छत्तीसगढ़ में जल्दी ही नगरीय और पंचायत चुनाव का बिगुल बजने वाला है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या दोनों चुनाव एक साथ कराए जाएंगे या फिर अलग-अलग समय पर होंगे..देश में इस समय एक देश एक चुनाव पर बहस छिड़ी है।
जिसने छत्तीसगढ़ में भी नगरीय और पंचायत चुनाव के संदर्भ में इस बहस को जन्म दे दिया है। सरकार की ओर से गठित ऋचा कमेटी एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर चुकी है। जिससे बीजेपी उत्साहित है तो कांग्रेस ने विरोध शुरू कर दिया है।
छत्तीसगढ़ में नगरीय और पंचायत चुनाव को लेकर बहस छिड़ी है। एक पक्ष चाहता है कि दोनों चुनाव एक साथ कराए जाएं तो वहीं दूसरा पक्ष इसे इन प्रैक्टिकल बताकर विरोध कर रहा है। सरकार ने इस पर एक्सपर्ट की राय लेने के लिए ACS ऋचा शर्मा की अध्यक्षता में कमेटी बनाई। कमेटी कई बैठकों के बाद इस नतीजे पर पहुंची कि महज डेढ़ महीने के अंतराल पर होने वाले नगरीय और पंचायत चुनाव एक साथ कराना ही बेहतर है। कमेटी के मुताबिक
एक साथ चनाव से पैसों की बचत होगी। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में चुनाव का जोखिम कम होगा। मतदान दलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। आचार संहिता से कामकाज कम प्रभावित होगा।
माना जा रहा है कि साय सरकार कमेटी की सिफारिशों के आधार पर एक साथ चुनाव का मन बना चुकी है।
एक देश एक चुनाव मोदी सरकार का महत्वाकांक्षी एजेंडा है। जिसे अमल में आने में अभी वक्त लगेगा। ऐसे में साय सरकार नगरीय और पंचायत चुनाव एक साथ कराकर मिसाल पेश करना चाहती है। हालांकि कांग्रेस को साय सरकार का ये प्लान रास नहीं आ रहा।
अब सवाल है कि क्या छत्तीसगढ़ में निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ होंगे। अगर दोनों चुनावी साथ होते हैं तो किसे फायदा और किसे नुकसान होगा।