CG – गांव में मिला 13 फीट लंबा किंग कोबरा, रेस्क्यू के बाद DFO ने ग्रामीणों से की अनोखी डिमांड, देखने उमड़ा जनसैलाब…..

कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से एक रोमांचक और हैरान करने वाला मामला सामने आया है। अचानक इस खतरनाक विषधर सांप को देखकर लोगों में दहशत फैल गई और गांव में अफरातफरी मच गई। खबर फैलते ही आसपास के लोगों ने वन विभाग और नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी की टीम को सूचना दी। जैसे ही ये जानकारी रेस्क्यूअर जितेंद्र सारथी को मिली उन्होंने तुरंत डीएफओ प्रेमलता यादव को इस पूरे मामले की जानकारी दी।
डीएफओ प्रेमलता यादव के निर्देश और एसडीओ आशीष खेलवार तथा एसडीओ सूर्यकांत सोनी के मार्गदर्शन में जितेंद्र सारथी अपनी टीम के साथ कोरबा से गांव की ओर रवाना हुए। उनकी टीम में एम. सूरज, सिद्धांत जैन और बबलू मारवा शामिल थे। गांव पहुंचने के बाद सबसे पहले ग्रामीणों को सुरक्षित दूरी पर हटा दिया गया और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। रेस्क्यू ऑपरेशन में करीब डेढ़ घंटे का समय लगा जिसमें किंग कोबरा बार-बार फुफकार कर अपना आक्रामक रूप दिखा रहा था। इस दौरान सांप का रौद्र रूप देख ग्रामीणों की सांसें थम सी गईं। हालांकि, जितेंद्र सारथी और उनकी टीम ने पूरी सावधानी और धैर्य के साथ काम किया और अंततः किंग कोबरा को सुरक्षित रूप से थैले में डालने में सफलता प्राप्त की। इस ऑपरेशन में पूरी टीम ने एकजुट होकर काम किया और सांप को बिना किसी नुकसान के सुरक्षित रूप से पकड़ा।
ग्रामीणों ने ली राहत की सांस
रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। ग्रामीणों का कहना था कि किंग कोबरा हमारे क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे हमारे लिए देवता के रूप में पूजा जाता है। इसके संरक्षण की आवश्यकता है ताकि यह प्रजाति हमारे क्षेत्र में बनी रहे। किंग कोबरा पहाड़ चित्ती की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है क्योंकि ये हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का अहम हिस्सा है।
किंग कोबरा को उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ा गया
रेस्क्यू के बाद, किंग कोबरा को उसके प्राकृतिक आवास घने जंगल में सुरक्षित रूप से छोड़ दिया गया। वन विभाग ने पंचनामा तैयार कर किंग कोबरा को जंगल में छोड़ा, जहां वो अपने प्राकृतिक जीवन में वापस लौट सके। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में पसरखेत वन परिक्षेत्र अधिकारी देवदत्त खांडे, नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष एम. सूरज, सिद्धांत जैन, बबलू मारवा, संतोष कुमार यादव, चनेश राठिया, खगेश यादव सहित वन विभाग के अन्य अधिकारी और कर्मचारी मौजूद थे। इसके अलावा बड़ी संख्या में ग्रामीण भी इस अभियान में सहयोग देने के लिए उपस्थित थे।
डीएफओ का संदेश
डीएफओ प्रेमलता यादव ने इस मौके पर एक अपील की और कहा कि किंग कोबरा, जिसे स्थानीय भाषा में पहाड़ चित्ती कहा जाता है, वन्यप्राणी (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत वर्ग-1 में शामिल है। इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि किंग कोबरा को किसी भी हालत में नुकसान पहुँचाना या मारना दंडनीय अपराध है। डीएफओ ने बताया कि किंग कोबरा न केवल हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करता है बल्कि ये अन्य सांपों को खाकर उनकी जनसंख्या भी नियंत्रित करता है। विशेषज्ञों के अनुसार, किंग कोबरा दुनिया का एकमात्र ऐसा सांप है जो अपने अंडों के लिए पत्तों का घोंसला बनाता है और लगभग तीन महीने तक उनकी रक्षा करता है। ये उसकी मातृत्व प्रवृत्तियों की अनोखी विशेषता को दर्शाता है जो इसे अन्य सांपों से अलग बनाती है।
 
				


