शब्दकार की गोष्ठी में कविताओं के साथ गुजरी एक बेहतरीन शाम !
दुमका के कवि विनय सौरभ ने अपनी कविताओं का किया पाठ !
झारखंड। वर्ष 2024 की विदाई और 2025 के स्वागत में शब्दकार साहित्यिक समूह ने काव्य संध्या का आयोजन काँके रोड स्थित डॉ अंशुमिता शेखर के आवास में किया। इस अवसर पर देश के प्रसिद्ध कवि, विनय सौरभ की उपस्थिति ने कार्यक्रम को खास बना दिया।
कार्यक्रम की शुरूआत समायरा शेखर की सुमधुर सरस्वती वंदना से हुई । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार प्रकाश देवकुलीश ने नए रचनाकारों को राजेश जोशी की प्रसिद्ध कविता 'इत्यादि' और राही डुमरचीर की 'बाँसलोई' के माध्यम से मार्गदर्शन करते हुए बिंब और संकेतों के सटीक प्रयोगों के बारे में बताया।
विशिष्ट अतिथि विनय सौरभ ने "गरीब रिश्तेदारों के ताजा हाल हमारे पास नहीं होते/ वे जिक्र करते हैं बड़े फ़ख़्र से हमारा, और हमारे मोबाइल में उनका नंबर तक नहीं होता " जैसी दिल को झकझोर देने वाली रचनाओं का पाठ किया।
नुपुर अशोक ने चाय पर बहुत ही सुंदर रचनाओं का पाठ किया।
शब्दकार की अध्यक्ष रश्मि शर्मा ने वर्ष के सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात को समर्पित बहुत ही सुंदर रचना " पाब्लो नेरूदा की तरह लिख सकती हूँ कुछ उदास पंक्तियाँ" का पाठ किया ।
चेतन कश्यप ने "दूध-दूध रोशनी, नील-नील गगन/उदास रात चमक उठी है तुम्हारी याद से" जैसी छोटी-छोटी कुछ रचनाओं का पाठ किया।
शब्दकार की उपाध्यक्ष संगीता कुजारा टॉक ने कहा, "मुहब्बत से खाली हाथ है आजकल/खुदा इतनी बेरोज़गारी किसी को न दे।
सत्या शर्मा ने प्रकृति को समर्पित करते हुए "कितना प्यारा प्रकृति का नज़ारा मन हर्षाया ।जय माला ने माता पिता को स्मरण करते हुए मार्मिक कविताओं का पाठ किया । सबसे कम उम्र के युवा कवि सोनू कृष्णन ने "नए वर्ष" की ऊपर काव्य पाठ किया।
कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन राजीव थेपड़ा ने किया और अपनी कविता सुनाई।
इस अवसर पर शब्दकार समूह के सदस्यों के साथ-साथ अपर्णा सिंह, अंशुमिता, सुमिता सिन्हा, सुनीता अग्रवाल, अनुपम , विनय पाठक,सोनल थेपड़ा, आदि उपस्थित रहे।