56 ब्राह्मण बटुकों का विधि विधान से हुआ उपनयन संस्कार – समग्र ब्राह्मण परिषद् छत्तीसगढ़ का आयोजन
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रायपुर -: ब्राह्मण सामाजिक संस्था समग्र ब्राह्मण परिषद् छत्तीसगढ़ द्वारा रायपुर के पुरानी बस्ती स्थित सिद्धपीठ श्री महामाया देवी मंदिर के सत्संग भवन में रविवार 9 फरवरी को प्रदेश स्तरीय सामूहिक उपनयन संस्कार का आयोजन किया गया. इस आयोजन में प्रदेश के विभिन्न जिलों के 56 ब्राह्मण बटुकों को शास्त्रोचित विधि विधान से जनेऊ धारण करवाया गया.
संगठन की सचिव श्रीमती अर्चना दीवान एवं आयोजन प्रभारी पं.उमाकांत तिवारी ने कार्यक्रम की जानकारी देते हुये कहा कि सामाजिक स्वजनों की सहभागिता के आधार पर समग्र ब्राह्मण परिषद् छत्तीसगढ़ द्वारा विगत तीन वर्षों से प्रदेश स्तरीय सामूहिक उपनयन संस्कार का आयोजन किया जा रहा है. इस आयोजन को सुचारु रूप से संचालित करने के लिये कार्यक्रम के लिये बटुकों की संख्या निर्धारित रखी जाती है, जिससे एक दिवसीय इस आयोजन को व्यवस्थित ढंग से संपन्न किया जा सके. छत्तीसगढ़ में सूर्योदय एवं सूर्यास्त के आधार पर निर्मित श्रीदेव पंचाग के उपनयन मुहुर्त की तिथि में इसका आयोजन किया जाता है ताकि शास्त्रोचित परंपरा का पालन हो.
संगठन के प्रदेशाध्यक्ष डा.भावेश शुक्ला “पराशर” ने आज के कार्यक्रम के संबंध में विस्तारपूर्वक बताया कि उपनयन संस्कार के प्रारंभ में सभी बटुकों की माताओं द्वारा चुलमाटी की रस्म निभाई गयी, इसके बाद बटुकों के माता-पिता तत्पश्चात् बटुक द्वारा गौरी-गणेश, मंडप आदि देव पूजन किया गया. इस अवसर पर बटुकों को पीसी हुई कच्ची हल्दी से हरिद्रालेपन कर बटुक परिजनों द्वारा आपस पारंपरिक चिकट का कार्य संपन्न हुआ. सभी बटुकों के लिये प्रतिनिधि रुप में मुख्य मंडप में मातृकापूजन होने के बाद सभी बटुकों को नहडोरी विधि उपरांत मुंडन करवाकर स्नान करवाया गया. स्नान के बाद सभी बटुकों ने आचार्यों के साथ अष्ट ब्राह्मण भोज के अंतर्गत भोजन किया.
संस्कार के दूसरे चरण में आचार्य लक्ष्मण तिवारी सहित पं.हेमन्त नंदे, पं.आयुष त्रिपाठी, पं.मुक्तेश्वर तिवारी,पं.पीयूष शर्मा, पं.नवीन तिवारी,पं.हर्ष शर्मा, पं.केशव दुबे आदि आचार्यों द्वारा बटुकों को मेखला, दंड आदि धारण करवाकर जनेऊ पहनाया गया. हवन कर शिक्षा, दीक्षा आदि ग्रहण करने के बाद सभी ब्राह्मण बटुकों ने “भवति भिक्षां देहि” बोलते हुये भिक्षा मांगी. कार्यक्रम के अंत में सभी बटुकों ने नये वस्त्र के रुप में पीला कुर्ता, सफेद पायजामा आदि पहनकर दू्ल्हे की भांति तैयार हुये और देव दर्शन के लिये आतिशबाजी एवं गाजे बाजे के साथ बटुकों की बारात ने श्री महामाया देवी मंदिर सत्संग भवन से सरस्वती चौक, जैतुसाव मठ, महावीर अखाड़ा, प्राचीन बावली वाले श्री हनुमान मंदिर, नागरीदास मंदिर से वापस श्री महामाया मंदिर तक का भ्रमण किया.
उपनयन संस्कार के महत्व के विषय में जानकारी प्रदान करते हुए संगठन के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष पं.रिछारिया एवं प्रदेश उपाध्यक्ष विवेक दुबे ने बताया कि सनातन धर्म में कुल सोलह संस्कार होते हैं इसमें उपनयन संस्कार यानी जनेऊ संस्कार को दसवां स्थान प्राप्त है. इसे यज्ञोपवीत संस्कार भी कहा जाता है. यज्ञोपवीत या जनेऊ धारण करने वाले को यज्ञ और स्वाध्याय करने का अधिकार प्राप्त हो जाता है. यही वजह है कि सनातन धर्म में जनेऊ संस्कार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. यज्ञोपवीत या जनेऊ धारण करने से त्रिदेव का आशीर्वाद मिलता है. जब माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षा के लिए भेजते हैं, तब दीक्षा दी जाती थी. सनातन धर्म में दिशाहीन जीवन को एक दिशा देना ही दीक्षा माना जाता है. दीक्षा का अर्थ संकल्प है. किसी भी व्यक्ति को दीक्षा देने का अर्थ दूसरा जन्म और व्यक्तित्व देना है. आज के समय में भी उपनयन संस्कार का महत्व है. हालांकि, इसकी प्रक्रिया में कुछ बदलाव देखने को मिलते हैं. अब गुरुकुल शिक्षा प्रणाली की जगह औपचारिक विद्यालयों में जाकर बच्चे पढ़ाई आरंभ करते हैं. इसके बावजूद यह संस्कार बालक के जीवन में एक नई शुरुआत का प्रतीक होता है.
संगठन के प्रदेश संयुक्त सचिव पं.सजल तिवारी एवं रायपुर शहर मातृशक्ति परिषद् की श्रीमती कालिंदी उपाध्याय, श्रीमती खुशबू शर्मा ने बताया कि संगठन द्वारा “उपनयन संस्कार” के सफलतम आयोजन का यह चौथा वर्ष है. इस वर्ष भी प्रदेश के रायपुर सहित जांजगीर, सारंगढ़, बेमेतरा, खैरागढ़, कांकेर, दुर्ग, कबीरधाम, राजनांदगांव आदि विभिन्न जिलों से आये ब्राह्मण बटुकों का उपनयन संस्कार कराया गया है.
इस आयोजन में पं.श्रीकांत तिवारी, श्रीमती अमिता मिश्रा, श्रीमती भारती शर्मा, श्रीमती नमिता शर्मा, सुश्री आयुषी शर्मा, पं.शैलेन्द्र शर्मा, पं.विजय पांडेय, श्री क्रांति कुमार अग्रवाल, पं.गौरव मिश्रा, श्री रिखीराम यादव पं.चक्रेश तिवारी, सहित श्री महामाया देवी मंदिर सार्वजनिक न्यास का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ.
प्रात: 8 बजे से सायं 6 बजे तक चले इस आयोजन में श्रीमती प्रमिला तिवारी, डा.श्रीमती आरती उपाध्याय, पं.रामानुज तिवारी, श्रीमती राजेश्वरी शर्मा, श्रीमती संध्या उपाध्याय, श्रीमती कीर्तिका तिवारी, श्रीमती अनुसुईया झा, श्रीमती स्वाति मिश्रा, पं.संजय शर्मा, पं.गोपालधर दीवान, पं.अनुराग त्रिपाठी, पं.अखिलेश त्रिपाठी पं.कमलेश तिवारी, श्रीमती बिंदु तिवारी, श्रीमती स्वाति शर्मा, श्रीमती सीमा दुबे, पं.आयुष उपाध्याय, पं.पृथ्वी दुबे, पं.अमित जोशी, पं.तुषार पांडेय सहित छत्तीसगढ़ प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के संगठन प्रतिनिधि उपस्थित थे.