CG – सरकारी संस्थानों में अस्थाई कर्मियों के शोषण पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी…….
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सरकारी संस्थानों में अस्थाई कर्मियों के शोषण पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी…….
एक मामले में कोर्ट ने दिया यह आदेश………
तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने किया फैसले का स्वागत……..
नई दिल्ली / जगदलपुर। सरकारी संस्थानों में अस्थाई कर्मचारियों के शोषण पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है । जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी वरले की पीठ ने कहा कि अस्थाई अनुबंधों का दुरुपयोग सरकारी संस्थानों में आम हो गया है ।यह गिग इकोनामी की हानिकारक प्रवृत्ति को दर्शाता है।
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी गाजियाबाद नगर निगम के अस्थाई कर्मचारियों के मामले में सुनवाई के दौरान की। कोर्ट ने आदेश दिया कि चार सप्ताह के भीतर हटाए गए सभी कर्मियों को बहाल किया जाए। अस्थाई कर्मचारियों का शोषण कैसे होता है……. सुप्रीम कोर्ट ने बताएं पांच तरीके……
कोर्ट ने जग्गो बनाम केंद्र सरकार मामले के फैसले का उदाहरण देते हुए अस्थाई कर्मियों के पांच तरीकों से शोषण का जिक्र किया है।
वह इस प्रकार हैं……
1.अस्थाई लेवल का दुरुपयोग__ नियमित काम करने वालों को अस्थाई का दर्जा दे हक छीन लिए जाते हैं।
2.मनमानी बर्खास्तगी__ बिना नोटिस या कारण के कर्मचारियों को हटा दिया जाता है।
3.करियर प्रगति में बढ़ा__ अस्थाई कर्मचारियों को पदोन्नति और वेतन वृद्धि के अवसर नहीं मिलते।
4. आउटसोर्सिंग का सहारा__ अस्थाई कर्मचारी की है जगह नए अस्थाई कर्मचारियों को लाभ दिया जाता है।
5.बुनियादी अधिकारों से वंचित करना__ पेंशन, भविष्य निधि और स्वास्थ्य बीमा जैसे लाभ नहीं दिए जाते हैं ।
छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री गजेंद्र श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट के उक्त फैसले के संबंध में कहा कि इस फैसले से देश में दूरगामी परिणाम होंगे ।छत्तीसगढ़ सहित देश के युवा जिनका निजीकरण की आड़ में राज्य सरकार एवं निजी संस्थाएं मजबूरी का फायदा उठाकर शोषण कर रही है इससे मुक्ति मिलेगी। छत्तीसगढ़ के लाखों कर्मचारी को शोषण से मुक्ति मिलेगी ।सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आशा की किरण जगी है। 1990 से अंधाधुंध निजीकरण प्रारंभ हुआ है, जो अनवरत जारी है। देश के युवाओं को आर्थिक शोषण का शिकार होना पड़ रहा है। ठेके पर, संविदा पर फिक्स मासिक मजदूरी पर कर्मचारी रखे जा रहे हैं। इससे राहत मिलेगी।