बुजुर्गों से मिली छोटी सीख, बहुत बड़ी तरक्की का रास्ता प्रशस्त कर देती है…

बुजुर्गों से मिली छोटी सीख, बहुत बड़ी तरक्की का रास्ता प्रशस्त कर देती है।
माता-पिता, बूढ़े- बुजुर्गों की सेवा करना मत भूलो
उज्जैन। परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने बताया कि आज तक अगर किसी को कोई चीज मिली तो सेवा के द्वारा मिली। आज बच्चे जब पढ़-लिख लेते हैं, नौकरी काम में लग जाते हैं, कागज का छपा-छपाया नोट जब उनको मिलने लग जाता है तो माता-पिता की सेवा को भूल जाते हैं। बजाए उनकी सेवा करने के, उन्हें घर से बाहर निकाल देते हैं। कहते हैं ये अनपढ़ हैं, ये कम पढ़ें लिखें हैं, ये हमारी सोसाइटी में बैठने के लायक नहीं हैं। लेकिन ये उनकी सबसे बड़ी भूल और भ्रम है। आपको बुजुर्गों के पास बैठना है, उनसे सीख लेनी है। उनसे मिली छोटी-छोटी सीख, बहुत बड़ी तरक्की का रास्ता प्रशस्त कर देती है। इसलिए अच्छी चीज ग्रहण करनी चाहिए।
सेवा में कमी कब आ जाती है ?
सरकार ने बूढ़े-बुजुर्गों की पेंशन की व्यवस्था तो बनाई है। जब वे रिटायर होते हैं और सेवा निवृत होते हैं तो पैसा तो मिलता है लेकिन उनके खाने-पीने की, रहने की व्यवस्था ठीक से नहीं हो पाती है और इस स्वार्थ के समय में, स्वार्थ की दुनियां में जब पैसा कम आने लगता है तो घर में लोगों का भी मन खराब होने लग जाता है, क्योंकि पैसा कमाने का ही लोगों का उद्देश्य बन गया। बस पैसा आना चाहिए, चाहे कैसे भी आए। बहुत से लोग तो नीयत खराब कर देते हैं, यहां तक कि ईमान को भी बेच देते हैं, जो कितनी कीमती चीज है। जबान ही तो सब कुछ है, ईमान ही तो सब कुछ है लेकिन उसको भी पैसे के लिए बेच देते हैं।
घर में जब पैसा आना कम हो जाता है, केवल पेंशन आती है तब पेंशन से ही लोगों की टेंशन बढ़ जाती है। फिर सेवा में कमी, देख-रेख में कमी, कर्तव्य को लोग भूल जाते हैं और तब बुजुर्ग, जो पहले पूरी तनख्वाह दे देता था, अब पेंशन में कंजूसी करने लगता है। तो बस, सेवा में कमी आ जाती है।
अपने कर्तव्य को समझो
लोग अपने कर्तव्य को समझें कि बुजुर्गों की हमको सेवा करनी है, माता-पिता की सेवा करनी है, घर में बूढ़े बुजुर्गों का सम्मान करना है, क्योंकि हमको भी एक दिन बूढ़ा होना है। यह बात याद रखें कि यह हमारा कर्तव्य है और हमको भी इसी स्टेज पर एक दिन आना पड़ेगा। बच्चों और बहुओं को तो यह कभी सोचना ही नहीं चाहिए कि हम इनकी सेवा न करें। सेवा खूब करो और सेवा से दिल को जीत लो, फिर वह जब यह सोच लेगा कि हमको रुपया पैसा इकट्ठा करने की जरूरत क्या है? तब आपके लिए अपना खजाना खोल देंगे। वह तो इसीलिए इकट्ठा करता है कि ये जो रोटी, पानी देते हैं वह भी अगर देना बंद कर दे तो हम कहीं होटल में चले जाएंगे, वहां रहने लगेंगे, किसी को भी पैसा दे देंगे तो वह रोटी बना देगा।
बीमारी व तकलीफों में आराम देने वाला नाम “जयगुरुदेव”
किसी भी बीमारी, दुःख, तकलीफ, मानसिक टेंशन में शाकाहारी, सदाचारी, नशामुक्त रहते हुए जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव की ध्वनि रोज सुबह-शाम बोलिए व परिवार वालों को बोलवाइए और फायदा देखिए।