नया भारत डेस्कआज दीपावली है। पर्व का उल्लास दीपो की रोशनी और पटाखों की गूंज में झलकेगा, मगर उससे पहले हर घर में होगा लक्ष्मी पूजन।
दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जो धन और समृद्धि की देवी हैं. माना जाता है कि इस दिन लक्ष्मी जी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों को धन और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. भारत के कुछ हिस्सों में दिवाली को नए साल की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है, इस दिन नए काम की शुरुआत करना शुभ माना जाता है. इस साल दिवाली का पर्व आज यानी 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा. दिवाली की शाम को किस शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी- गणेश जी का पूजा करें. आइए जानते हैं.
पूजा का शुभ मुहूर्त (Diwali 2024 Puja Ka Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 37 मिनट से 8 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. यह समय देवी लक्ष्मी की पूजा और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है. 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजे से मध्य रात्रि तक रहेगा. इस दौरान घरों में साफ-सफाई करके, दीप जलाकर, और मां लक्ष्मी एवं भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिससे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इन 3 शुभ मुहूर्त में भी लक्ष्मी पूजा की जा सकती है (Lakshmi Puja 2024 Time)
प्रदोष काल में पूजा मुहूर्त का समय – 31 अक्टूबर 2024, शाम 05 बजकर 35 मिनट से रात 08 बजकर 11 मिनट तक पूजा की जा सकती है.
वृषभ काल में पूजा मुहूर्त का समय – 31 अक्टूबर 2024, शाम 06 बजकर 21 मिनट से रात 08 बजकर 17 मिनट तक पूजा का समय रहेगा.
निशिता काल में पूजा मुहूर्त का समय – 31 अक्टूबर 2024, रात 11 बजकर 39 मिनट से देर रात 21 बजकर 31 मिनट तक रहेगा.
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए दिवाली पर ऐसे करें पूजा (Diwali Puja Vidhi)
सुबह जल्दी उठकर पूरे घर की अच्छे से साफ सफाई करें. ध्यान रखें दिवाली के दिन घर के किसी भी कोने में धूल या गंदगी जमा नहीं होनी चाहिए. मान्यता है कि लक्ष्मी मां सिर्फ ऐसे ही घरों में निवास करती हैं जहां साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है. सफाई के बाद स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें, इसके बाद घर के मंदिर या पूजा स्थल में पूजा अर्चना करें. इसके बाद शाम के समय की पूजा के लिए पूरे घर को फूल और पत्तियां से सजाएं. दरवाजों पर तोरण लगाएं और घर के मुख्य द्वार को विशेष रूप से सजाएं. मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए मुख्य द्वार और पूजा स्थल के पास रंगोली बनाएं.
अब पूजा के लिए एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें. इस दिन धन की भी पूजा की जाती है इसलिए पूजा स्थल पर धन भी जरूर रखें. कुबेर जी की भी तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें. पूजा स्थल पर फूल, रंगोली और चंदन से सजावट करें. अब शुद्ध घी का दीपक और सुगंधित धूप जलाकर गणेश जी, लक्ष्मी जी और कुबेर जी को रोली, अक्षत, फूल आदि अर्पित करें और आरती करें. आप चाहें तो पूजा के दौरान लक्ष्मी मंत्र और कुबेर मंत्र का जाप भी कर सकते हैं. पूजा के बाद भोग लगाएं. इस दिन मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाना बहुत शुभ माना जाता है. पूजा के बाद पूरे घर में दीपक जलाएं.
दिवाली के दिन करें ये उपाय
भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को हाथी बहुत प्रिय माना जाता है. इसलिए मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए घर में चांदी या सोने की धातु का ठोस हाथी रखें. मान्यता है कि ऐसा करने से राहु के बुरे प्रभाव का असर कम हो जाता है.
पीली कौड़ियां देवी लक्ष्मी का प्रतीक मानी जाती हैं. दिवाली के दिन सफेद कौड़ियों को हल्दी के घोल में भिगोकर उन्हें पीला कर लें और इनको लाल कपड़े में बांधकर दिवाली के पूजन में रखें. पूजा के बाद इनको घर की तिजोरी में रखें दें. मान्यता है कि ऐसा करने से धन धान्य में वृद्धि होती है.
दिवाली का महत्व
दिवाली का पर्व भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह त्योहार लोगों को एक साथ लाता है और सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है. दिवाली के दौरान लोग विभिन्न प्रकार के उत्सव मनाते हैं. दीपदान करना दिवाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. माना जाता है कि दीपदान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.दिवाली के दिन पटाखे जलाने की परंपरा है, दिवाली के दिन मिठाई बनाना और बांटना भी एक परंपरा का हिस्सा है.
कलश पूजा
कलश में जल भरकर उसमें सिक्का, सुपारी, दुर्वा, अक्षत, तुलसी पत्र डालें फिर कलश पर आम के पत्ते रखें। नारियल पर वस्त्र लपेटकर कलश पर रखें। हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर वरुण देवता का आहवान मंत्र पढ़कर कलश पर छोड़ें -
आगच्छभगवान् देवस्थाने चात्र स्थिरोभव।
यावत् पूजा समाप्ति स्यात् तावत्वं सुस्थिरो भव।।
फिर कलश में कुबेर, इंद्र सहित सभी देवी-देवताओं का स्मरण कर के आव्हान और प्रणाम करें।
भगवान गणेश, विष्णु, इंद्र और कुबेर पूजा विधि
लक्ष्मी जी की पूजा से पहले भगवान गणेश का पूजन करें। ॐ गं गणपतये नम: मंत्र बोलते हुए गणेश जी को स्नान करवाने के बाद सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर कुबेर, इंद्र और भगवान विष्णु की मूर्ति पर चढ़ाते हुए मंत्र बोलें, सर्वेभ्यो देवेभ्यो स्थापयामि। इहागच्छ इह तिष्ठ। नमस्कारं करोमि। फिर सर्वेभ्यो देवेभ्यो नम: बोलते हुए सभी देवताओं पर पूजन सामग्री चढ़ाएं।
देवी सरस्वती की पूजा
अक्षत-पुष्प लेकर सरस्वती जी का ध्यान कर के आव्हान करें। फिर ऊँ सरस्वत्यै नम: मंत्र बोलते हुए एक-एक कर के सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं। साथ ही इसी मंत्र से पेन, पुस्तक और बहीखाता की पूजा करें। इसके बाद लक्ष्मी पूजा शुरू करें।
लक्ष्मी पूजा की विधि:
-दिवाली पर लक्ष्मी पूजा से पहले पूरे घर की साफ-सफाई कर लें। घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
-घर को अच्छे से सजाएं और मुख्य द्वार पर रंगोली बना लें।
-पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाकर वहां देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
-चौकी के पास जल से भरा कलश रख दें।
-माता लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा पर तिलक लगाएं और उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं।
-दीपक जलाकर उन्हें जल, मौली,गुड़, हल्दी, चावल, फल, अबीर-गुलाल आदि अर्पित करें।
-इसके बाद देवी सरस्वती, मां काली, श्री हरि और कुबेर देव की विधि विधान पूजा करें।
-महालक्ष्मी पूजा के बाद तिजोरी, बहीखाते और व्यापारिक उपकरणों की पूजा करें।
-अंत में माता लक्ष्मी की आरती जरूर करें और उन्हें मिठाई का भोग लगाएं।
-प्रसाद घर-परिवार के सभी सदस्यों में बांट दें।
दीवाली पूजा के लिए जरूरी सामग्रियां
लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, लक्ष्मी जी को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, लाल कपड़ा, सप्तधान्य, गुलाल, लौंग, अगरबत्ती, हल्दी, अर्घ्य पात्र, फूलों की माला और खुले फूल, सुपारी, सिंदूर, इत्र, इलायची, कपूर, केसर, सीताफल, कमलगट्टे, कुशा, कुंकु, साबुत धनिया (जिसे धनतेरस पर खरीदा हो), खील-बताशे, गंगाजल, देसी घी, चंदन, चांदी का सिक्का, अक्षत, दही, दीपक, दूध, लौंग लगा पान, दूब घास, गेहूं, धूप बत्ती, मिठाई, पंचमेवा, पंच पल्लव (गूलर, गांव, आम, पाकर और बड़ के पत्ते), तेल, मौली, रूई, पांच यज्ञोपवीत (धागा), रोली, लाल कपड़ा, चीनी, शहद, नारियल और हल्दी की गांठ.
दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन की विधि
धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की नई मूर्ति खरीदकर दीपावली की रात उसका पूजन किया जाता है. यहां पर हम आपको दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन की विस्तृत विधि बता रहे हैं:
मूर्ति स्थापना: सबसे पहले एक चौकरी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें. अब जलपात्र या लोटे से चौकी के ऊपर पानी छिड़कते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें.
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा । य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि: ।।
धरती मां को प्रणाम: इसके बाद अपने ऊपर और अपने पूजा के आसन पर जल छिड़कते हुए दिए गए मंत्र का उच्चारण करें.
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठ: ग ऋषि: सुतलं छन्द: कूर्मोदेवता आसने विनियोग: ।।
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता ।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम् नम: ।।
पृथ्वियै नम: आधारशक्तये नम: ।।
आचमन: अब इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए गंगाजल से आचमन करें.
ॐ केशवाय नम:, ॐ नारायणाय नम: ॐ माधवाय नम:
ध्यान: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी का ध्यान करें.
या सा पद्मासनस्था विपुल-कटि-तटी पद्म-पत्रायताक्षी,
गम्भीरार्तव-नाभि: स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया ।
या लक्ष्मीर्दिव्य-रूपैर्मणि-गण-खचितैः स्वापिता हेम-कुम्भैः,
सा नित्यं पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व-मांगल्य-युक्ता ।।
आवाह्न: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी का आवाह्न करें.
आगच्छ देव-देवेशि! तेजोमयि महा-लक्ष्मी !
क्रियमाणां मया पूजां, गृहाण सुर-वन्दिते !
।। श्रीलक्ष्मी देवीं आवाह्यामि ।।
पुष्पांजलि आसन: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए हाथ में पांच पुष्प अंजलि में लेकर अर्पित करें.
नाना रत्न समायुक्तं, कार्त स्वर विभूषितम् ।
आसनं देव-देवेश ! प्रीत्यर्थं प्रति-गह्यताम् ।।
।। श्रीलक्ष्मी-देव्यै आसनार्थे पंच-पुष्पाणि समर्पयामि ।।
स्वागत: अब श्रीलक्ष्मी देवी ! स्वागतम् मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी का स्वागत करें.
पाद्य: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी के चरण धोने के लिए जल अर्पित करें.
पाद्यं गृहाण देवेशि, सर्व-क्षेम-समर्थे, भो: !
भक्तया समर्पितं देवि, महालक्ष्मी ! नमोsस्तुते ।।
।। श्रीलक्ष्मी-देव्यै पाद्यं नम:
अर्घ्य: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी को अर्घ्य दें.
नमस्ते देव-देवेशि ! नमस्ते कमल-धारिणि !
नमस्ते श्री महालक्ष्मी, धनदा देवी ! अर्घ्यं गृहाण ।
गंध-पुष्पाक्षतैर्युक्तं, फल-द्रव्य-समन्वितम् ।
गृहाण तोयमर्घ्यर्थं, परमेश्वरि वत्सले !
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै अर्घ्यं स्वाहा ।।
स्नान: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी की प्रतिमा को जल से स्नान कराएं. फिर दूध, दही, घी, शहद और चीनी के मिश्रण यानी कि पंचामृत से स्नान कराएं. आखिर में शुद्ध जल से स्नान कराएं.
गंगासरस्वतीरेवापयोष्णीनर्मदाजलै: ।
स्नापितासी मय देवी तथा शांतिं कुरुष्व मे ।।
आदित्यवर्णे तपसोsधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोsथ बिल्व: ।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु मायान्तरायश्र्च ब्रह्मा अलक्ष्मी: ।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै जलस्नानं समर्पयामि ।।
वस्त्र: अब मां लक्ष्मी को मोली के रूप में वस्त्र अर्पित करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें.
दिव्याम्बरं नूतनं हि क्षौमं त्वतिमनोहरम् ।
दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके ।।
उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतो सुराष्ट्रेsस्मिन् कीर्तिमृद्धि ददातु मे ।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै वस्त्रं समर्पयामि ।।
आभूषण: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी को आभूषण चढ़ाएं.
रत्नकंकड़ वैदूर्यमुक्ताहारयुतानि च ।
सुप्रसन्नेन मनसा दत्तानि स्वीकुरुष्व मे ।।
क्षुप्तिपपासामालां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वात्रिर्णद मे ग्रहात् ।।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै आभूषणानि समर्पयामि ।।
सिंदूर: अब मां लक्ष्मी को सिंदूर चढ़ाएं.
ॐ सिन्दुरम् रक्तवर्णश्च सिन्दूरतिलकाप्रिये ।
भक्त्या दत्तं मया देवि सिन्दुरम् प्रतिगृह्यताम् ।।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै सिन्दूरम् सर्पयामि ।।
कुमकुम: अब कुमकुम समर्पित करें.
ॐ कुमकुम कामदं दिव्यं कुमकुम कामरूपिणम् ।
अखंडकामसौभाग्यं कुमकुम प्रतिगृह्यताम् ।।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै कुमकुम सर्पयामि ।।
अक्षत: अब अक्षत चढ़ाएं.
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुंकमाक्ता: सुशोभिता: ।
मया निवेदिता भक्तया पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ।।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै अक्षतान् सर्पयामि ।।
गंध: अब मां लक्ष्मी को चंदन समर्पित करें.
श्री खंड चंदन दिव्यं, गंधाढ्यं सुमनोहरम् ।
विलेपनं महालक्ष्मी चंदनं प्रति गृह्यताम् ।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै चंदनं सर्पयामि ।।
पुष्प: अब पुष्प समर्पिम करें.
यथाप्राप्तऋतुपुष्पै:, विल्वतुलसीदलैश्च ।
पूजयामि महालक्ष्मी प्रसीद मे सुरेश्वरि ।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै पुष्पं सर्पयामि ।।
अंग पूजन: अब हर एक मंत्र का उच्चारण करते हुए बाएं हाथ में फूल, चावल और चंदन लेकर दाहिने हाथ से मां लक्ष्मी की प्रतिमा के आगे रखें.
ॐ चपलायै नम: पादौ पूजयामि ।
ॐ चंचलायै नम: जानुनी पूजयामि ।
ॐ कमलायै नम: कटिं पूजयामि ।
ॐ कात्यायन्यै नम: नाभि पूजयामि ।
ॐ जगन्मात्रै नम: जठरं पूजयामि ।
ॐ विश्व-वल्लभायै नम: वक्ष-स्थलं पूजयामि ।
ॐ कमल-वासिन्यै नम: हस्तौ पूजयामि ।
ॐ कमल-पत्राक्ष्यै नम: नेत्र-त्रयं पूजयामि ।
ॐ श्रियै नम: शिर पूजयामि ।
- अब मां लक्ष्मी को धूप, दीपक और नैवेद्य (मिष्ठान) समपर्ति करें. फिर उन्हें पानी देकर आचमन कराएं.
- इसके बाद ताम्बूल अर्पित करें और दक्षिणा दें.
- फिर अब मां लक्ष्मी की बाएं से दाएं प्रदक्षिणा करें.
- अब मां लक्ष्मी को साष्टांग प्रणाम कर उनसे पूजा के दौरान हुई ज्ञात-अज्ञात भूल के लिए माफी मांगे.
- इसके बाद मां लक्ष्मी की आरती उतारें
क्यों मनाई जाती है दिवाली?
दिवाली को लेकर एक से अधिक मान्यताएं मौजूद हैं. यहां जानिए इन मान्यताओं की विस्तृत जानकारी :
भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण - रामायण के मुताबिक दिवाली को भगवान राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के अयोध्या वापसी की खुशी में मनाया जाता है. मान्यता है कि रावण की लंका का दहन कर 14 वर्ष का वनवास काटकर भगवान राम अपने घर लौटे थे. इसी खुशी में पूरी प्रजा ने नगर में अपने राम का स्वागत घी के दीपक जलाकर किया. राम के भक्तों ने पूरी अयोध्या को दीयों की रोशनी से भर डाला था.
मां लक्ष्मी का जन्म - एक और पौराणिक कथा के अनुसार धनतेरस के दिन ही क्षीर सागर के मंथन के दौरान माता लक्ष्मी प्रकट हुई थीं. इसीलिए धनतेरस के भी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, चूकिं धनतेरस से ही दिवाली पर्व की शुरुआत होती है. इसीलिए दिवाली के दिन को मां लक्ष्मी के जन्म दिवस के तौर पर मनाया जाता है. वहीं, यह भी माना जाता है कि दिवाली की रात को ही मां लक्ष्मी में भगवान विष्णु से शादी की थी.
दिवाली पर कैसे ऑफिस, दुकान में लक्ष्मी पूजा (Diwali Lakshmi Puja at office)
दिवाली की रात मां लक्ष्मी स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आती हैं और घर-घर विचरण करते हैं. दिवाली के दिन ऑफिस और दुकान में अच्छी तरह सफाई करें, कार्यस्थल पर फूलों, लाइटों, रंगोली, सजावट की जाती है. कहते हैं जहां प्रकार होता है वहां मां लक्ष्मी अपने अंश रूप में निवास करने लगती हैं. दुकान या ऑफिस में पूजा स्थल पर देवी लक्ष्मी और गणपति जी की मूर्ति का पंचोपचार से पूजन करें. उन्हें अष्टगंध, पुष्प, खील, बताशे, मिठाई, फल अर्पित करें. इसके बाद बहीखातों की पूजा की जाती है. नए बहीखातों में कुमकुम से स्वास्तिक और शुभ-लाभ बनाकर अक्षत और पुष्प अर्पित करें. धन की देवी से व्यवसाय में तरक्की और समृद्धि की कामना करें और आरती कर सभी में प्रसाद बांट दें