मध्यप्रदेश

गृहस्थ आश्रम के धर्म का पालन करते हुए कुछ समय अपने शरीर को चलाने वाली शक्ति (जीवात्मा) के लिए भी निकालो…

गृहस्थ आश्रम के धर्म का पालन करते हुए कुछ समय अपने शरीर को चलाने वाली शक्ति (जीवात्मा) के लिए भी निकालो…

इस मृत्यु लोक का नियम ही यही है कि जो पेड़ फलता है वह झड़ता है,

उज्जैन। वक्त गुरु परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने बताया कि यह दुनिया भवसागर है और सर्प रूपी काल गाल फैलाए हुए बैठा है कि जैसे ही इनका समय पूरा हो हम इनको अपनी चपेट में ले लें। आज तक कोई नहीं बचा, सब को जाना पड़ा;

बलि विक्रम वेनु दधीचि गए
अरु पारथ गे जिन भारत ठाना
बालि गए बरु राम हने
जिनकी कखरी दससीस समाना
गए दुर्योधन जंग जुरे जिन
चौंसठि कोस को छत्र विताना
धरा को प्रमान यही स्वामी
कि फरा सो झरा औ बरा सो बुताना

वेणु जैसे दानी चले गए। दधीचि जैसे दानी चले गए, जिन्होंने अपनी हड्डी का दान देवासुर संग्राम में दे दिया था। चौंसठ कोस में छत्र थी जिसकी वह दुर्योधन चले गए। बड़े-बड़े चले गए तो आप नहीं जाओगे कि हम नहीं जाएंगे? जो भी मनुष्य शरीर में आया, जाना सब को पड़ेगा। इस धरती का नियम ही यही है कि जो फलता है वह झड़ता है, जो जलता है वह बुझता है और जो पैदा होता है वह मरता है। मरने के बाद इस शरीर को तो लोग मिट्टी कह कर जला कर के राख कर देंगे लेकिन यह जो शरीर को चलाने वाली शक्ति है “जीवात्मा”, यह कहां जाएगी? इसके लिए भी आपको कोई स्थान बनाने की जरूरत है।

कर ले निज काज जवानी में, इस दो दिन की जिंदगानी में

इस जिंदगी के सफर को महात्माओं ने समझाकर के कहा कि ये दो दिन की जिंदगी है। जैसे कहते हैं चार-दिन की चाँदनी, फिर अँधेरी रात। बुढ़ापे में शरीर कमजोर हो जाता है इसलिए कहते हैं कि कर ले निज काज जवानी में। अब निज काज किसको कहते हैं, यही समझने की आवश्यकता होती है। निज काज का मतलब होता है, अपना काम। कहा “काम अपना करो भाई, पराए काम नहीं फंसना।”

अपना काम क्या है ?

इस शरीर की देखरेख करते हुए, खाने-पहनने का इंतजाम करते हुए, गृहस्थ आश्रम के धर्म का पालन करते हुए कुछ समय अपने शरीर को चलाने वाली शक्ति (जीवात्मा) के लिए भी निकालो। अब अगर ऐसा नहीं किया तो समय किसी का इंतजार नहीं करता है। यह रात-दिन मिलकर के इस जीवन के सफर को ख़त्म कर देंगे। जो जीने के लिए समय मिला है, स्वांस मिली है, उसको ये रात-दिन रूपी चूहे काट करके ख़त्म कर देंगे और फिर ये शरीर गिर जायेगा, इसकी कोई क़ीमत नहीं रह जाएगी।

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