं होता है, बहुत दिन व साल लग जाती हैं, आपसी मेलजोल व आपसी भाईचारा बढाने के लिए। इतना बेकार होता है यह अफवाहे। 

सोशल मीडिया की अफवाहों से निपटने के लिए लोगों को रणनीति विकसित करनी चाहिए। सोशल मीडिया की अफवाहों से निपटने के लिए पहला कदम यह पहचानना है कि आपको ऑनलाइन पढ़ी गई हर बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए। हालांकि अधिकांश लोग जानते हैं कि ऑनलाइन जानकारी झूठी हो सकती है, लेकिन जब अफवाहों की बात आती है तो वे इसे भूल जाते हैं। इसका कारण यह है कि अफवाहें अक्सर सच पर आधारित होती हैं। इसके अलावा, अफवाहें अक्सर दिलचस्प या सनसनीखेज प्रकृति की होती हैं। इससे वे तेजी से फैलते हैं क्योंकि वे साझा करने के लिए उत्साहित होते हैं।

किसी व्यक्ति को अपने सोशल मीडिया खातों के माध्यम से असत्यापित दावों को फैलाना बंद कर देना चाहिए। अफवाहें उन लोगों द्वारा फैलाई जाती हैं जिन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने दोस्तों से जानकारी प्राप्त की है। यह एक अफवाह को विश्वसनीय बनाता है क्योंकि ज्यादातर मामलों में एक दोस्त इसे साझा करता है। जब कोई मित्र अपने ट्विटर खाते पर कोई समस्या साझा करता है, तो आप इसे एक संकेत के रूप में ले सकते हैं कि वह जानकारी से सहमत है।

अफवाहों से निपटने के लिए एक और रणनीति समाचार पत्रों और समाचार चैनलों जैसे विश्वसनीय समाचार आउटलेट्स द्वारा सत्यापन की प्रतीक्षा करना है। सोशल मीडिया समाचार के पारंपरिक स्रोतों की तुलना में सूचनाओं को तेजी से फैलाता है। इसका कारण यह है कि किसी भी तथ्य का सत्यापन किए जाने से पहले ही सोशल मीडिया पर जानकारी फैला दी जाती है। पारंपरिक समाचार स्रोत यह सुनिश्चित करते हैं कि जनता को इसे जारी करने से पहले उन्होंने सत्यापित जानकारी प्राप्त की हो।

आज देश में अफवाह बातों का विस्तार राजनीतिक नेताओं के द्वारा व धार्मिक संगठन के उच्च पद पर आसीन गुरुओ के द्वारा ज्यादा अफवाहे फैलाई जा रही है अपने आप के निजी स्वार्थ के लिए लेकिन इन अफवाह बातों से देश के हर एक विषय वस्तु व्यक्ति को नुकसान पहुँचा रही है, जो देश के तरक्की के लिए बाधक है। 

सोशल मीडिया के जरिए कई तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं। जबकि इनमें से कुछ असत्यापित दावे हानिरहित हैं, कुछ व्यक्तियों को चोट पहुँचा सकते हैं। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि सोशल मीडिया से जानकारी प्राप्त करते समय चौकस रहें। अफवाहों पर विश्वास न करें जब तक कि वे एक विश्वसनीय स्रोत द्वारा सत्यापित न हों।

 

 



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