NBL, 08/06/2024, Lokeshwar Prasad Verma Raipur CG: If the country's politics had been successful through social media platforms and YouTube video reels, then BJP would have got absolute majority and the Prime Minister of the country would have been made through the Congress alliance. पढ़े विस्तार से.... आज देश की सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता अपने समर्थकों के साथ मिलकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का खुलेआम दुरुपयोग कर रहे हैं, जो रोजाना यूट्यूब वीडियो और यूट्यूब रील्स के माध्यम से देखने को मिलता है। विपक्षी पार्टियों के नेता और सत्ताधारी भाजपा एक दूसरे के खिलाफ गलत बातें कह रहे हैं। क्या विपक्षी पार्टियों के नेताओं द्वारा गलत मानसिकता से बनाए गए इन वीडियो से आपको फायदा हुआ या सत्ताधारी पार्टी भाजपा को फायदा हुआ, जबकि आपके समर्थक सोशल मीडिया के माध्यम से देश में अन्य पार्टियों के नेताओं का अपमान कर रहे हैं, क्या यह देश में अच्छा संदेश देने का जरिया है और अगर ऐसा नहीं है तो इसके खिलाफ कानून बनाया जाना चाहिए। जब विपक्षी पार्टियों के नेता ऐसे सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी सीटें बढ़ाकर देश में प्रधानमंत्री नहीं बना सके और ऐसा करके भाजपा अपने दम पर पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी तो यह सोशल मीडिया का दुरुपयोग नहीं तो और क्या है।
जबकि आप जमीन से जुड़े हुए नेता हैं और आपको जमीन पर रहने वाले लोगों के कल्याण के लिए काम करना है तो आपको अपने मतदाताओं की जमीन पर जाना चाहिए, उनके साथ बैठना चाहिए और उनकी मूलभूत सुविधाओं के बारे में जानकारी लेनी चाहिए, अगर वहां के लोगों को वो सुविधाएं नहीं मिल रही हैं तो सत्ताधारी पार्टी से कहिए कि उन्हें सुविधाएं मुहैया कराएं, सत्ताधारी पार्टी पर विपक्ष को दबाव बनाना चाहिए, यही भारतीय राजनीतिक नेताओं की देश के लोकतंत्र के लिए सही सेवा होगी, सत्ताधारी पार्टी की कई योजनाओ का लाभ व सेवा न मिलना देश के लोकतंत्र को और आपके द्वारा सोशल मीडिया के मंच के माध्यम से बताना या वाहवाही बटोरना दरअसल आप झूठ फैला रहे है।
जबकि देश के लोकतंत्र की जमीनी हकीकत कुछ और ही है, जिसे आप यानी देश के आम नागरिक खुद जाकर देख सकते हैं आउटर गाँवों में जाकर कि सत्ताधारी पार्टी और विपक्षी पार्टियों के नेताओं की कथनी और करनी में क्या अंतर है, सोशल मीडिया के विज्ञापनों के जाल में न फंसें, देश का लोकतंत्र, ये सब आधा सच और आधी कहानी होती है आजके सोशल मिडिया पर राजनीति करने वाले सत्ता धारी दल हो या विपक्षी दलों के नेता हो ये दोनों भारत के जमीनी स्तर के जमीनी हकीकत से कोसों दूर है और आज भी भारत के लोकतंत्र इन नेताओं से दुखी है जो इन नेताओं को दूर करनी चाहिए।
देश में जब लोकसभा/विधानसभा चुनाव होते हैं तो राजनीतिक दलों के नेताओं की चहलकदमी बढ़ जाती है। वे हमदर्द बनकर शहरों और गांवों में अपनी राजनीतिक कलाबाजियां दिखाते रहते हैं और अपनी पार्टी की योजनाओं का बखान करते रहते हैं। सत्ताधारी दल के नेता और विपक्षी दल के नेता, दोनों ही सच्चे देशभक्त हैं और देश के लोकतंत्र की सेवा करते हैं और जिस नेता का कद देश के लोकतंत्र के सामने बढ़ जाता है, चुनाव में उसकी जीत तय होती है और इस बीच तोड़फोड़ की राजनीति चलती रहती है, एक दल दूसरे दल के नेताओं को कमजोर करने में लगा रहता है और उनके समर्थक गांव और शहर दोनों जगह के लोग होते हैं, लेकिन जैसे ही चुनाव खत्म होते हैं और नतीजे आते हैं, गांवों और शहरों में घूमने वाले ये नेता गायब हो जाते हैं, सत्ताधारी विधायक/सांसद ईद के चांद की तरह पांच साल तक कभी-कभार दर्शन देते हैं और यही हाल चुनाव जीतने वाले विपक्षी दलों के नेताओं का है। अब सत्ताधारी मुख्यमंत्री/प्रधानमंत्री ने देश के लोकतंत्र के हित में योजनाएं बनाकर उन्हें सोशल मीडिया के मंच से विज्ञापनों के माध्यम से पूरे देश में फैलाया और देश के जानकार लोग इन योजनाओं का लाभ भी उठा रहे हैं।
लेकिन देश के कई दूरदराज के इलाकों के लोगों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है, तो फिर हम देश में किस विकास की बात करें? क्या हमें सोशल मीडिया के जरिए चलाए जा रहे विज्ञापनों को देखकर विकास देखना चाहिए या विधायक/सांसद को उन इलाकों में जाकर उन योजनाओं का लाभ पहुंचाना चाहिए जिनकी उन पिछड़े इलाकों के लोगों को जरूरत है? जैसे चुनाव के दौरान वो वोट मांगने गए थे, वैसे ही सत्ताधारी दल और विपक्षी दलों के नेताओं को भी इन योजनाओं को अपने साथ लेकर जाना चाहिए, तभी हम कहेंगे कि हमारा देश विकास कर रहा है। जब वहां के लोगों को सत्ताधारी दल की योजनाओं का लाभ विपक्षी दलों के नेताओं के जरिए मिलेगा, वहां के लोग विपक्षी नेता को अपना हितैषी मानेंगे, लेकिन विपक्षी दलों के नेता चुनाव जीतने के बाद पांच साल तक चुप बैठेंगे और देश के लोकतंत्र से कहेंगे कि हम सत्ता में आएंगे तो ये करेंगे, हम उनसे बेहतर योजनाएं लाएंगे, जबकि आप अभी भी बेहतर कर सकते हैं।
सत्ताधारी दल की सभी योजनाएं लेकर उस इलाके के लोगों को दीजिए जिन्हें इन योजनाओं की जरूरत है और आप विपक्षी नेता आने वाले चुनावों के लिए अपना राजनीतिक भविष्य बेहतर बना सकते हैं। जब आप देश के लोकतंत्र की सेवा करने उनके नेता बनकर आये हैं तो सेवा कीजिए, मैं विपक्ष में हूं, जनता के लिए कुछ करना मेरे हाथ में नहीं है, यह कह कर आप चुपचाप अपने आलीशान एसी बंगले में बैठ जाते हैं और पांच साल मौज करते हैं, जबकि भारत के लोकतंत्र को अपने विपक्षी दलों के नेताओं पर भी दबाव बनाना चाहिए और सत्ताधारी दल की सभी योजनाएं लाकर आपके क्षेत्र का विकास करवाना चाहिए, तभी आपके नेता द्वारा आपके क्षेत्र में विकास होगा, अन्यथा वह पांच साल पिछड़ जाएगा, इन नेताओं के सत्ता पाने या न पाने के चक्कर में हमने इन नेताओं को अपना कीमती वोट अपने क्षेत्र में काम करवाने के लिए दिया था, न कि इन्हें बहाने बनाकर आराम से बैठाने के लिए कि मैं तो विपक्षी नेता हूं, मैं कुछ नहीं कर सकता, इसलिए विपक्षी दलों के नेताओं से भी काम करवाओ, तभी देश का विकास होगा।
आज भारत के सभी धर्मों के लोगों में मानसिक द्वेष पैदा करके भारतीय संस्कृति में गलत संदेश दिया जा रहा है। सोशल मीडिया की गलत मानसिकता से बनाए गए वीडियो और रील्स के कारण मानव जाति में अनेक विकृतियां पैदा हो रही हैं और इसका मुख्य कारण यूट्यूब चैनलों के गलत वीडियो और रील्स हैं जो छोटे बच्चों से लेकर हर उम्र के लोगों को एक ही चीज दिखाते हैं, ज्ञान, विज्ञान और अश्लीलता। क्या आप अपने बच्चों को गलत दिशा में ले जाना चाहते हैं? अगर नहीं, तो इस यूट्यूब चैनल पर परोसी जा रही गलत गतिविधियों की निंदा की जानी चाहिए और इसके लिए देश में सख्त कानून होने चाहिए। जो व्यक्ति मानव समाज के खिलाफ वीडियो अपलोड कर रहा है, जिसका प्रभाव मानव जाति के लिए हानिकारक है।
ऐसे व्यक्ति को सख्त कानूनों के तहत कड़ी सजा मिलनी चाहिए। वह चंद रुपयों के लालच में लोगों को जो कुछ भी परोस रहा है, जिस व्यक्ति का धर्म और संस्कृति वेश्याओं जैसी हो गई है, जिसका मानव समाज में कोई सम्मान नहीं है, वह निर्भय होकर अपने अश्लील कृत्यों का वीडियो बनाकर सभ्य मानव समाज को गंदा कर रहा है, जिसका प्रभाव आपके बच्चों पर पड़ रहा है। यह कोई छोटा मुद्दा नहीं है, यह एक गंभीर मुद्दा है जिसे सभ्य भारतीय समाज के प्रत्येक व्यक्ति को गंभीरता से लेना चाहिए।
आप सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यूट्यूब वीडियो और रील्स के माध्यम से अकेले बैठ कर कितने भी अश्लील वीडियो का आनंद लेते हों लेकिन जैसे ही आपके बच्चे आपके आस-पास होते हैं तो आप उस गलत वीडियो को बदल देते हैं ताकि आपके बच्चे वो गलत वीडियो न देखें लेकिन आपके बच्चों के पास भी मोबाइल फोन है और उनके फोन पर भी वही दिखाई देता है जो आपके फोन पर दिखाई देता है, वो भी वही देखते हैं, जैसे आप छिप कर देखते हैं वैसे ही आपके बच्चे भी वही वीडियो रील्स छिप कर देखते हैं जो आप देखते हैं तो आप कैसे कह सकते हैं कि यूट्यूब वीडियो और रील्स आपके और आपके बच्चों के लिए फायदेमंद हैं। आप भारत के सभ्य समाज को सोचना चाहिए कि सोशल मीडिया के माध्यम से परोसा जा रहा ये अश्लील वीडियो वास्तव में हमारी मानव जाति के लिए हानिकारक है या लाभदायक, हम तो महज एक संदेश वाहक हैं, हमें जो भी लिखने का मन हुआ हमने अपने लेख के माध्यम से लिख दिया है अब आप जान गए होंगे कि इसका बुरा असर मानव समाज पर कितना प्रभाव पड़ता है।