दिल्ली

देश के 52वें CJI बनें गवई 23 नवम्बर तक कार्यकाल वक्फ केस सहित कई अहम मामलो की करेंगे सुनवाई पढ़े पूरी ख़बर

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने सुप्रीम कोर्ट के 52वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ले ली है. वह 23 नवंबर तक सीजेआई रहेंगे. अपने कार्यकाल में सीजेआई गवई वक्फ केस समेत कई अहम मामलों की सुनवाई करेंगे.

वहीं, जस्टिस बीआर गवई बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले पहले और अनुसूचित जाति से आए दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं.

जस्टिस गवई की चीफ जस्टिस के पद पर नियुक्ति ऐतिहासिक और प्रतीकात्मक दोनों है. यह न्यायपालिका द्वारा पोषित समावेशिता और संवैधानिक नैतिकता के मूल्यों की प्रतीक है. जस्टिस गवई 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होने की तिथि यानी छह महीने से अधिक अवधि तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहेंगे. उनके नेतृत्व में न्यायपालिका से न केवल उनके फैसलों की उम्मीद होगी, बल्कि उनके द्वारा बनाए गए विरासत की भी सभी को प्रतीक्षा रहेगी.

संविधान पीठों का भी हिस्सा रहे हैं CJI

अब तक सुप्रीम कोर्ट में अपने छह वर्षों के कार्यकाल में जस्टिस गवई कई महत्वपूर्ण पीठों का हिस्सा रहे हैं, उन पीठों ने अहम फैसले सुनाए हैं. उनमें बुलडोजर कार्रवाई की निंदा करने और ऐसी प्रवृत्तियों पर नियंत्रण के लिए कड़े दिशा-निर्देश निर्धारित करने वाले आदेश शामिल हैं.

जस्टिस गवई उन संविधान पीठों का भी हिस्सा रहे, जिन्होंने केंद्र सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को वैध ठहराया, चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित किया और 2016 की नोटबंदी को संवैधानिक बताया.

जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने धनशोधन मामले में आरोपी आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को ज़मानत दी थी. उसके आधार पर अन्य आरोपियों को भी राहत मिली. उसी तरह राहुल गांधी के खिलाफ ‘मोदी सरनेम’ मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगाने और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को 2002 गोधरा दंगों से संबंधित मामले में नियमित जमानत देने का आदेश भी उन्होंने दिया था।

Related Articles

Back to top button