असली सनातन धर्म क्या है, यह गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम में बताया जाएगा – बाबा उमाकान्त महाराज

असली सनातन धर्म क्या है, यह गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम में बताया जाएगा – बाबा उमाकान्त महाराज
यह ध्यान और भजन कोई नया नहीं है, यह सनातन से चला आ रहा है
जयपुर,राजस्थान। गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम 2025 में जो लोग नामदान लेना चाहते हैं उनके लिए 2 जुलाई 2025 के सतसंग में बाबा उमाकान्त जी महाराज ने कहा कि जो लोग शर्तों को मंजूर कर रहे हैं कि ध्यान-भजन हम करेंगे और शाकाहारी, नशामुक्त और चरित्रवान रहेंगे, उन सभी को गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम में गुरु महाराज की दया से नामदान मिल जाएगा। और गुरु महाराज की दया रही तो 8 तारीख से नामदान शुरू हो जाएगा। सुमिरन-ध्यान-भजन आपको बता दिया जाएगा और उसका अभ्यास भी करवा दिया जाएगा। यह ध्यान और भजन कोई नया नहीं है, यह सनातन से चला आ रहा है लेकिन फिर बीच में कुछ लुप्त होने के बाद कलयुग में जब सन्त आए तो उन्होंने इसी को फिर से उभार दिया। इसका प्रचार किया, जो लोग इधर–उधर भटक रहे थे उनको समझा करके असली चीज को पकड़ाया और कहा कि इस डोर को पकड़ोगे तो यह तुमको पार कर देगी और नहीं तो फंस जाओगे। क्योंकि बहुत से लोग अभी तक फंसे पड़े हैं, प्रभु के पास पहुंच नहीं पाए क्योंकि उनको हमारे गुरु महाराज जैसे गुरु ही नहीं मिले जिन्होंने सुमिरन-ध्यान-भजन बताया हो।
जिन नामों को हनुमान जी भी जपते थे वह नाम दिया जाएगा
गुरु पूर्णिमा में असली सनातन धर्म क्या है, यह बताया जाएगा। जो अपने को सनातनी कहते हैं, उनको भी यह सुमिरन-ध्यान-भजन का तरीका बताया जाएगा। उनको भी नामदान दिया जाएगा जिसके लिए कहा है “सुमिर पवनसुत पावन नामू, अपने बसि कर राखे रामू।” हनुमान जी भी इन्हीं पावन नामों को जपते थे जो नाम हमारे गुरु महाराज ने दिया और गुरु महाराज के आदेश से जो नए लोग आएंगे उनको दिया जाएगा।
“सुनो हनुमंत दुख क्यों होई, तव सुमिरन-भजन ना होई”
एक आदमी ने हनुमान जी से पूछा कि दुख क्यों आता है? लोग दुख, तकलीफ क्यों झेलते हैं? तब उन्होंने कहा
“सुनो हनुमंत दुख क्यों होई, तव सुमिरन-भजन ना होई”
जिससे सुमिरन-ध्यान-भजन नहीं होता है वही दुख पाता है। तो जब उस नाम का जाप होगा तब तकलीफ जाएगी, क्योंकि लोगों को कर्मों के बारे में नहीं मालूम है। वे अपने को भक्त तो कहते हैं, धर्म का प्रचार तो करते हैं लेकिन उनकी भी तकलीफ नहीं जा रही है क्योंकि वे यह नहीं जानते हैं माँस, अंडा, मछली व नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें जीव हत्या होती है और जीव हत्या का पाप लगता है। तो आपका स्वागत है, नाम बताया दिया जाएगा जिससे संकट भी दूर हो जायें और जीवात्मा का कल्याण भी हो जाए।