बिहार

Bihar News: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग का स्वर्णिम युग, हर क्षेत्र में दिख रही तरक्की की मिसाल….

 बिहार : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कार्यकाल अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लोगों के लिए एक स्वर्णिम काल है। इनके कार्यकाल में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के उन्थान के लिए जितना काम हुआ है उतना काम बिहार के अब तक के इतिहास में किसी भी सरकार में नहीं हुआ है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोग तरक्की की सीढ़ी चढ़ रहे हैं। हर क्षेत्र में विकास कर रहे हैं। आज खेल से लेकर पढ़ाई तक में अव्वल हैं। यूपीएससी से लेकर बीपीएससी तक की परीक्षाओं में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं और नौकरी भी पा रहे हैं। इसके लिए सबसे बड़ा श्रेय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जाता है।

साल 2008 में महादलित समुदाय तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने “महादलित विकास मिशन” की स्थापना की। महादलित विकास मिशन के माध्यम से ही विकास मित्रों का चयन किया जाता है, जो विकास योजनाओं का लाभ समाज के सबसे वंचित वर्गों तक पहुंचा रहे हैं। वर्तमान में 9 हजार 460 विकास मित्र कार्यरत हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2009 से जनजाति (थारू जनजाति सहित) के विकास के लिए समेकित थरूहट विकास के कार्यक्रम चलवाए। जिसमें आवासीय विद्यालयों एवं छात्रावासों का निर्माण कराया गया तथा युवाओं को विभिन्न रोजगार हेतु प्रशिक्षण दिया गया। वर्ष 2014 में अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए ‘स्वाभिमान बटालियन’ का गठन करवाया।

इस वाहिनी का मुख्यालय पश्चिमी चम्पारण में है। वर्ष 1993 में जब यह पता चला कि बिहार में भी मंडल कमीशन की तर्ज पर अतिपिछड़ों (अनुसूची-1) एवं पिछड़ों (अनुसूची-2) को एक वर्ग में डालने की बात हो रही है तो मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी ने साफ तौर पर इसका विरोध किया। 24 जनवरी 1993 को उन्होंने स्पष्ट रूप से कह दिया कि कर्पूरी जी के द्वारा जो आरक्षण लागू किया गया है, उसमें अगर कोई छेड़-छाड़ होगी और उसमें अगर कोई परिवर्तन करने की कोशिश होगी तो इसका विरोध किया जायेगा।

‘अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग’ का किया गठन

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने वर्ष 2006 में पंचायती राज संस्थाओं एवं वर्ष 2007 में नगर निकायों में अति पिछड़े वर्गों के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण दिया। इसके बाद वर्ष 2016 में राज्य की न्यायिक सेवा में सीधी नियुक्ति में अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए 21 प्रतिशत तथा पिछड़े वर्ग के लिए 12 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करवाया।

वर्ष 2007-08 में अत्यंत पिछडा वर्ग के लोगों के विकास के लिए अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का गठन किया गया। वित्तीय वर्ष 2008-09 में विभाग का वार्षिक योजना बजट 42.17 करोड़ रूपये था जो वर्ष 2025-26 में बढ़कर 1900 करोड़ (एक हजार नौ सौ करोड़) रूपये हो गया है।

अति पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए सभी जिलों में जननायक कर्पूरी ठाकुर छात्रावास का निर्माण कराया गया है। नयी पहल के तहत वर्ष 2018 से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं के लिए आवासीय विद्यालयों एवं छात्रावासों का निर्माण, छात्रावास अनुदान एवं मुफ्त अनाज तथा युवक-युवतियों को सिविल सेवा प्रोत्साहन, ग्राम परिवहन योजना एवं उद्यमी योजना का लाभ दिया जा रहा है।

रोजगार के लिए वाहन खरीदने के लिए अनुदान

2018 में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जाति वर्गों के युवक एवं युवतियों के लिए उद्यमी योजना की शुरूआत की उद्यमी योजना के अंतर्गत सर्वप्रथम वर्ष 2018 में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जाति वर्गों के युवक एवं युवतियों के लिए उद्यमी योजना शुरू की गयी और वर्ष 2020 से 7 निश्चय-2 के तहत सभी वर्गों की महिलाओं को उद्यमी योजना का लाभ दिया जाने लगा है। इसके तहत 10 लाख रूपये तक की सहायता जिसमें 5 लाख रुपये अनुदान तथा शेष 5 लाख रुपये ब्याज मुक्त ऋण दिया जा रहा है।

उद्यमी योजनाओं में अब तक 40 हजार 462 युवक-युवतियों ने लाभ लिया है, जिनमें-अनु० जाति/जनजाति वर्ग के 13 हजार 664 युवक-युवतियां शामिल हैं। वर्ष 2023 में जाति आधारित गणना करायी जिसमें लोगों की आर्थिक स्थिति की भी जानकारी ली गयी है। इसमें 94 लाख गरीब परिवार पाये गये जिसमें अपर कास्ट, पिछड़ा, अति पिछड़ा, दलित, महादलित एवं मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल हैं। इन लोगों के रोजगार हेतु “लघु उद्यमी योजना के तहत 2 लाख रुपये की दर से सहायता देने की शुरूआत हो चुकी है।

आवासीय विद्यालयों में 2025 में 7 गुणा बढ़ी आवासन की क्षमता

2005 के पूर्व 8वीं/10वीं कक्षा तक कम क्षमता के 66 अनुसूचित जाति एवं जनजाति आवासीय विद्यालय थे, जिनके भवन की स्थिति अत्यंत ही दयनीय थी। इन सभी आवासीय विद्यालयों को 10+2 में उत्क्रमित किया गया है और प्रत्येक की क्षमता 720 कर दी गयी है।

इन पुराने आवासीय विद्यालयों में से 45 आवासीय विद्यालयों का नया भवन बना दिया गया है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2021 में 70 नये आवासीय विद्यालयों का निर्माण कराया जा रहा है। वर्ष 2005 में आवासीय विद्यालयों की कुल आवासन क्षमता 12 हजार 628 थी जो अब बढ़कर 84 हजार 240 हो जाएगी।

इस योजना से अभ्यर्थी प्रतियोगी परीक्षाओं में हो रहे सफल

मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग की एक महत्वाकांक्षी योजना है। सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के लिए वर्ष 2018 से बिहार लोक सेवा आयोग एवं संघ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा की तैयारी हेतु क्रमशः 50 हजार रुपये एवं एक लाख रुपये प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।

इसके अन्तर्गत अब तक अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के 4 हजार 113 अभ्यर्थियों के लिए प्रोत्साहन राशि दी गयी है। मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना से अभ्यर्थी प्रतियोगी परीक्षाओं में लगातार सफलता पा रहे हैं। इस योजना के तहत अब तक संघ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण होने वाले 163 अभ्यर्थियों को तथा बिहार लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण होने वाले 4136 अभ्यर्थियों को विभाग द्वारा लाभान्वित किया गया है।

08 अभ्यर्थियों ने अंतिम रूप से सफलता प्राप्त किया

इस योजना से लाभान्वित होकर संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में अब तक 08 अभ्यर्थियों ने अंतिम रूप से सफलता प्राप्त किया है। जिसमें से 03 अभ्यर्थी भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए चयनित हुए हैं। इसके अतिरिक्त भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क एवं अप्रत्यक्ष कर), भारतीय राजस्व सेवा (आयकर), भारतीय रक्षा लेखा सेवा, भारतीय कॉर्पोरेट लॉ सर्विस एवं भारतीय रेलवे कार्मिक सेवा में एक-एक अभ्यर्थी का चयन हुआ है।

बिहार लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में 243 अभ्यर्थियों ने अंतिम रूप से सफलता प्राप्त किया है, जिसमें से बिहार प्रशासनिक सेवा के लिए 10 एवं बिहार पुलिस सेवा के लिए 05 अभ्यर्थी चयनित हुए हैं।

शुरुआती चरण में यह योजना केवल संघ लोक सेवा आयोग और बिहार लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों तक सीमित थी। लेकिन इस योजना की सफलता को देखते हुए राज्य सरकार ने वर्ष 2024 से इसका विस्तार करते हुए अन्य राज्यों की सिविल सेवा, न्यायिक सेवा, आरबीआई, बैंकिंग, एसएससी, रेलवे जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों को भी प्रोत्साहन राशि प्रदान करने का निर्णय लिया है।

राज्य सरकार इस योजना के माध्यम से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के युवाओं को बेहतरीन अवसर उपलब्ध कराने के लिए सतत प्रयासरत है। इस पहल का उद्देश्य युवाओं को सशक्त बनाना और प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक सहयोग प्रदान करना है।

38 जिलों में दी छात्रावास निर्माण की स्वीकृति

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं के उच्च शिक्षा में प्रोत्साहन एवं उनके सशक्तिकरण के लिए मुख्यमंत्री ने ऐतिहासिक निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति एवं जनजाति के बालिका छात्रावास योजना के अंतर्गत राज्य के 38 जिला मुख्यालयों में विश्वविद्यालय/महाविद्यालय/10+ 2 विद्यालयों में अध्ययनरत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के बालिकाओं के आवासन हेतु 100 आसन वाले ‘सावित्रीबाई फुले बालिका छात्रावास’ के निर्माण की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह कदम बिहार को बालिका शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

योजना का उद्देश्य

इस योजना का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं को सुरक्षित और उच्चस्तरीय आवासीय सुविधा उपलब्ध कराकर उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना है। छात्रावासों में रहने वाली बालिकाओं को मुफ्त आवासन के अतिरिक्त विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था प्रदान की गई है।

मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति एवं जनजाति छात्रावास अनुदान योजना के अंतर्गत प्रत्येक छात्रा को एक हजार रुपये मासिक अनुदान भी दिया जा रहा है। साथ ही खाद्यान्न आपूर्ति योजना के तहत प्रत्येक छात्रा को 9 किलो चावल और 6 किलो गेहूं निःशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा। नए छात्रावासों का निर्माण चरणबद्ध तरीके से वित्तीय वर्ष 2024-25 से 2025-26 तक पूरा किया जाएगा।

प्रत्येक छात्रावास भवन के निर्माण पर ₹4,90,62,000 रुपये की लागत आएगी, जिससे कुल ₹1,86,43,56,000/- (एक अरब छियासी करोड़ तैंतालीस लाख छप्पन हजार रुपये) की राशि व्यय होगी। इन छात्रावास भवनों का निर्माण भवन निर्माण विभाग द्वारा तकनीकी अनुमोदित प्राक्कलन और नक्शा के अनुसार किया जाएगा। निर्माण कार्य के साथ-साथ पांच वर्षों तक फर्निशिंग और रखरखाव की जिम्मेदारी भी इसी परियोजना का हिस्सा होगी।

बिहार सरकार ने सावित्रीबाई फुले जैसी महान समाज सुधारकों के आदर्शों से प्रेरणा लेते हुए बालिकाओं की शिक्षा और उनके सशक्तिकरण को प्राथमिकता देने के लिए निरंतर प्रयासरत है। मंत्रिमंडल का यह निर्णय बालिका शिक्षा एवं महिलाओं के समग्र विकास के प्रति बिहार सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है ताकि वे बिहार एवं देश के विकास में अपना योगदान दे सकें।

बिहार सरकार ने सावित्रीबाई फुले जैसी महान समाज सुधारकों के आदर्शों से प्रेरणा लेते हुए बालिकाओं की शिक्षा और उनके सशक्तिकरण को प्राथमिकता देने के लिए निरंतर प्रयासरत है। मंत्रिमंडल का यह निर्णय बालिका शिक्षा एवं महिलाओं के समग्र विकास के प्रति बिहार सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है ताकि वे बिहार एवं देश के विकास में अपना योगदान दे सकें।

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के लिए बिहार सरकार उनकी कानूनी सुरक्षा पर भी विशेष बल दे रही है। उन्हें हर तरह के कानूनी अधिकार की जानकारी दी जा रही है। छात्रों को बेहतर पठन-पठान एवं आवासन के लिए निःशुल्क सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। अधिकारी लगातार डॉ0 भीम राव अंबेडकर आवासीय विद्यालय के शैक्षणिक गतिविधियों पर भी नजर बनाए हुए हैं।

इससे यह साबित होता है कि बिहार सरकार अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों को आत्म निर्भर बनाकर तरक्की की सीढ़ी चढ़ने में हर तरह से मदद कर रही है। इसलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए एक तरह से स्वर्णीम काल कह सकते हैं।

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