जब जगह-जगह मार-काट, युद्ध और आग लगेगी, तो कोई किसी की नहीं कर पाएगा मदद, हर कोई अपना घर बचाने में लगेगा
भारत के त्रिकालदर्शी सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने बताया विश्व शांति का उपाय: सतयुग की स्थापना
जालौर (राजस्थान) : वैश्विक पैमाने पर आती आफत से पहले ही आगाह करने वाले, बचने का आसान उपाय समय रहते बताने वाले, मौके पर मौका देने वाले, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि एक काम हम-आप कर ले जाएं, कलयुग में ही सतयुग आ जाए, जिसको आना है तो सब व्यवस्था सही हो जाय। कुछ समय के लिए सतयुग आएगा, ख़त्म होगा फिर कलयुग अपना बचा समय पूरा करेगा। सतयुग में कोई लड़ाई-झगड़ा, वैमनस्यता, तलाक, दहेज के मुकदमे नहीं, कोई अस्पताल की जरूरत नहीं, कोई संकट नहीं, दिन-रात का टेंशन सब खत्म हो जाएगा।
लेकिन सवाल यह है कि होगा कैसे? इतिहास साक्षी है कि युग परिवर्तन के समय बहुत जन-धन की हानि होती है। सतयुग में कोई मांसाहारी, शराबी, व्यभिचारी नहीं होगा। तो अब युग परिवर्तन में अगर सब मर ही जाएं तो सतयुग देखेगा कौन? व्यवस्था कैसे चलेगी? इस समय लोगों की जान बचाना बहुत जरूरी है। उन्हें सतयुग देखने लायक बनाया जाय। अपने-अपने लिए तो सब करते हैं लेकिन जो दूसरों के काम आता है, उसका नाम होता है, परिवार का मुखिया, परोपकारी कहलाता है।
ताकतवर देश, दूसरे देश से कहे, आगे बढ़ो, हम पीछे हैं, और अगर उसी पर हमला हो गया तो
अभी आपने झगड़ा-लड़ाई, आगजनी, मार-काट कहां देखा है। देखना है तो विदेशों में चले जाओ, आग लगी है। अपने ही बनाए हुए हथियार से मारे जा रहे हैं। नाम के लिए बता दिया कि हमने कीटाणु बम, तोप तलवार, परमाणु बम बना लिया, दुनिया वही बनाने में लग गई। वह एक हथियार चलाता है तो दुसरा सौ चला देता है। बहुत मर रहे हैं। समाचार में देखते हो। जब सब जगह आग लगेगी तो कोई किसी की मदद करेगा? जैसे एक देश पर दूसरा देश हमला कर दिया।
आज बहुत ताकतवर देश है, वह कहता है, ठीक है, आगे बढ़ो, हम पीछे हैं। जब उसी पर हमला हो गया तब वह (पहले) अपना घर बचाएगा, पहले अपने घर में लगी आग बुझाएगा। जब घर-घर में आग लगेगी तब (कोई) दूसरे की आग बुझाएगा या अपनी बुझाएगा? जब जगह-जगह पर युद्ध शुरू हो जाएगा तब कोई किसी का नहीं रहेगा। जान बचे बड़े भाग। जान बचना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए अच्छा समय लाने के लिए आप सब लोग लगो। लोगों को शाकाहारी नशामुक्त भजनानंदी ईश्वरवादी बनाओ।
भगवान और गुरु के प्रति लोगों का प्रेम खत्म होता जा रहा
भगवान पर लोगों का विश्वास ही हटता जा रहा है। भाग्य को, प्रारब्ध को लोगों ने ताक पर रख दिया। कहते हैं हमारे करने से ही होगा। और कर्म लोगों के खराब है। कोई कहे, हम भारत देश के प्रधानमंत्री बन जाएंगे, हनुमानजी या रामजी हमारी मदद कर दो, लेकिन कर्म खराब है, जब न बन पाया तो कहता है - भगवान-वगवान कुछ नहीं, दारु शराब पियो, मस्त रहो। बताओ कितनी बड़ी भूल है। उस भगवान को छोड़ दे रहे हैं, जो सबको देने वाले हैं। वह तो देख लेते हैं- जाकी जैसी चाकरी, वाको वैसा देय। जिसकी जैसी मेहनत होती है, कर्म करता है, उसी हिसाब से वह फल देता है। कर्म से ही लोग अलग हो रहे हैं। लोगों को समझाओ, बताओ ईश्वरवादी बनाओ, भगवान, गुरु के प्रति जो प्रेम खत्म होता चला जा रहा, वह खत्म न होने पावे।