एक समय ऐसा आएगा कि भारतीय संस्कृति अपनाने से ही लोगों को शांति मिलेगी – बाबा उमाकान्त महाराज

एक समय ऐसा आएगा कि भारतीय संस्कृति अपनाने से ही लोगों को शांति मिलेगी – बाबा उमाकान्त महाराज
कोई भारतीय संस्कृति को ख़त्म करने का कितना भी प्रयास करे, लेकिन ख़त्म नहीं कर सकता है
भोपाल (म. प्र.)। पिपलानी, भेल भोपाल (म. प्र.) परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने कहा कि मैं बहुत देशों में गया लेकिन जो सेवा भाव भारत देश में है, वह और कहीं नहीं है। सत्य तो है वहां ज्यादा लेकिन बाकी यह चीजें नहीं है। वहाँ स्वार्थपरता है। विदेशों में हिंसा-हत्या भी भारत देश से ज्यादा है और परोपकार, सेवा भाव भी नहीं है, लेकिन भारत देश में सेवा भाव बहुत है। जब से सेवा लोगों ने छोड़ दिया तब से सेवा का फल मिलना बंद हो गया। नहीं तो पहले गृहस्थ के यहां शाम को कोई भी पहुंच जाता, तो खुश हो जाता था कि बिना बुलाए मेहमान आ गए, भगवान आ गए। और जो भी उनके पास होता, प्रेम के साथ, आदर के साथ उनको खिलाते और उनके सोने की व्यवस्था भी कर दिया करते थे।
सेवा भाव अब धीरे-धीरे खत्म होता चला जा रहा है
सेवा भाव अब धीरे-धीरे देखो खत्म होता चला जा रहा है। अब अगर कोई रात को पहुंच जाए तो कहते हैं कि टेंशन आ गया, अब फिर से बर्तन धोओ, फिर से खाना बनाओ और इनको खिलाओ। सोचते हैं कि यही करते रहे तो हम सुबह कब उठेंगे, बच्चों का खाना कब बनाएंगे। लेकिन पहले लोग मेहमान आने पर खुश हो जाते थे । पहले के समय में रोटी बना कर के लोग उसे लेकर उस तरफ पैदल जाते थे जिस तरफ लोगों का आना-जाना रहता था ताकि उनको भोजन करा सके। बूढ़े-बुजुर्ग लोग मटके में पानी भर कर पेड़ के नीचे बैठ जाते थे और आने-जाने वालों को पानी पिलाते थे, भारत की यह संस्कृति भी रही है कि “आओ बैठो, पियो पानी”।
पूरे विश्व को शांति भारत देश से ही मिलेगी
कोई भारतीय संस्कृति को ख़त्म करने का कितना भी प्रयास करे, लेकिन ख़त्म नहीं कर सकता है। भारतीय संस्कृति कम या ज्यादा तो होती रहेगी लेकिन एक समय ऐसा आएगा कि भारतीय संस्कृति अपनाने से ही लोगों को शांति मिलेगी। केवल भारत के लोगों को ही नहीं, पूरे विश्व को शांति भारत देश से, भारतीय संस्कृति से ही मिलेगी, जब वह शांति की तलाश में भागेंगे।