CG – राज्य सरकार का बड़ा कदम : इंजीनियरिंग के साथ भागवत गीता और संविधान पढ़ेंगे छात्र, इसी सत्र से शुरू होंगे पाठ्यक्रम…..

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने इंजीनियरिंग शिक्षा को विस्तार दिया है। अब सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। शैक्षणिक सत्र 2025-26 से इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में तकनीकी विषयों के साथ-साथ भारतीय संस्कृति, परंपरागत ज्ञान, खगोल विज्ञान, ज्योतिष, श्रीमद्भगवत गीता और भारतीय संविधान जैसे विषयों को शामिल किया जाएगा। ताकि छात्रों को भी हमारी संस्कृति और विरासत के बारे में जानकारी हो और वे इसे अंगीकार करें।
यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत किए जा रहे हैं। इस नीति को पहले उच्च शिक्षा में लागू किया गया था और अब इसे तकनीकी शिक्षा में विस्तार दिया जा रहा है। इसका उद्देश्य छात्रों को सिर्फ इंजीनियर ही नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में भी तैयार करना हैं।
हर सेमेस्टर में शामिल होंगे अलग-अलग विषय
पहला सेमेस्टर
फाउंडेशन कोर्स ऑफ एंसिएंट इंडियन नॉलेज सिस्टम
प्राचीन भारतीय गणितज्ञों जैसे आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त और वराहमिहिर के योगदान पर आधारित अध्ययन।
दूसरा सेमेस्टर
श्रीमद्भगवत गीता: मैनुअल ऑफ लाइफ एंड यूनिवर्स
जीवन दर्शन, नैतिक मूल्य और आत्मविकास पर आधारित पाठ्यक्रम।
तीसरा सेमेस्टर
इंडियन ट्रेडिशनल नॉलेज साइंस एंड प्रैक्टिसेस
खगोल विज्ञान और ज्योतिष के पारंपरिक सिद्धांतों का अध्ययन।
चौथा सेमेस्टर
इंडियन कल्चर एंड कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया
भारतीय स्थापत्य कला की विविध शैलियों (कलिंग, मराठा, राजपूत, द्रविड़) और संविधान की मूल अवधारणाओं की जानकारी।
यह सुविधा से छात्रों को होगा फायदा
नए पाठ्यक्रम में मल्टीपल एंट्री और एक्जिट सिस्टम को अपनाया गया है। अब छात्र बीटेक कोर्स किसी भी वर्ष में छोड़कर भविष्य में वहीं से दोबारा शुरू कर सकेंगे।
1 वर्ष: सर्टिफिकेट
2 वर्ष: डिप्लोमा
4 वर्ष: बीटेक डिग्री
ब्रांच अनुसार फिजिक्स और स्किल-बेस्ड विषय भी होंगे शामिल
अब फर्स्ट ईयर में सभी छात्रों को एक जैसा फिजिक्स न पढ़ाकर, ब्रांच अनुसार अलग-अलग पाठ्यक्रम पढ़ाए जाएंगे। साथ ही, पहले और दूसरे वर्ष में स्किल आधारित विषय जोड़े जाएंगे, जैसे मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग।
प्रदेश के 28 इंजीनियरिंग कॉलेजों में लागू होंगे
छत्तीसगढ़ के सभी 28 सरकारी और निजी इंजीनियरिंग संस्थानों में यह नया पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव से छात्रों की सोच केवल तकनीकी नहीं बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी विकसित होगी।