CG – इंद्रावती बनेगी जीवनरेखा : बैराज निर्माण से जगदलपुर को मिलेगा स्थायी जल समाधान – संजय पाण्डेय

इंद्रावती बनेगी जीवनरेखा : बैराज निर्माण से जगदलपुर को मिलेगा स्थायी जल समाधान – संजय पाण्डेय
जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप ने बैराज निर्माण को दी सैद्धांतिक रूप से हरी झंडी,इंद्रावती पर बनेगा आधुनिक बैराज
शहर की प्यास बुझाने मंत्री केदार कश्यप ने दिखाई संवेदनशीलता, बजट में शामिल कर महापौर ने की थी पहल
पांच दशक तक बस्तरवासियों की प्यास बुझाएगा ‘जगदलपुर बैराज’
पेयजल, सिंचाई और रोजगार का केंद्र बनेगा ‘जगदलपुर बैराज’ – संजय पाण्डे
जगदलपुर। बस्तर की जीवनदायिनी इंद्रावती नदी अब शहरवासियों की प्यास बुझाने के लिए नई राह खोलेगी। जगदलपुर शहर को लंबे समय तक निर्बाध जलापूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जगदलपुर में ‘बैराज’ के निर्माण की योजना पर अब तेजी से काम शुरू होने वाला है। जलसंसाधन मंत्री केदार कश्यप की संवेदनशीलता एवं नगर निगम के महापौर संजय पाण्डे की पहल पर यह ऐतिहासिक कदम उठाया जा रहा है। जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप से चर्चा कर महापौर ने बैराज निर्माण की सहमति भी प्राप्त कर ली है। अब जल संसाधन विभाग से तकनीकी प्रस्ताव भी तैयार कराया जा रहा है।
बजट में बैराज निर्माण को मिली प्राथमिकता, जल संसाधन मंत्री को सौंपी गई प्रति
नगर निगम के वर्ष 2025-26 के बजट में इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित बैराज निर्माण को शामिल किया गया है। विगत दिनों बस्तर प्रवास पर पहुँचे जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप से महापौर संजय पाण्डे, अध्यक्ष खेमसिंग देवांगन, एमआईसी सदस्यगण एवं नगर निगम के पार्षदों ने सौजन्य भेंट कर नगर निगम का बजट सौंपा था, जिसमें बैराज निर्माण को सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में प्रस्तुत किया गया था।महापौर ने जल संसाधन मंत्री को नगर निगम के बजट की प्रति सौंपते हुए बैराज निर्माण की आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा की। मंत्री केदार कश्यप ने बैराज निर्माण को सैद्धांतिक रूप से स्वीकृति देते हुए हरसंभव सहयोग का भरोसा दिलाया है।
जल संकट समाधान में मंत्री केदार कश्यप की दूरदर्शिता और सतत प्रयास निर्णायक
जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप इंद्रावती नदी के जल संकट को लेकर शुरू से ही गंभीर और संवेदनशील रहे हैं। छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, मंत्री केदार कश्यप, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक किरण देव और सांसद महेश कश्यप की संवेदनशीलता का ही परिणाम है कि आज इंद्रावती में लगभग 50 प्रतिशत जलप्रवाह सतत जारी है। उन्होंने समय-समय पर विभागीय अधिकारियों से रिपोर्ट मंगवाकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। वहीं जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप ने बैराज निर्माण को लेकर प्रारंभिक स्तर पर सहमति देकर उन्होंने इस महत्वपूर्ण योजना को नई दिशा दी। शहरवासियों को दीर्घकालिक जल समाधान देने उनके निरंतर प्रयास प्रशंसनीय और दूरदर्शी कदम हैं।
गौरतलब है कि इंद्रावती नदी में ग्रीष्मकाल शुरू होते ही जलस्तर तेजी से गिरने लगता है, जिससे फिल्टर प्लांट को जलापूर्ति में भारी परेशानी होती है। 2005 में बना एनीकट अब जवाब दे चुका है। नदी में जमा गाद और रेत के कारण वर्तमान में केवल 15-16 एमएलडी पानी ही मिल पा रहा है, जबकि आवश्यकता 19 एमएलडी की है। ऐसे में बैराज का निर्माण न केवल वर्तमान संकट का समाधान होगा, बल्कि भविष्य की आवश्यकताओं को भी पूरा करेगा।
बैराज की विशेषताएं और लाभ
• लंबाई : 170 मीटर
• ऊंचाई : 5 मीटर
• जल संग्रहण क्षमता : 12 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम)
• पेयजल उपलब्धता : 5.5 एमसीएम
• सिंचाई व औद्योगिक उपयोग हेतु जल : 6.5 एमसीएम
• कृषि लाभ : 500 हेक्टेयर खरीफ और 200 हेक्टेयर रबी सिंचाई
• अनुमानित लागत : 80 करोड़ रुपये
• अतिरिक्त लाभ : पर्यटन, मत्स्य पालन, रोजगार सृजन, जल परिवहन और बाढ़ नियंत्रण
विकास की ओर बढ़ता जगदलपुर
विधायक किरण देव ने कहा है कि इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित बैराज क्षेत्र की जल जरूरतों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इससे पेयजल, सिंचाई और रोजगार के नए द्वार खुलेंगे। साथ ही उन्होंने कहा है कि परियोजना के लिए हर संभव सहायता के लिये वे सदैव तत्पर हैं।
महापौर संजय पांडे ने बताया कि इंद्रावती नदी के पुराने एनीकट की जलधारण क्षमता अब शहर की 2 लाख से अधिक आबादी के लिए नाकाफी हो चुकी है। ऐसे में बैराज निर्माण समय की मांग है। इससे भू-जल स्तर में भी सुधार होगा और आने वाले 50 वर्षों तक पेयजल संकट नहीं रहेगा।
जगदलपुर बैराज अब न केवल पेयजल संकट का समाधान बनेगा, बल्कि यह बस्तर की सामाजिक-आर्थिक तस्वीर भी बदल सकता है। आने वाले वर्षों में यह परियोजना बस्तर के विकास की धुरी बनेगी – एक ऐसी धरोहर जो पीढ़ियों को पानी देगी और संभावनाओं को सींचेगी।