छत्तीसगढ़

सेफ्टी में चूक गिधपुरी निवासी झगरू की गई जान तीन बच्चे हुए अनाथ कालिंदी प्रबंधन के खिलाफ आसपास गाँव वालों ने खोला मोर्चा क्या कहती प्रबंधन और परिवार जानें पढ़े पूरी ख़बर

बिलासपुर//कालिंदी इस्पात लगातार लगभग दो सालों से विवादों में बना हुआ हैँ अभी साल डेढ़ साल पहले ही आसपास के 10 से 12 गाँवो के ग्रामीणों ने प्रदुषण कों लेकर प्लांट कों बंद करा दिया था किसी तरह वो समस्या दूर हुई तो अब मजदूर की मौत ने फिर सुर्खियों में ला खड़ा किया पर एक बात तो साफ हैँ अगर सेफ्टी का ध्यान रखा जाता तो निश्चित रूप से शायद झगरू के घर वालों कों आज अनाथ नहीं होना पड़ता उसके बच्चे आज रोते बिलकते नजर नहीं आते उसका परिवार आज इतनी तकलीफ में नहीं होती जब मजदूर ऊपर चढ़ कर बिना सुरक्षा बेल्ट के काम कर रहा था तो प्लांट के सेफ्टी ऑफिसर्स कहाँ थे क्या प्लांट में सेफ्टी ऑफिसर्स हैँ और अगर हैँ तो उनका क्या काम हैँ और अगर नहीं हैँ तो क्यों नहीं हैँ सरकार ने प्रत्तेक प्लांट में सेफ्टी ऑफिसर्स का होना अनिवार्य किया हैँ क्यों उद्योग विभाग इन पर कार्यवाही नहीं कर रही कालिंदी इस्पात में सुरक्षा में चुक जिससे मजदूर परिवार बिखर गया जान चली गई जिसे बड़ी लापरवाही कही जा सकती हैँ जिसमें एक मजदूर झगरू घृतलहरें पिता कुंवर सिंह घृतलहरें की कल दोपहर बाद प्लांट में काम करते ऊपर से गिरने की वजह से मौत हो गई बताया जाता हैँ की इनके तीन छोटे छोटे बच्चे हैँ जिनमें दो लड़के और एक लड़की हैँ झगरू घर का मुखिया था और वही पूरा घर चलाता था आसपास ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने मिलकर प्लांट के सामने धरना देना शुरू कर दिया हैँ

क्या हैँ इनकी मांग…

लोंग पीड़ित परिवार के लिए 1 करोड़ का मुवावजा परिवार के एक सदस्य कों परमानेंट प्लांट में नौकरी तीनो बच्चों की पालन पोषण और मृतक की पत्नी कों सरकार की गाइड लाइन के तहत आजीवन पेंशन दिए जाने की बात कह रहें हैँ।

क्या कहते हैँ जी एम अरविन्द सिंह…

प्लांट के विस्तार में लगे मजदूर की गिरने से जान गई हैँ जिसकी जान गई वो साफ सफाई करने ऊपर चढ़ा था और वो ठेकेदार एम एन पाण्डेय के अंदर काम करता था इनके अंदर चार और ठेकेदार काम करते हैँ कल दोपहर बाद की ये घटना हैँ लड़के कों जिला हस्पताल में रखा गया हैँ अभी तक पीएम नहीं हुआ हैँ ठेकेदार और प्लांट प्रबंधन मुवावजा देनें कों तैयार हैँ।

पुलिस और तहसीलदार मौक़े पर…

मौक़े पर पुलिस दल बल के साथ मौजूद हैँ वही तहसीलदार स्ट्राइक में बैठे ग्रामीणों से बात चित कर बीच का रास्ता निकालने में लगे हैँ।

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