ड्रग विभाग की उदासीनता एवं निष्क्रियता से दवा दुकानों में पनप रहा गैरकानूनी कार्य
संजूजैन:7000885784
बेमेतरा:= ज़िलाक्षेत्र संचालित अनेक मेडीकलों में इन दिनों नॉट फ़ॉर सेल की सैम्पल दवाई बेचे जाने का गम्भीर मामला प्रकाश में आ रहा है। जिसमे मेडीकल संचालकों द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को जमकर लूटा जा रहा है। जिसमे ड्रग इंस्पेक्टर सहित समुचा विभाग अनजान बना बैठा है। क्योंकि ताज़ा जानकारी के मुताबिक वर्तमान में विभिन्न कम्पनियों के नए नए दवाई प्रोडक्ट सप्लाई बढाने वाले एमआर घूम घूम कर नॉट फ़ॉर सेल की दवाई डॉक्टरों को ट्रायल के लिए देने की बजाए खुलेआम थोक के भाव मे मेडीकल संचालकों को बेच रहे है। जिसे दवाई दुकानदार चिकित्सकों की पर्ची पर अनेको ग्रामीण मरीजों को उचित मूल्य में उस दवाई प्रोडक्ट को बेचकर अवैध कारोबार कर रहे है। जिसपर जिम्मेदार प्रशासन की भूमिका सवालों के घेरे में नज़र आ रही है।यह घटनाक्रम अकेले एक ग्रामीण क्षेत्र या सेक्टर तक सीमित नही है अपितु चारों विकासखण्डों में इसी तरह की गैरकानूनी गतिविधि की जानकारी प्राप्त हो रही है। जिससे दवा कारोबार एवं मेडीकल सहित ड्रग विभाग पर से विश्वास उठने लगी है।जिस पर ज़िला प्रशासन को तत्काल एक्शन लेने की आवश्यकता है।
*दवा प्रचारक एमआर से रैकेट की शुरुआत, डॉक्टरों के बजाए दवा दुकानों में खप रहा ट्रायल दवा*
दरअसल पूरे ज़िलाक्षेत्र में दवा कारोबार के प्रचारक एजेंट (एमआर) घूम घूम कर डॉक्टरों के दवाखानों एवं अस्पतालों में अपने अपने विभिन्न कम्पनियों के दवाई का प्रचार-प्रसार करते है। जिसके तहत चिकित्सक को कुछ सैम्पल दवा आर्थिक रूप से मरीजो के ऊपर ट्रायल के लिए दे दी जाती है। जिसके तहत उन्हें क्षेत्र के हिसाब से बांट दिया जाता है। इसी दायरे में दवा कम्पनी के एमआर अपने कार्यक्षेत्र में कुछ मेडीकल संचालकों से सम्पर्क कर डॉक्टरों को देने के बजाए कम कीमत पर मेडीकलों को दे देते है। लिहाजा अब स्थिति यह हो गयी है कि यह घटनाक्रम अब एक कारोबार बन गया है।
*मेडिकलो में डॉक्टरों पर्ची पर थमा रहे नॉट फ़ॉर सेल अंकित दवा*
चूंकि दवा कम्पनियों के एमआर द्वारा डॉक्टरों के बजाए मेडीकल संचालकों को नॉट फ़ॉर सेल की सैम्पल दवा दिया जा रहा है। जिसे मेडीकल वाले ग्रामीण मरीजो को उचित मूल्य पर बेचकर अवैध मुनाफा कमा रहे है। जानकारी मिल रही है कि दवा प्रोडक्ट में अंकित नॉट फ़ॉर सेल एवं सैंपल डिटेल के साथ छेड़छाड़ किया जाता है। जिससे ग्रामीण लोग इसका शिकार हो रहे है।
*डॉक्टरों की भूमिका भी संदिग्ध,मरीजों को बना रहे मिलकर निशाना*
फिलहाल इस अवैध कारोबार के डॉक्टरों की भूमिका भी सन्देह के दायरे में आ रहा है। क्योंकि नॉट फ़ॉर सेल की दवा लेने के बाद कई मरीज डॉक्टरों के पास पुनः दिखाने के लिए जाते है,जिसे जिम्मेदार डॉक्टर देखने के बाद दवा दुकानदारों पर शिकायत के बजाए दवा पर रजामंदी दे देते है। वही कई ऐसे चिकित्सक है जो मरीजो को पर्ची लिख देने के बाद दवाई लेकर वापस दिखाने दोबारा नही बुलाते है। वही इन सबमे गम्भीर इस कारोबार में खुद कुछ डॉक्टर सांठ गांठ होते है जो दवा दुकान या खुद के माध्यम से पूरा रैकेट चलाते है।
*अफसरों की उदासीनता एवं निष्क्रियता से फल फूल रहा कारोबार*
बरहहाल इन रैकेट में मुख्य जिम्मेदार सम्बंधित ड्रग इंस्पेक्टर(दवा निरीक्षक) की जवाबदारी बनती है, जो ऐसे घटनाक्रम पर उदासीन एवं निष्क्रिय रहकर पूरे रैकेट व इससे जुड़े गैर कानूनी कार्य को बढ़ावा दे रहे है, जो कि आमजनों को सोचने पर विवश कर रहा है।जिसका शासन-प्रशासन द्वारा जिम्मेदारीपूर्वक कार्यवाही के माध्यम से पर्दाफाश होना बहुत जरूरी हो गया है।
*आम लोगों में जागरूकता की कमी भी जिम्मेदार*
चूंकि इस घटनाक्रम के लिए जितना जिम्मेदार अफसर व डॉक्टर है उतने ही जिम्मेदार आम नागरिक भी है। क्योंकि ग्रामीण लोगों में जागरूकता की कमी के कारण इस दवा ठगी के कारोबार का शिकार होते हैं। वही जागरूक व साक्षर लोग भी इस गतिविधियों पर चुप्पी साधकर ऐसे कार्यो को बढ़ावा दे रहे है जो कि अनुचित है।