BRICS SUMMIT ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को लेकर क्यों बढ़ रहा अमेरिका का टेंशन क्या होनें वाला हैं डॉलर का काम तमाम पढ़े पूरी ख़बर

किसी देश को दबाने के लिए अमेरिका झुंड के साथ आक्रमण करता है और कनाडा सहित यूरोपीय देश उस झुंड का हिस्सा होते हैं, जैसा हम खालिस्तान के मुद्दे पर देख रहे हैं, कि भारत पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका ने कनाडा, न्यूजीलैंड और यूके जैसे देशों को आगे कर दिया है।

वहीं, रूस को भी अमेरिका की अगुवाई में पश्चिमी देशों ने झुंड बनाकर घेर रखा है और यूक्रेन युद्ध शुरू होने के करीब तीन साल बाद, जब अमेरिका ने पुतिन के देश को प्रतिबंधों की बेड़ियों में पूरी तरह जकड़ लिया था, तो उसे उम्मीद थी, कि पुतिन घुटनों पर आ जाएंगे, लेकिन रूसी राष्ट्रपति, पूरी ठसक के साथ एक दर्जन से ज्यादा विश्व नेताओं के साथ शिखर सम्मेलन कर रहे हैं और अमेरिका को बता रहे हैं, कि वो अकेले नहीं हैं, बल्कि देशों का एक उभरता हुआ गठबंधन उनके साथ खड़ा है।

अमेरिका के जलन के पीछे की वजह जानिए

 

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दक्षिण-पश्चिमी रूसी शहर कजान में आज से शुरू होने वाला तीन दिवसीय ब्रिक्स शिखर सम्मेलन, दुनिया की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह का शिखर सम्मेलन है, जिसमें इस साल की शुरुआत में मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, इथियोपिया और ईरान को शामिल किया गया है।

जिन नेताओं के भाग लेने की उम्मीद है, उनमें चीन के शी जिनपिंग, भारत के नरेंद्र मोदी, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन, दक्षिण अफ्रीका के सिरिल रामफोसा के साथ-साथ क्लब के बाहर के देश, जैसे तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन भी शामिल हैं। ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा ने सिर में चोट लगने के बाद अपनी यात्रा रद्द कर दी है।

यानि ब्रिक्स शक्तिशाली हो रहा है और माना जा रहा है, कि इस साल भी कम से कम 10 से 15 देशों को ब्रिक्स में शामिल किया जा सकता है और इन ग्रुप में शामिल होने वाले ज्यादातर देशों की विचारधारा इस मुद्दे पर एक है, कि वो किसी भी प्रतिबंध का समर्थन नहीं करते हैं।

फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से रूसी राष्ट्रपति द्वारा आयोजित अब तक की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय सभा रूस में होने जा रही है, जो अमेरिका के जलन की सबसे बड़ी वजह है।

अमेरिका के जलने की दूसरी सबसे बड़ी वजह ये है, कि ब्रिक्स में शामिल सभी देश ग्लोबल ऑर्डर में बदलाव चाहते हैं, खासकर मॉस्को, बीजिंग और तेहरान जैसे कुछ देश, सीधे संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिम का मुकाबला करना चाहते हैं। जबकि, भारत बराबरी की दोस्ती या भागीदारी चाहता है।

लिहाजा, ये वो संदेश है, जिसे व्लादिमीर पुतिन और करीबी साझेदार और सबसे शक्तिशाली ब्रिक्स देश के नेता शी जिनपिंग इस सम्मेलन में पेश करने वाले हैं।

यानि, अब वो पश्चिमी देश हैं, जो अपने प्रतिबंधों और गठबंधनों के साथ दुनिया में अलग-थलग खड़े हैं, जबकि "वैश्विक बहुमत" देश अमेरिका को अब चौधरी मानने के लिए तैयार नहीं हैं।

शुक्रवार को पत्रकारों को दिए गए बयान में पुतिन ने ब्रिक्स देशों के बढ़ते आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव को एक "निर्विवाद तथ्य" बताया और कहा, कि अगर ब्रिक्स और इच्छुक देश एक साथ काम करते हैं, तो वे "नई विश्व व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण तत्व होंगे", हालांकि उन्होंने इस बात से इनकार किया कि यह समूह "पश्चिम विरोधी गठबंधन" है।

 

ब्रिक्स के मंच से अमेरिका को चुनौती?

पुतिन का संदेश इस मंच से और भी मार्मिक होगा, क्योंकि यह बैठक अमेरिकी चुनावों से कुछ ही दिन पहले हो रही है, जहां पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संभावित जीत से अमेरिका, यूक्रेन के प्रति अपने कट्टर समर्थन को बदल सकता है और इसके अलावा, ट्रंप की संभावित जीत ने अमेरिका के यूरोपीय सहयोगियों की नींदे भी उड़ा दी हैं।

बर्लिन में कार्नेगी रूस यूरेशिया सेंटर के निदेशक एलेक्स गबुएव ने कहा, "यह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन वास्तव में (पुतिन के लिए) एक उपहार है। जिसमें संदेश यह होगा, कि आप रूस के वैश्विक अलगाव के बारे में कैसे बात कर सकते हैं जब (ये सभी) नेता ... कज़ान आ रहे हैं।"

गबुएव ने कहा, कि रूस ब्रिक्स को "एक अग्रणी, नए संगठन के रूप में चित्रित करना चाहता है, जो वैश्विक समुदाय के रूप में हम सभी को ज्यादा न्यायपूर्ण व्यवस्था की ओर ले जाता है।" लेकिन रूस की व्यापक बयानबाजी के बावजूद, कजान में मिलने वाले नेताओं के पास कई तरह के दृष्टिकोण और हित हैं। हालांकि, ऑब्जर्वर्स का अभी भी मानना है, कि ब्रिक्स देशों के निजी विचार अलग अलग हैं, लिहाजा पुतिन जो संदेश भेजना चाहते हैं, वो शायद ही भेज पाएं।

वैश्विक संकट के बीच ब्रिक्स शिखर सम्मेलन

रूस द्वारा आयोजित यह सम्मेलन पिछले साल जोहान्सबर्ग में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से एकदम अलग है, जब पुतिन ने वीडियो स्क्रीन के जरिए वर्चअली भाग लिया था और माना गया, कि यूक्रेन में 'कथित युद्ध अपराधों' के लिए अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय से गिरफ्तारी वारंट से बचने के लिए उन्होंने सम्मेलन में भाग नहीं लिया था।

लेकिन इस साल, रूसी राष्ट्रपति संगठन के आकार में लगभग दोगुना होने के बाद से पहले शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे हैं - और यह सम्मेलन एक बहुत ही अलग वैश्विक परिदृश्य से पहले हो रहा है।

ब्रिक्स मुख्य रूप से आर्थिक सहयोग के लिए तैयार है, पिछले साल इसकी बैठक यूक्रेन में युद्ध की छाया में हुई थी। अब, जबकि वह युद्ध जारी है, मध्य पूर्व में बढ़ता संघर्ष, जहां इजरायल ईरान के प्रॉक्सी से लड़ रहा है, ये तमाम मुद्दे नेताओं की बातचीत पर भी हावी होने की संभावना है।

पिछले हफ्ते पुतिन ने पुष्टि की थी, कि फिलिस्तीनी नेता महमूद अब्बास इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। पर्यवेक्षकों का कहना है, कि रूसी नेता और उनके अधिकारी संभवतः संघर्ष का उपयोग करेंगे - और ग्लोबल साउथ में अमेरिका और इजराइल के लिए उसके समर्थन के प्रति गुस्से का इजहार करेंगे।


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