मुस्लिम देश ईरान ने आतंकवादी संगठन के समर्थन में अपनी शक्ति दिखाकर यहूदी देश इजराइल को अनावश्यक रूप से उकसाया है। अब करो या मरो की स्थिति पैदा हो सकती है।

NBL, 03/010/2024, Lokeshwar Prasad Verma Raipur CG: The Muslim country Iran has unnecessarily provoked the Jewish country Israel by showing its power in support of the terrorist organization. Now a do or die situation may arise. पढ़े विस्तार से... 

ईरान पूरी दुनिया के आतंकवादी संगठनों का सरगना बनकर उभर रहा है, उनकी मंशा साफ नहीं है और कई शांतिप्रिय मुस्लिम देश ईरान के इन काले कारनामों की निंदा करते हैं जिसने बिना किसी कारण के इजराइल पर 200 मिसाइलें दाग दीं, जबकि आतंकवादी हमले से परेशान इजराइल हमास, हिजबुल्लाह, हुति जैसे आतंकवादी संगठनों से जूझ रहा है ताकि उनके द्वारा की जा रही मानव बलि पूरी तरह से बंद हो जाए और इस आतंकवादी संगठन द्वारा दोनों तरफ से निर्दोष मुसलमानों और यहूदियों की हत्या पूरी तरह से बंद हो जाए लेकिन ईरान आग में घी डालने का काम कर रहा है। 

और पूरी दुनिया के आतंकवादी संगठनों का आका बनकर राज करना चाहता है। इजराइल पर हमला करके ईरान ने दुनिया के लोगों को बता दिया है कि वह आतंकवादी संगठनों के साथ है। वह अपने धर्म, मुसलमानों के साथ नहीं है, अगर ऐसा होता तो ईरान इजराइल के साथ शांति वार्ता करके गाजा, लेबनान, यमन के कई निर्दोष मुसलमानों को मरने से बचा सकता था, लेकिन उनके इरादे कुछ और हैं, काला चश्मा पहने दुनिया के मुसलमान ईरान के इरादों को समझ नहीं पा रहे हैं। उन्हें समय ही बताएगा कि ईरान के इरादे क्या हैं।

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ईरान ने इजराइल के साथ इतिहास रचने के लिए जो कार्यवाही की है वह निंदनीय है और एक तरफ ईरान यह कह रहा है कि अगर इजराइल ने जवाबी हमला किया तो हम भी इजराइल को नहीं छोड़ेंगे, यह सीधी धमकी है, जबकि ईरान ने इजराइल को डराने के लिए ऐसे मिसाइल हमले किए जो दुनिया के मुस्लिम देशों के सामने वाहवाही बटोरने के लिए किए गए समझिए। हम पूरी तरह से आतंकी संगठनों के साथ हैं और इजराइल हमारा दुश्मन देश है और आतंकी संगठन उन पर हमला कर रहे हैं, हम उनका समर्थन करते हैं।

अब तक का सबसे बड़ा हमला करके ईरान इजराइल को युद्ध के लिए उकसा रहा है और इसके विनाशकारी परिणामों की परवाह किए बिना ईरान अपनी शक्ति का प्रदर्शन करके मुस्लिम देशों के मुसलमानों के लिए हीरो बन गया है, इसीलिए वे इजराइल के विनाश का जश्न मना रहे हैं।यह ईरान की असली आतंकी सोच है जो पूरी तरह से मानवीय नहीं है, जो बिन बुलाए मेहमानों की तरह इजराइल के घरों में घुस रही है, जबकि उनके द्वारा दागी गई बैलिस्टिक मिसाइल विफल हो गई और इजराइल की धरती पर कोई जनहानि नहीं हुई, इजराइल की रक्षा प्रणाली इतनी शक्तिशाली है, अब यह आने वाले समय पर निर्भर करता है कि इजराइल जवाबी हमला करता है या शांति वार्ता के माध्यम से ईरान के शक्ति प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाता है।

आज दुनिया के अधिकांश मुस्लिम देशों में आतंकवादी क्यों पैदा कर रहे हैं, जबकि आतंकवादियों की नीयत और नीतियां मानव समाज के लिए हितकारी नहीं होती हैं, और वे अपने ही धर्म और समाज के आम लोगों के लिए खतरा पैदा करते हैं और उन्हें शांति से जीने नहीं देते, क्योंकि आतंकवादियों का एकमात्र काम आतंक पैदा करना और उस राज्य या देश में अपनी सत्ता स्थापित करना होता है और यही हम देख रहे हैं, फिलिस्तिन, गाजा में हमास, लेबनान में हिजबुल्लाह और यमन में हुति आतंकवादी संगठन हावी हैं और उनका समर्थन कर रहे हैं, मुस्लिम देश ईरान लेकिन वहां के लोग आज इसका दुष्परिणाम भुगत रहे हैं, उनकी अच्छी-खासी जिंदगी बर्बाद हो रही है, मुझे लगता है कि इन आतंकवादी संगठनों के गोले और बारूद की आग से दुनिया के मुसलमानों की आधी आबादी का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा और दुनिया के कई देशों में अराजकता फैल जाएगी क्योंकि उनके पास धन-संपत्ति नहीं होगी और वे जीवित रहने के लिए दूसरे लोगों को नुकसान पहुंचाएंगे और पुनः आतंकवादी संगठन फिर से बन जाएंगे या इन बेचारे गरीब परेशान मुसलमानों को वहां के शासक द्वारा बिना किसी कारण के मार दिया जाएगा आतंक वादी घोषित कर।

ईरान ने जबरदस्ती इजराइल पर 200 बैलिस्टिक मिसाइल दागे हैं, जबकि ये युद्ध नीति के विरुद्ध है और अब जवाबी कार्रवाई में इजराइल ईरान पर मिसाइल दागेगा, जरा सोचिए इसका नतीजा क्या होगा, हर तरफ हाहाकार मच जाएगा और कई मासूम लोगों का जीवन अस्त व्यस्त हो जाएगा, या तो ईरान बर्बाद हो जाएगा या इजराइल बर्बाद हो जाएगा और इस जानलेवा युद्ध से नया इतिहास रचा जाएगा, और क्या होगा सिवाय मानव बलि के कारण दोनों देशों की जमीनें अभिशप्त हो जाएंगी, ये अपने अस्तित्व की लड़ाई नहीं है, ये अहंकार की लड़ाई है, ईरान आतंकवादी संगठन के समर्थन में लड़ेगा और इजराइल आतंकवाद को खत्म करने के लिए लड़ेगा, बस यही कहानी दुनिया सुनेगी, दुनिया भर के देशों में रहने वाले मुसलमान ईरान की इस ताकत को देखकर जश्न मना रहे हैं। 

उन्होंने सही किया, हमारा मुस्लिम देश ईरान 200 मिसाइल दाग कर इजराइल को सबक सिखा रहा है, हम दुनिया के मुसलमान किसी से कम नहीं हैं और इस तरह का गुस्सा और इस तरह की आतंकवादी सोच दुनिया के अन्य शांतिप्रिय देशों के लिए ठीक नहीं है, जिनमें से एक भारत भी है। और कुछ भारतीय मुसलमानों का असली चेहरा सामने आ रहा है, लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के मुखिया नसरुल्लाह की हत्या के समर्थन में वे कह रहे हैं कि एक नसरुल्लाह मरा है, हम कई नसरुल्लाह पैदा करेंगे। क्या वे शांति वार्ता के पक्ष में होंगे, बिल्कुल नहीं, वे ईरान के पक्ष में हैं और ईरान आतंकी संगठनों के पक्ष में है। जबकि भारत सरकार आतंकियों के सख्त खिलाफ है, ये आतंकी समर्थक भारत सरकार के पक्ष में भारत के साथ कैसे रहेंगे। यही क्रोध विनाश की मुख्य जड़ है, जो गलत को गलत कहने से डरते हैं और अराजकता को अपने लिए फायदेमंद मानते हैं।

इजराइल पर मिसाइल हमलों के बाद ईरान की संसद में जश्न मनाया गया। कल रात हुए हमले के बाद ईरान, लेबनान में जश्न मनाया गया और जमकर आतिशबाजी की गई। यह कैसी जीत है जिसका जश्न ईरान और उसके मित्र देश मना रहे हैं, जबकि बहुत जल्द ईरान और इजराइल दोनों देशों के बीच घातक युद्ध मे वहाँ के लोगों के मारे जाने पर दोनों देश शोक मनाएंगे। विनाश काले विपरीत बुद्धि इसी को कहते है, जो बिना वजह अपनी ताकत का इस्तेमाल कर रहे हैं ईरान।अब ईरान इजराइल से कह रहा है कि ये ईरान का टाइटल है अगर इजराइल हमसे भिड़ा तो हम इजराइल को पूरी फिल्म दिखा देंगे वो भी भयानक और वो भी ईरान की सरकार के आदेश पर वो इजराइल को धमका रहे हैं जबकि यहूदी देश इजराइल ने मुस्लिम देश ईरान के विनाश के लिए गाइडलाइन तैयार कर ली है अब देखना है इजराइल की गाइडलाइन क्या होती है जबकि दोनों ही देश युद्ध लड़ने में सक्षम हैं और दोनों ही देश अपनी आन बान और शान के लिए कट्टरपंथी देश हैं।

ईरान के पास रूस जैसे शक्तिशाली सहयोगी हैं और इजराइल के पास महाशक्ति अमेरिका है और ये दोनों ही एक दूसरे के दुश्मन देश हैं, अगर ईरान और इजराइल की लड़ाई महायुद्ध में बदल गई तो समझ लीजिए कि दुनिया दो हिस्सों में बंट जाएगी और महाविनाश निश्चित है और इससे पूरी दुनिया में आर्थिक संकट पैदा हो जाएगा, और इन सबका कारण है आतंकवाद को बढ़ावा देना, इस आतंकवादी संगठन को बढ़ावा देने के लिए ईरान जबरन अपनी ताकत का इस्तेमाल कर रहा है और इजराइल अपनी आत्मरक्षा के लिए युद्ध लड़ने को मजबूर है, जबकि दोनों ही देश शांति वार्ता करके युद्ध को रोक सकते हैं और अपने-अपने देश के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए शांति वार्ता कर सकते हैं।


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