मध्यप्रदेश

गुरु महाराज (बाबा जयगुरुदेव) शरीर छोड़ कर तो चले गए, लेकिन अपने अपनाए हुए जीवों की उन्हें आज भी चिंता है – बाबा उमाकान्त महाराज

गुरु महाराज (बाबा जयगुरुदेव) शरीर छोड़ कर तो चले गए, लेकिन अपने अपनाए हुए जीवों की उन्हें आज भी चिंता है – बाबा उमाकान्त महाराज

हर पल, हर क्षण, हर महीना, हर दिन भजन करने का समय होता है

उज्जैन। परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने उज्जैन आश्रम पर सतसंग सुनाते हुए बताया कि सन्तमत में सतसंग, सेवा, प्रार्थना, सुमिरन, ध्यान और भजन ये प्रमुख हैं। ये परमार्थ का रास्ता है। ये अगर सीख लिया जाए, समझ लिया जाए, और किया जाए तो इसी से सारी चीजें मिल सकती हैं। मनुष्य सभी सुख – संपदाओं का भोग करते हुए, जब जीवन का समय पूरा हो, तो गुरु की दया की मदद से अपने वतन अपने मालिक के पास पहुंच सकता है।

गुरु जिनको पकड़ते हैं, छोड़ते नहीं हैं

बगैर गुरु के कुछ नहीं हो सकता है। जब समरथ गुरु मिल जाते हैं, उनसे रास्ता मिल जाता है, गुरु भक्ति करने लगते हैं। गुरु के आदेश का पालन करते हैं।

“हर हुकुम गुरु का फ़ौरन ही तामील हो, सिर झुकाये रखो हरदम उनके नमन के लिए।”

जब हमेशा उनको याद रखते हैं और नमन करते हैं। जैसा कि फकीरों ने कहा – “जहां दम – दम पर होते हैं सिजदे, सर उठाने की फुर्सत नहीं है”। हम गुरु को भूल जाते हैं लेकिन गुरु नहीं भूलते हैं। अर्थात गुरु तो जीव को नहीं छोड़ते हैं।
“हम आए वही देश से जहां तुम्हारो धाम, तुमको घर पहुंचावनों – एक हमारो काम”

जब तक आपको घर नहीं पहुंचा देंगे तब तक भूलने वाले नहीं है। लेकिन अपने प्रेमीजन गुरु महाराज को भूल जाते हैं। गुरु महाराज से प्रेम कम हो जाता है और परिवार में, बच्चों में, धन-दौलत में, दुनिया की चीजों में, दुनिया के ऐशो – आराम से प्रेम ज्यादा हो जाता है। जब गुरु की दया हो जाती है, तब कहीं भी कोई रुकावट नहीं रह जाती है। ये जीवात्मा उस परमपिता परमात्मा की गोदी में जाकर बैठ जाती है।

जब मुहूर्त से काम होगा, तो उसमें विघ्न – बाधा नहीं आएगी

हर काम का समय होता है। जैसे दिन होता है, रात होती है, सुबह होती है, मौसम बदलता है क्योंकि ये संसार परिवर्तनशील है। यहां बदलाव होता रहता है। यहां पर ग्रह-नक्षत्र, अमावस्या-पूर्णिमा और तीज-त्योहार भी आते रहते हैं। ऐसे ही हर काम का मुहूर्त होता है। जब काम को मुहूर्त से शुरू करते हैं, तब उसमें कामयाबी मिलती है। बहुत से लोग दुकान का मुहूर्त निकलवाते हैं, घर बनवाने का मुहूर्त निकलवाते हैं, उसमें गृह प्रवेश का मुहूर्त निकलवाते हैं, मुण्डन और शादी – ब्याह का भी मुहूर्त निकलवाते हैं। कहते हैं कि विघ्न – बाधा आती है तो काम के पूरा होने में दिक्कत आती है। इसलिए लोग मुहूर्त से काम करना पसंद करते हैं। जब गुरु की दया हो जाती है तब कोई कभी भी किसी भी समय पर भजन करे, किसी भी महीने में करे, दिन में करे, रात में करे, ज़मीन पर बैठकर करे, हवाई जहाज में उड़ रहा हो उसमें करे, गाड़ी में बैठकर करे। जब भजन जग जाता है, गुरु से प्रेम हो जाता है तब कोई दिक्कत नहीं आती है।

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