दुनिया के लिए नया ख़तरा : कोरोना के 2 नए वैरिएंट 'म्यू' और C.1.2 से खतरा बढ़ा….इन पर वैक्सीन बेअसर, आने वाले महीनों में और खतरनाक होगा….पढ़िये………

 

डेस्क : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जनवरी में कोलंबिया में मिले B.1.621 वैरिएंट को ग्रीक अल्फाबेट के आधार पर 'म्यू' नाम दिया है। साथ ही इस वैरिएंट को 'वैरिएंट्स ऑफ इंटरेस्ट' की सूची में शामिल कर लिया है। WHO का कहना है कि वैरिएंट में ऐसे म्यूटेशंस हैं जो वैक्सीन के असर को कम करते हैं। इस संबंध में और स्टडी करने की जरूरत है।

 

 

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WHO की नए वैरिएंट बुलेटिन में कहा गया है कि म्यू वैरिएंट में ऐसे म्यूटेशंस हुए हैं, जो इम्यून एस्केप की आशंका बताते हैं। इम्यून एस्केप का मतलब है कि यह वैरिएंट आपके शरीर में वायरस के खिलाफ बनी इम्यूनिटी को चकमा दे सकता है। इसके अलावा एक और वैरिएंट C.1.2 दक्षिण अफ्रीका में मिला है। इसे फिलहाल WHO ने ग्रीक नाम नहीं दिया है, पर यह भी इम्यूनिटी को चकमा देने की क्षमता रखता है।

 

 

 

अब तक भारत में अल्फा और डेल्टा वैरिएंट ही हावी रहे हैं। दूसरी लहर के लिए तो डेल्टा वैरिएंट को ही जिम्मेदार ठहराया गया है। अच्छी और राहत की बात यह है कि देश में अब तक म्यू और C.1.2 वैरिएंट का एक भी केस नहीं मिला है।

 

 

 

दुनियाभर में मिल रहे नए वैरिएंट्स को लेकर कई सवाल हैं। क्या यह खतरनाक हैं? क्या इन वैरिएंट्स के खिलाफ वैक्सीन कारगर है? क्या भारत में ये तीसरी लहर का कारण बन सकते हैं?

 

 

कोरोना के वैरिएंट्स को लेकर क्या नई जानकारी मिली है?

 

 

 

पिछले दिनों दो नए वैरिएंट्स (B.1.621 और C.1.2) ने दुनियाभर के विशेषज्ञों को अलर्ट कर दिया है। इसमें से एक B.1.621 जनवरी में सबसे पहले कोलंबिया में मिला था। इसे WHO ने ग्रीक अल्फाबेट से ‘म्यू’ नाम देकर वैरिएंट्स ऑफ इंटरेस्ट की सूची में शामिल किया है। दूसरा वैरिएंट (C.1.2) दक्षिण अफ्रीका में मिला है।

 

 

दोनों ही वैरिएंट्स वैक्सीन और नेचुरल इन्फेक्शन से शरीर में बनी इम्यूनिटी को चकमा देने की क्षमता रखते हैं। इसका मतलब है कि इन वैरिएंट्स के सामने वैक्सीन भी बेअसर हो सकती है।

 

 

 

C.1.2 वैरिएंटः यह वैरिएंट किस हद तक एंटीबॉडी को चकमा देने में काबिल है, इस पर WHO का कहना है कि यह बीटा (B.1.351) वैरिएंट जैसा है जो दक्षिण अफ्रीका में दिसंबर 2020 में मिला था। इसे WHO ने वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न (VoC) में शामिल किया था। दक्षिण अफ्रीका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेबल डिजीज (NICD) के रिसर्चर्स का कहना है कि C.1.2 में कुछ म्यूटेशंस बीटा और डेल्टा वैरिएंट जैसे ही हैं। उनके साथ-साथ कई और म्यूटेशंस भी हुए हैं।

 

 

 

म्यू वैरिएंटः यह वैरिएंट सबसे पहले जनवरी में कोलंबिया में मिला था, पर उसके बाद यह दक्षिण अमेरिकी और यूरोप के कुछ देशों में मिला है। 29 अगस्त को जारी वैरिएंट बुलेटिन में WHO ने कहा है कि म्यू (B.1.621) और उससे जुड़े एक वैरिएंट B.1.621.1 दुनिया के 39 देशों में डिटेक्ट हुआ है। WHO का कहना है कि म्यू वैरिएंट का दुनियाभर में प्रसार कम हुआ है और यह 0.1% रह गया है। इसके बाद भी कोलंबिया में 39% और इक्वाडोर में 13% केसेज में म्यू वैरिएंट मिला है।



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