किस कदर आती है मुझे तेरी याद
समझ ना आए, किसे बताऊ मैं ये बात
हर पल महसूस होती है मुझे तेरी कमी
पर मैं सबसे छुपाता हू आंखो की नमी
तेरी यादों में बीते मेरी राते
याद आती है हर पल मुझे तेरी बाते
तुझसे था मेरा ये किस कदर लगाव
दे गया तू मुझे ये कितना गहरा घाव
किस कदर आती है मुझे तेरी याद
समझ ना आए, किसे बताऊ मैं ये बात
मुझसे जुदा हुए हो गया तुझे एक साल
रह गए न जाने मेरे मन में कितने सवाल
तेरी यादों से करता हू मैं हर पल बात
पर समझ ना आए, मैं तुझसे कैसे करु बात
तू हो कर भी मुझसे जुदा
तू बन गया है मेरा खुदा
विकास कस्वाँ
दीपका छत्तीसगढ़