जब धर्म को धारण करके धर्म किया जाता है, तब उसका लाभ मिलता है – बाबा उमाकान्त महाराज
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जब धर्म को धारण करके धर्म किया जाता है, तब उसका लाभ मिलता है – बाबा उमाकान्त महाराज
धर्म के नाम पर या अपने नाम के लिए धर्म करते हैं, तो उससे लाभ नहीं मिल पाता है।
उज्जैन। परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने 26 फरवरी, 2025 को सतसंग सुनाते हुए कहा कि आज (शिवरात्रि) के दिन कोई शिव का विवाह करा रहा है, कोई झाँकी सजा रहा है, बारात लेकर जा रहा है, कोई शिवलिंग के ऊपर दूध बेलपत्र धतूरा इत्यादि चढ़ा रहा है। उसी में अपनी-अपनी भक्ति लोग दर्शा रहे हैं। भक्ति एवं धार्मिक भावना अच्छी होती है, जब धर्म को धारण करके धर्म किया जाता है, तब उसका लाभ मिलता है।
लेकिन जब धर्म को समझ नहीं पाते और धर्म के नाम पर या अपने नाम के लिए धर्म करते हैं तो उससे लाभ नहीं मिल पाता है। फिर यही देवता जिनको पूजा पाठ, अनुष्ठान कर के ख़ुश किया जाता है, ये नाराज़ हो जाते हैं और दुःख देने लग जाते हैं।
शंकर को संहार का काम दिया गया है, लेकिन ये अवघड़ दानी भी कहलाते है।
शंकर को संहार का काम दिया गया है, लेकिन ये अवघड़ दानी भी कहलाते है। जब खुश हो जाते है तब देने में कोई कमी नहीं रखते हैं। मुंह माँगी चीज़ें लोगों को मिल जाती हैं, लेकिन तब, जब इनका दर्शन हो जाए, इनका साक्षात्कार हो जाए। अब इनका दर्शन कैसे होगा? जो रास्ता गुरु महाराज ने (नामदान/सुरत शब्द योग साधना) बताया है या उनके बाद जो नए लोग हैं उनको बताया गया, उससे दर्शन मिलता है। और अंदर में जब दर्शन मिल जाएगा, उनको खुश कर दिया जाएगा, तब वह कोई चीज़ की कमी नहीं रखेंगे। जिनको इस चीज़ का पता नहीं है, वह कुछ दिखावे का और कुछ भाव-भक्ति, भावना में पूजा पाठ करते हैं, लेकिन वह निष्फल जाता है, उसका फल नहीं मिलता है। धार्मिक भावना तो बहुत जग रही है, धार्मिक तो लोग बहुत हो रहे हैं, लेकिन लोगों की तकलीफें बढ़ती चली जा रही हैं।
लोगों की तकलीफें क्यों बढ़ती चली जा रही हैं ?
कारण यही है कि चंडी अपना काम कर रही है। लोगों के सिर पर बैठ कर के उनकी बुद्धि एवं खानपान ख़राब कर दे रही है। चंडी को मामूली मत समझो, चंडी तो अभी देखो क्या करिश्मा दिखाएगी। जो अपने को बहुत ज़्यादा धनी-मानी कहलाते हैं और बहुत परिश्रम कर के ज़िंदगी भर का धन इकट्ठा किया, वो तो मिनटों में ख़त्म करेगी। बड़े-बड़े राजनेता (देश-विदेश के) जो अपने को हीरो कहते हैं, वही आपको जीरो दिखाई पड़ेंगे, ऐसा वो (चंडी) काम कर देगी। वो बुद्धि ही भ्रष्ट करा देती है।
अब बुद्धि भ्रष्ट क्यों करा पाती है? कारण उसका यही होता है कि ना तो उनकी आत्मा अपना रूप देख पाती है या अपने अंदर पावर ला पाती है और ना ही उनका शरीर इस लायक रहता है कि कोई भी पूजा पाठ करो तो ये खुश हो जाए। तो शरीर भी गंदा, शरीर से मन गंदा और फिर आत्मा के ऊपर वही गंदगी आ जाती है।