नया भारत डेस्क रायपुर, 16 मई 2024|छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के बाद नवंबर-दिसंबर 2024 में होने वाले नगरीय निकाय के चुनाव में नियमों में बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं। अब जनता खुद नगर पंचायत व नगरपालिकाओं के अध्यक्ष और नगर निगमों में महापौर चुन सकेगी। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री व विधि मंत्री अरुण साव ने नगरीय निकाय चुनाव प्रक्रिया में बदलाव के संकेत देते हुए कहा कि वे निकाय चुनाव के लिए भी पूरी तरह से तैयार हैं।
अरुण साव ने संकेत देते हुए कहा कि जब नगरीय निकायों के चुनाव होंगे तो मतदाता एक बार फिर से एक के बजाय दो वोट कर पाएंगे। इनमे एक पार्षद तो दूसरा नगर अध्यक्ष का होगा। प्रत्यक्ष रूप से महापौर के चुनाव कराने के नियम बनाने पर विचार किया जा रहा है।
बता दें कि भूपेश सरकार के सत्ता के आने से पहले तक निकायों में अध्यक्ष और महापौर का चुनाव स्वतंत्र रूप से होता था और जनता इन शीर्ष पदों के लिए मतदान करती रही है। पिछली बार नगरीय निकायों के चुनाव के पहले पूर्ववर्ती कांग्रेस की भूपेश सरकार ने नगर पंचायत, नगरपालिका और नगर निगम के चुनाव के नियमों में बड़ा बदलाव किया था। इसमें अध्यक्ष और महापौर के चुनाव का अधिकार जनता से छीनकर चुने हुए पार्षदों को दे दिया था।
दिग्जविजय ने दिया था अधिकार, भूपेश ने छीना
जानकारी के मुताबिक अविभाजित मध्यप्रदेश में 1999 में कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार ने राज्य में महापौर चुनने का अधिकार पार्षदों से छीनकर जनता के हाथ में दिया था। तब नगर निगम रायपुर में तरुण चटर्जी पहले महापौर बने थे। वह 2000 से 2003 तक महापौर रहे। इसके बाद 2004 के चुनाव में भाजपा के सुनील सोनी चुनकर आए। इसके बाद कांग्रेस से डा. किरणमयी नायक और फिर कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे महापौर बने। पांच साल पहले भूपेश सरकार ने दिग्जविजय के द्वारा दिए गए अधिकार देने वाले नियम में बदलाव करके जनता से अधिकारी छीन लिया और पार्षदों को महापौर चुनने का अधिकार दिया गया। इस नियम से रायपुर नगर निगम के एजाज ढेबर समेत अन्य निकायों में भी अप्रत्यक्ष अध्यक्ष और महापौर चुने गए ।