आज की युवा पीढ़ी मेहनत ज्यादा और आमदनी कम होने के कारण तनाव में है, और आज खुदखुशी की प्रवित्ति बढ़ रही है।

NBL, 21/03/2023,Lokeshwar Prasad Verma Raipur CG: Today's young generation is under stress due to hard work and low income, and today the trend of suicide is increasing.

आज के युवा वर्ग ऐजुकेशनल प्रोफेशनल दोनों में विजय प्राप्त कर रहे है, और इनके पालक भी जी जान देकर अपने बच्चों को पढ़ा लिखा भी रहे हैं, और प्रतिस्पर्धा बन गई है आजके पढ़ाई लिखाई लेकिन एक कमी दिखाई देती है इन बच्चों के अंदर आत्म बल रक्षा करने हेतु इनके आत्मबल की कमजोरी जो इनके मनोबल को तोड़ती है, और यह युवा वर्ग पढ़े लिखे होने के बावजूद आत्म हत्या को सहजता से अपना लेती है, और बहुत ही सरलता से अपने आप को समाप्त कर लेती हैं आज के युवा वर्ग। उतार चढ़ाव का ज्ञान बिल्कुल भी ना के बराबर है इन बच्चों के अंदर जो उनके अपने आप के रक्षा के लिए बेहद जरुरी है। 

युवाओं में तनाव, अवसाद और फिर आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति को लेकर लंबे समय से चिंता जताई जाती रही है। इसे रोकने के लिए अनेक उपाय सुझाए गए हैं। तनाव दूर करने के लिए लगातार जागरूकता पैदा करने की कोशिश की जाती है। जगह-जगह सहायता और सलाह केंद्र खोले गए हैं। इसके बावजूद इस समस्या पर काबू पाना चुनौती है। सबसे चिंताजनक स्थिति तो यह है कि जिन चिकित्सकों के माध्यम से अवसाद जैसी स्थितियों से पार पाने की उम्मीद की जाती है, वे खुद इस समस्या से ग्रस्त होकर खुदकुशी करते देखे जाते हैं।

 

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अब तो यह भी छिपा तथ्य नहीं है कि अक्सर पढ़ाई-लिखाई, परीक्षा और काम के दबाव में युवाओं का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। इसीलिए परीक्षा आदि के समय माता-पिता और अध्यापकों को विद्यार्थियों के प्रति विशेष रूप से ध्यान देने की सलाह दी जाती है। उन्हें स्रेह और प्रोत्साहन पूर्ण वातावरण देने का प्रयास किया जाता है। हैरानी की बात है कि चिकित्सा विज्ञान से जुड़े लोग भी इस मामले में अपने किसी पीड़ित सहकर्मी या सहपाठी के प्रति वैसे ही उदासीन नजर आ रहे हैं, जैसे समाज के सामान्य लोग देखे जाते हैं।

इसी का नतीजा है कि मामूली विफलता पर भी कई युवा गहरे अवसाद में चले जाते हैं और धीरे-धीरे आत्महंता हो जाते हैं। पिछले दिनों देश के पचपन विश्वविद्यालयों के छात्रों में बढ़ते अवसाद और खुदकुशी की प्रवृत्ति पर चिंता जताई गई थी। कुछ तो युवाओं में यह समस्या इसलिए भी तेजी से घर कर रही है कि पढ़ाई-लिखाई कर चुकने के बाद भी उन्हें जीवन जीने का कोई बेहतर जरिया नजर नहीं आता। ऐसे में युवाओं को अपनी गिरफ्त में लेती इस समस्या के विभिन्न पहलुओं का बारीक अध्ययन और व्यावहारिक उपायों पर विचार की जरूरत है।

वास्तव में एक तरफ जहां इंसान तेज़ी से विकास कर रहा है। रोज़ाना नई-नई तकनीकों के माध्यम से जीवन को आरामदायक बना रहा है, तो वहीं दूसरी ओर बढ़ते मानसिक तनाव के चलते आत्महत्या जैसे मामले भी दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं।

वैसे, तो हर उम्र के व्यक्तियों में आत्महत्या की प्रवृत्ति देखी जा रही है, परंतु 15 से 35 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में इसकी संख्या अधिक सामने आती है। आत्महत्या करने के कई कारण हैं, परंतु भारत में इसके मुख्य कारणों में नौकरी का नहीं मिलना या नौकरी का छूट जाना, सामाजिक तौर पर मानसिक तनाव, बच्चों में पढ़ाई का तनाव, किसानों द्वारा बैंकों से लिए गए ऋण का समय पर नहीं चुका पाना, दहेज़ प्रथा जैसी कुरीतियों के चलते स्त्रियों पर मानसिक तनाव अथवा छेड़छाड़ या दुष्कर्म के बाद समाज के तानों से घबराकर भी आत्महत्या कर लेना एक मुख्य कारण है।

आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए प्रत्येक व्यक्ति में जागरूकता लाना बहुत आवश्यक है। इस बात को समझने की ज़रूरत है कि आज की इस भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में तनाव की स्थिति कभी कम तो कभी ज़्यादा बनी रहती है, परंतु इसका समाधान अपनी ज़िन्दगी को समाप्त कर लेना नहीं हैं।

योग से भी मानसिक तनाव को दूर किया जा सकता है। वास्तव में ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका हल ना हो। असल बात केवल-और-केवल हमारी जागरूकता और समझ की है। हमें इस बात को समझने की ज़रूरत है कि ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत है, उसे अवसाद में डुबा कर आत्महत्या तक पहुंचाने से अच्छा जिंदादिली से जीना चाहिए, अपने जीवन को संग्राम समझ कर जीना चाहिए, जो आपके खराब स्थिति को अच्छे स्थिति में लाने में आपको मदद मिलेगी, जियो तो खुलकर जियो मरना तो सबको एक दिन पड़ेगा लेकिन भरपूर जीवन जीकर मरो नेचुरली मरो निगेटिव सोच कर बोझ तले दबकर मत मरो अपने आप को खुद से खुदखुशी मत करो, संसार बहुत बड़ी है मेरे दोस्तो जियो तो इंजवाय करके जियो क्या लेकर आये थे इस दुनिया में और क्या लेकर जायेंगे जो दुनिया भर का बोझ तले दब कर मरे या आत्महत्या कर अपने आप को बुझदिल कहाकर मरे, मस्त रहो व्यस्त रहो, खाओ पियो एस करो, और खुलकर उस प्रभु को याद प्यार करो जो आपके रक्षक है। 

 


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