Children will get the taste of organic vegetables in the mid-day meal, 214 Higher Secondary Schools with Agriculture Faculty identified, Organic vegetables will be grown in the kitchen garden of schools
रायपुर 30 अप्रैल 2022। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर आगामी 3 मई को अक्षय तृतीया को राज्य में माटी पूजन दिवस से स्कूल शिक्षा विभाग एक अभिनव पहल शुरू करने जा रहा है। इस अभिनव पहल के तहत राज्य के ऐसे हायर सेकेण्डरी स्कूल जहां कृषि संकाय संचालित है, वहां विकसित किचन गार्डन में अब पूर्णतः जैविक सब्जियां उगाई जाएंगी, जो बच्चों को मध्यान्ह भोजन में खाने को मिलेंगी।
यहां यह उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशानुसार राज्य में गौमूत्र एवं अन्य जैविक पदार्थों के उपयोग को बढ़ावा देने उद्देश्य से अक्षय तृतीया 3 मई को माटी पूजन दिवस के रूप में मनाते हुए यह अभियान प्रारंभ किया जा रहा है। इस अभियान में स्कूलों की भागीदारी होगी। पूर्व में मुख्यमंत्री की पहल पर बच्चों ने किचन गार्डन तैयार किया था। इन किचन गार्डन में अब जैविक सब्जियों का उत्पादन किया जाएगा। लोक शिक्षण संचालनालय ने इस संबंध में सभी कलेक्टरों एवं जिला शिक्षा अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
प्रदेश के 214 हायर सेकेण्डरी स्कूलों में कृषि संकाय संचालित है। अध्ययन-अध्यापन के लिए स्कूलों में मापदंड अनुरूप न्यूनतम 4 एकड़ कृषि भूमि उपलब्ध है। शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार उपलब्ध भूमि में जैविक खेती की जाएगी। इसके अंतर्गत भूमि का संधारण, जैविक बीज, वर्मी कम्पोस्ट खाद, गौमूत्र आदि की उपलब्धता सुनिश्चित करने कहा गया है। जैविक खेती के लिए संबंधित जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र एवं उद्यानिकी विभाग के वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों की मदद ली जाएगी।
स्कूल स्तर पर विकसित किए गए किचन गार्डन में जैविक सब्जियों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग किया जाएगा। इसमें सब्जियों की पौष्टिकता एवं आवश्यक खनिज की मात्रा भी पर्याप्त होगी। जैविक खेती की अवधारणा को प्रचारित करने के लिए स्कूल सबसे अच्छा माध्यम हो सकता है। वर्तमान में राज्य के लगभग 90 प्रतिशत स्कूलों में आहता और पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध है। इस अभियान का उद्देश्य स्कूलों में थोड़े प्रयास से जैविक किचन गार्डन, पोषण वाटिका का विकास किया जाना है। राज्य के सभी जिलों में कृषि विज्ञान केन्द्र और उद्यानिकी विभाग के वैज्ञानिकों, अधिकारियों के सहयोग से स्कूलों के बच्चों, शिक्षकों, पालकों, स्थानीय महिला स्व-सहायता समूहों के सदस्यों को प्रशिक्षित कर गांव के लिए जैविक खेती के मॉडल का विकास शाला परिसर में ही किया जा सकता है। स्कूलों में जैविक किचन गार्डन से बच्चे इस कार्य में प्रशिक्षित होंगे और उनमें जैविक खेती के प्रति लगाव उत्पन्न होगा। इसी तरह शहरी क्षेत्रों के ऐसे स्कूल जहां किचन गार्डन के लिए भूमि उपलब्ध नहीं है। वहां गमलों में नार वाली सब्जियां जैसे लौकी, कुम्हड़ा, तरोई, करेला आदि का रोपण इस अभियान के तहत किया जाएगा। इससे बच्चों का प्रकृति के प्रति रूझान बढ़ेगा और उनमें पर्यावरण को संरक्षित करने का भाव जागृत होगा।