प्रपंच: सत्ता सुख की भूख का नया खेल। आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल का गेम प्लान जेल से जमानत मिलते ही शुरू हो गया।

NBL, 18/09/2024, Lokeshwar Prasad Verma Raipur CG: Prapancha: A new game of hunger for power and pleasure. Aam Aadmi Party supremo Arvind Kejriwal's game plan started as soon as he got bail from jail. पढ़े विस्तार से..... 

सबसे पहले तो दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का दिमाग बहुत ही शातिर है, जो इस्तीफा देकर अपनी मंत्री आतिशी मार्लेना को सीएम बना रहे हैं। सीएम बनने से पहले आतिशी पर कई आरोप लग रहे हैं, जिसमें यह आरोप भी शामिल है कि आतिशी का परिवार आतंकवादी अफजल गुरु का समर्थक था। आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल खुद कह रही हैं कि उनके माता-पिता आतंकवादी समर्थक थे, जो आतंकवादी अफजल गुरु की फांसी रुकवाने के लिए न्याय मांगने राष्ट्रपति के पास गए थे। उनके द्वारा हस्ताक्षर अभियान चलाए गए थे। अगर ऐसी आतंकवादी बचाव मानसिकता वाले परिवार की बेटी दिल्ली की सीएम बन रही है, तो यह दिल्ली के लिए अच्छा संकेत नहीं है। वहीं, आने वाले विधानसभा चुनाव में दिल्ली की जनता आम आदमी पार्टी के पक्ष में क्या न्याय करेगी, यह तो वक्त ही बताएगा। आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल पहले ही कह चुके हैं कि दिल्ली की जनता मेरी ईमानदारी का सर्टिफिकेट देगी। भारतीय राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप लगते रहते हैं, लेकिन फिलहाल अरविंद केजरीवाल ने अपना राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक खेल दिया है,जो भाजपा और कांग्रेस की समझ से परे है। अगर बीजेपी आतंकी अफजल गुरु के नाम पर उलझी रही तो आने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी को नुकसान होगा। यह केजरीवाल का गेम प्लान है। आप की नई मुख्यमंत्री आतिशी के जरिए अरविंद केजरीवाल दिल्ली में ऐसे कमाल के काम करवाएंगे कि दिल्ली की जनता खुश हो जाएगी। यह आप सुप्रीमो केजरीवाल का दिल्ली और देश की जनता के लिए भ्रम का जाल होगा और इसका फायदा सिर्फ आप को ही होगा। इसलिए बीजेपी को सावधान रहना चाहिए क्योंकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के राजनीति करने के तरीके और आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक मापदंडों में बहुत फर्क है। हम सीधे-सादे लोग हैं और कांग्रेस आप की बैसाखी है।

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को अंधेरे में रोशनी की एक किरण नजर आ रही है और वो है जेल से जमानत मिलना और अपने सीएम पद से इस्तीफा देकर आतिशी मार्लेना को सीएम बनाना। अरविंद केजरीवाल जहां अपने गुनाहों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं आप सुप्रीमो केजरीवाल कोर्ट की शर्तों पर चल रहे हैं। केजरीवाल पर लगे दाग अभी पूरी तरह से धुल नहीं पाए हैं, वहीं उनके समर्थकों के लिए आप सुप्रीमो केजरीवाल बेदाग नजर आ रहे हैं और उनकी तारीफ हो रही है और वो सीधे तौर पर केंद्रीय जांच एजेंसियों सीबीआई, ईडी और दिल्ली की विपक्षी और केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी पर हमला बोल रहे हैं। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेता और उनका समर्थन करने वाले लोग कह रहे हैं कि सत्य को परेशान किया जा सकता है लेकिन झुकाया नहीं जा सकता, ये बयान आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो केजरीवाल और उनके समर्थकों का है।

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दिल्ली के सीएम केजरीवाल जब जेल में थे तो उन्होंने अपने सीएम पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था और अब जब वो जमानत पर जेल से बाहर आए तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया और आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने लिए एक नया फॉर्मूला पेश करने की योजना बना ली है। अगर आप दिल्ली वालों को लगता है कि आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल बेईमान हैं तो आप हमें वोट मत दीजिए। अगर आपका केजरीवाल एक साफ सुथरी छवि वाला नेता लगता है और आप लोगों को लगता है कि दिल्ली के पूर्व सीएम केजरीवाल को बीजेपी ने फंसाया है तो आप अपना वोट अपने ईमानदार नेता केजरीवाल और हमारी आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को दीजिए, इसे कहते हैं पेशेवर चतुराई जो कि आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के अंदर भरी हुई है जो कि बड़े से बड़े ताकतवर और पुराने नेताओं की राजनीतिक कुशाग्रता से भी ज्यादा तेज है, ये है दिल्ली के पूर्व सीएम केजरीवाल की चतुराई। उन्होंने अपनी आम आदमी पार्टी की मंत्री आतिशी को मुख्यमंत्री बनाकर दिल्ली की जनता को गुमराह करने की योजना बना ली है।

सीएम केजरीवाल जब जेल में थे तो उन्हें सोचने का भरपूर समय मिला और उन्होंने अपने अकेलेपन में अपने दिमाग में ऐसी बेहतरीन स्क्रिप्ट लिखी कि मैं दागी सीएम केजरीवाल अपने दाग को कैसे छिपा सकता हूं और जैसे ही उन्हें जमानत मिली,उन्होंने इस्तीफा देकर और अपनी महिला मंत्री आतिशी को अपनी पार्टी से मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करके अपने अपराधों को छिपाने का एक नया फार्मूला तैयार कर लिया है, जबकि उन पर लगे अपराधों के दाग अभी तक मिट नहीं पाए हैं, ये अभी भी कोर्ट में लंबित हैं।

आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल आज के नए भारत की जनता को 1947 का काला-सफ़ेद लोकतंत्र समझ रहे हैं कि मैं बहुत पढ़ा-लिखा और समझदार व्यक्ति हूँ और बाकी सब मेरे सामने अनपढ़, अशिक्षित और अज्ञानी हैं, आपकी ये सोच गलत है पूर्व सीएम केजरीवाल जी, जबकि पूर्व में आपके अच्छे गुणों को देखकर दिल्ली और देश की जनता ने आप पर भरोसा करके आपको दिल्ली का सीएम बनाया और आपकी आम आदमी पार्टी को देश में जगह दी, ये सब आपके अच्छे कर्मों की वजह से था, लोगों ने आप पर भरोसा किया जबकि आपने उस भरोसे को तोड़ा है, अब आपकी करनी और कथनी पर कोई भरोसा नहीं बचा है, भले ही आप पहले से अच्छा बोल सकते हैं, लेकिन अब आप पर भरोसा करना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है, दिल्ली की जनता के लिए आपका दाग अभी तक धुल नहीं पाया है।

मासूम चेहरे के पीछे चालाकी छिपी होती है और ऐसे मासूम चेहरे आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की है जो लोगों को ठगा है। जब आपने कोई अपराध नहीं किया था तो बार-बार समन के बाद भी आपने पूछताछ में ईडी का सहयोग क्यों नहीं किया, आपको जबरन गिरफ्तार क्यों किया गया और आपने अपने मोबाइल फोन का पासवर्ड जांच एजेंसी को क्यों नहीं बताया, आप दिल्ली की जनता को गुमराह करके सीएम बने थे कि आप एक सच्चे देशभक्त आम आदमी हैं और आम आदमी के नेता हैं, दिल्ली की जनता ने आपको दिल से वोट दिया था और आपने उन्हीं दिल्ली की जनता को धोखा दिया। जब आप निर्दोष थे तो जेल में क्यों थे, आपने अब तक अपनी बेगुनाही का सबूत क्यों नहीं पेश किया, आप कोर्ट में दस लाख रुपये जमा कर जमानत क्यों ली , आपको सीधे रिहा क्यों नहीं किया गया? यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब आपको देश की जनता को देना चाहिए।

जबकि अभी आप जो चिल्ला रहे हैं वह न्यायालय की शर्तों के तहत है कि आप चुनाव प्रचार कर सकते हैं। लेकिन आप अपने दाग को छुपाने के लिए लोगों को भाषण दे रहे हैं। और सीबीआई और ईडी जैसी ईमानदार एजेंसियों पर सीधा हमला करके आप उनके प्रभाव को चोट पहुंचा रहे हैं, जिसका देश में इन जांच एजेंसियों पर बुरा असर पड़ सकता है। देश के लोकतंत्र में आप यानी आम आदमी पार्टी के नेता इसे सत्ताधारी भाजपा की रिमोट कंट्रोल एजेंसी बताकर देश में अफवाह फैला रहे हैं।

न्यायालय को इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए। किसी भी दागी व्यक्ति को जमानत पर रिहा करने से पहले देश की किसी भी जांच एजेंसी की सर्वोच्चता बनाए रखना न्यायालय की जिम्मेदारी है। अगर न्यायालय आरोपी को जमानत देकर अपनी सर्वोच्चता स्थापित करता है तो क्या ईडी और सीबीआई बिना कानून के चलती हैं? माननीय न्यायालय को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और ऐसा कहने वाले व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि देश की जनता के बीच इन जांच एजेंसियों की सर्वोच्चता बरकरार रहे। जब आरोपी अपने ऊपर लगे दागों को पूरी तरह से साफ कर दे और जांच एजेंसियों के पास कोई आधार न हो तो उसे बोलने का अधिकार है। जमानत पर रिहा हुए आरोपी को तब तक बोलने का कोई अधिकार नहीं है जब तक मामला अदालत में लंबित है।

देश के लोकतंत्र को छल-कपट की राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों के नेताओं से बचना चाहिए। क्या दागी नेता अच्छा नेता हो सकता है? क्या उसने अपनी सत्ता का सही इस्तेमाल किया है? या फिर उसने इसका दुरुपयोग किया है? क्या वह लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं पर खरा उतरा है? जब दिल कहता है कि ऐसे नेताओं को सत्ता देने से हमारा कोई भला नहीं होगा, तो फिर हम उन्हें सत्ता में क्यों बिठाएँ? परिवर्तन संसार का नियम है। जानबूझकर किसी को सत्ता में बिठाना मतलब अपने राज्य और देश के विकास में बाधा डालना है। यह भी एक तरह का पाप है।

 


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