भिलाई। जिले के अव्वल अस्पतालों में शामिल स्पर्श सुपर स्पेशियालिटी हॉस्पिटल अब और ज्यादा सुरक्षित बन गया है। कोरोना के दौरान ऑक्सीजन की समस्या को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने खुद का ऑक्सीजन प्लांट स्थापित कर लिया है। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इसका उद्घाटन किया। खुद का प्लांट स्थापित करने के मामले में स्पर्श हॉस्पिटल दुर्ग जिले का पहला अस्पताल बन गया है। इस मौके पर न्यूरो सर्जिकल माइक्रोस्कोप और आधुनिक वेंटीलेटर का भी शुभारंभ किया गया।
प्लांट स्थापित होने से कोविड की तीसरी लहर में अस्पताल ज्यादा बेहतर तरीके से संक्रमितों को स्वस्थ्य बनाने में मददगार साबित होगा। इस प्लांट को महज 21 दिन में स्थापित किया गया है। प्लांट में 48 जंबो आकार के सिलेंडर के बराबर ऑक्सीजन बनाई जा सकेगी। इन सिलेंडरों को अस्पताल के बेड से जोड़ा गया है। यानी जरूरत पड़ने पर बिना वक्त गंवाए, बस नॉब खोलने भर से मरीज को ऑक्सीजन मिल जाएगी। ऑक्सीजन प्लांट का शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित कलेक्टर डॉ. भुरे ने कहा कि इस प्लांट से न केवल कोविड के मरीजों को लाभ होगा, बल्कि अन्य गंभीर मरीजों के इलाज में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अन्य अस्पतालों में भी ऑक्सीजन की व्यवस्था को सुचारू करने के लिए सरकार प्रयास कर रही है।
कोविड के दौरान जिला नोडल अधिकारी (होम आइसोलेशन) रहीं डॉ. श्रीमती रश्मि भुरे ने अस्पताल की तारीफ करते हुए कहा कि कोविड के दौरान अपनी बेहतर सुविधाओं के कारण स्पर्श हॉस्पिटल मरीजों की पहली पसंद रहा। सीएमएचओ डॉ. गंभीर सिंह ने कहा कि ऑक्सीजन प्लांट लगने से मरीजों का अस्पताल के प्रति भरोसा बढ़ेगा। स्पर्श के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. एपी सावंत ने ऑक्सीजन प्लांट, वेंटीलेटर और न्यूरो सर्जिकल माइक्रोस्कोप की विशेषताओं के बारे में बताया।
*तीसरी लहर से मुकाबले की तैयारी, कटी उंगली भी जोड़ने में सक्षम*
स्पर्श अस्पताल के डॉ. दीपक वर्मा के अनुसार कोविड के दौरान पैदा हालात से हमने काफी कुछ सीखा। आज हम और बेहतर व्यवस्थाओं के साथ कोविड और बाकी बीमारियों से लड़ने में सक्षम हैं। हमने वेंटिलेटर की कमी भी महसूस की, इसके बाद हमने सबसे आधुनिक वेंटिलेटर का अस्पताल में इंतजाम किया है। ये ऐसे वेंटिलेटर हैं जो बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के लिए ज्यादा सुविधाजनक हैं। डॉ. वर्मा के अनुसार हम तीसरी लहर से मुकाबले के लिए तैयार हैं। हमने न्यूरो सर्जिकल माइक्रोस्कोप का जो मॉडल मंगाया है, वह छत्तीसगढ़ में अपनी तरह का पहला माइक्रोस्कोप है। इसके बाद हम ऐसी सर्जरी करने में भी सक्षम हो गए हैं, जो अभी तक मुश्किल थीं। अब हम कटकर अलग हुई उंगली भी जोड़ सकते हैं।
*कोविड के दौरान ऑक्सीजन की कमी देखकर लिया था निर्णय*
स्पर्श अस्पताल के डॉ. संजय गोयल ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चरम के दौरान अस्पताल में एक समय 120 मरीज भर्ती थे। इनमें से 70 ऐसे थे, जिन्हें ऑक्सीजन पर रखने की जरूरत थी। ऑक्सीजन की भारी जरूरत पड़ रही थी और आपूर्ति हो नहीं पा रही थी। एक वक्त ऐसा भी आया जब अस्पताल में केवल दो घंटे की ही ऑक्सीजन उपलब्ध थी। उस हालात में हमने महसूस किया कि हम कितने लाचार हैं। मरीजों के परिजनों की उम्मीदें अस्पताल से काफी होती हैं। हमने किसी तरह ऑक्सीजन का इंतजाम तो कर लिया, लेकिन यह भी तय किया कि हम जल्द ही अस्पताल में ही ऑक्सीजन की व्यवस्था करेंगे। आज हमने अपना वह संकल्प पूरा कर लिया है। इस प्लांट से न केवल कोविड के मरीजों को लाभ होगा, बल्कि अन्य मरीजों को भी इसका फायदा मिलेगा। इस मौके पर एडीएम सुश्री नुपुर पन्ना, श्री विपुल, श्री पंचभाई, डॉ. श्रीमती सुगम सावंत, डॉ. सतीश मेश्राम, डॉ. बंजारे, सीए प्रदीप पाल, सीए अजय सोमानी सहित अन्य स्टाफ मौजूद रहा।