सिर्फ औपचारिकता पूरी करने के लिए नहीं बल्कि बराबर साधना में लगोगे तब कामयाबी मिलेगी – बाबा उमाकान्त महाराज

सिर्फ औपचारिकता पूरी करने के लिए नहीं बल्कि बराबर साधना में लगोगे तब कामयाबी मिलेगी – बाबा उमाकान्त महाराज
अब रुकने और सोच-विचार करने की जरूरत नहीं है, अब तो साधना करने और कराने की जरूरत है
उज्जैन। बाबा उमाकान्त महाराज ने सतसंग में कहा कि आज घाट की साधना के तृतीय चरण का समापन हो रहा है। तीन चरण पूरे हो गए हैं और चौथे चरण की शुरुआत कल, त्रयोदशी मासिक भंडारे के दिन शुरू कर दी जाएगी और परसों यह भी पूरा हो जाएगा। इसके बाद गुरु पूर्णिमा से पहले एक और चरण रह जाएगा, जिसको भी आगे पूरा कर लिया जाएगा। तो गुरु पूर्णिमा से पहले पांच चरणों में यह जो पूरा करना था, यह कोटा गुरु महाराज की दया से पूरा हो जाएगा। अपने आश्रमों पर तो यह चल ही रहा है, इसके अलावा हजारों की संख्या में देश-विदेश में चल रहा है और गुरु महाराज की दया से वह भी पूरा होगा।
प्रेमियों ! अब रुकने की जरूरत नहीं है, ना ही सोचने और विचारने की जरूरत है। अब तो आगे बढ़ने की जरूरत है, भजन (साधना) करने और कराने की जरूरत है। यह नहीं कि बस एक साधना शिविर में बैठ आए और बस हो गया। औपचारिकता पूरी नहीं करनी है, जब बराबर लगोगे तब कामयाबी मिलेगी।
जो साधना करता है, उसी को ही लोग साधु कहने लग गए
साधु जो होते थे, वे साधना में मस्त रहते थे। उनको ना ही कपड़ा सिलाने का समय और ना ही दाढ़ी-बाल कटवाने का मौका रहता था, साधना में लीन रहते थे, तो दाढ़ी-बाल बढ़ जाते थे, कपड़े फट जाते थे, तो जो रहता वही शरीर पर लपेट लेते। जो साधना करता है, उसी को ही लोग साधु कहने लग गए। आप भी जो साधना करते हो, साधु हो।
साधु कौन होता है ? जो गृह त्यागी होता है, घर को छोड़ देता है। तो आप जब पांच-पांच घंटा, 24-24 घंटा साधना में बैठते हो तो उस समय आप भी त्यागी ही रहते हो। उस समय आप ना ही मुलायम गद्दे पर सो पाते हो, ना ही परिवार से कोई प्रेम की बात कर पाते हो, तो यह भी तो एक त्याग ही है।